राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (जेएसपी) ने समाजवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जन नायक कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर को समस्तीपुर की मोरवा विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। यह पार्टी का कर्पूरी ठाकुर की विरासत पर दांव है। कर्पूरी ठाकुर के छोटे बेटे वीरेंद्र नाथ ठाकुर की बेटी जागृति पिछले साल ही जेएसपी में शामिल हुई थीं। जेएसपी के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है। उन्हें साथ जोड़ कर प्रशांत किशोर ने एक तरह से राजनीतिक विरासत को अपने साथ जोड़ लिया है। ठाकुर ने अवंतिका मेहता से अपनी राजनीति, महिला उम्मीदवार के रूप में भूमिका और बिहार में दादा की विरासत के बारे में बात की। पेश हैं अंशः
आपकी पहचान कर्पूरी ठाकुर की पोती के रूप में है। चुनावी राजनीति में प्रवेश करने के निर्णय में इस विरासत का कितना हाथ है, आप मोरवा की महिला मतदाताओं के साथ जाति और सामाजिक न्याय के बारे में कैसे बात करती हैं, इससे कोई फर्क पड़ेगा?
जन नायक की पोती होना गर्व की बात है। इससे समाज के सभी वर्गों के प्रति जिम्मेदारी का भाव जाग्रत होता है। जन नायक ने जिस मूल्य-आधारित राजनीति के लिए प्रयास किया, वह अब भ्रम बन गई है। इसलिए मैंने चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया। मूल्य-आधारित और मुद्दा-आधारित राजनीति को स्थापित करना मेरी जिम्मेदारी है। मैं जहां भी जाती हूं, लोग नम आंखों से जन नायक को याद करते हैं। इससे मुझे मोरवा के लोगों के लिए अपना जीवन और ऊर्जा समर्पित करने की और शक्ति मिलती है।
विरासत से मिला कोई संदेश या कार्यक्रम, जिसे चुनावी अभियान इस्तेमाल कर रही हों?
मैं जात-पांत से ऊपर उठकर सभी वर्गों की बात कर रही हूं। जमीनी स्तर पर बहुत समस्याएं हैं। स्थिति बेहद दयनीय है। सर्वसमावेशी समाज के निर्माण के लिए जन नायक की तर्ज पर ठोस सोच की जरूरत है।
मोरवा में दादा का जिक्र सबसे ज्यादा कौन करता है, महिलाएं, पुरुष या बुजुर्ग? कभी ऐसा लगा कि विरासत बड़ी जिम्मेदारी है?
मोरवा में बुजुर्ग अब भी जन नायक को आदर्श मानते हैं। युवा जन नायक के निजी और राजनीतिक जीवन में स्थापित मूल्यों के बारे में बात करते हैं। यह (विरासत) दायित्व नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों के प्रति दायित्व का भाव है। जन नायक सभी वर्गों के नेता होने के साथ-साथ उनके हमदर्द भी थे। जन नायक को केवल अति पिछड़े वर्गों के नेता तक सीमित रखना उनके मूल्यों और आदर्शों के साथ अन्याय होगा।
आप दंत चिकित्सक भी हैं, तो क्या महिलाएं आपको स्वास्थ्य से जुड़ी बातों के नजरिए से भी देखती हैं। चिकित्सकीय अनुभव से आप मोरवा की महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए अपने वादों को ठोस इरादों में बदल पा रही हैं?
मोरवा में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की हालत बेहद खराब है। लोगों या मरीजों को अक्सर बाहर रेफर कर दिया जाता है। इनमें से ज्यादातर गरीब हैं। सरकार के लंबे-चौड़े दावों के बावजूद इलाज के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। हमें बेहतर सुविधाओं, कर्मचारियों और उपकरणों के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं को पुनर्जीवित करने की जरूरत है।
किस स्थानीय सुविधा को आप सबसे पहले बेहतर करना चाहती हैं और क्यों?
नायक कर्पूरी ठाकुर रेफरल अस्पताल को सबसे पहले तुरंत मरम्मत की आवश्यकता है।
इसके लिए कोई प्रस्ताव आपके पास है, किसी एनजीओ से बात की है, जो साझेदारी कर सके?
नहीं।
ऐसा कोई काम या लक्ष्य, जिसे 100 दिन में हासिल कर सकें?
इस मामले में मैं पार्टी लाइन पर चलूंगी। पार्टी जिन चुनावी वादों के साथ उतरी है, उनमें उद्यमी महिलाओं के लिए कम ब्याज दर पर ऋण। प्रत्येक ब्लॉक में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आधुनिक स्कूल की स्थापना, इन स्कूलों के बनने तक निजी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई, जिसकी फीस सरकार भरेगी। बुजुर्गों को 2000 रुपये पेंशन। पलायन विरोधी विभाग बनाना और कृषि को मनरेगा से जोड़ना।
जन सुराज की रणनीति ‘नए चेहरों’ और पेशेवरों पर जोर देती है। ऐसे में मोरवा की ग्रामीण, अति पिछड़ी महिलाओं से जुड़ाव कैसे बना पा रही हैं, जो अपनी जाति या वर्ग से बाहर के किसी पेशेवरों पर भरोसा नहीं करतीं?
ऐसी बातों से लोग तंग आ चुके हैं। वे मुद्दा आधारित राजनीति चाहते हैं, जिसके परिणाम आएं। लोग कष्ट में हैं। उन्हें अपने बच्चों को काम के लिए दूसरे राज्यों में भेजना पड़ता है। जन सुराज पार्टी ने इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया है और हम बिहार को एक बार फिर गौरवशाली बनाने के लिए ध्यान दे रहे हैं।
टीम में उन समुदायों के स्थानीय लोग हैं? कोई ऐसी बैठक जिसमें किसी ग्रामीण महिला ने किसी संदेश या नीतिगत वादे में बदलाव के लिए प्रेरित किया हो?
मैं घर-घर जाकर लोगों से मिलने पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं। मैं ज्यादा से ज्यादा घरों तक पहुंचना चाहती हूं। लोगों में इस मुहिम के प्रति से स्नेह है।
2023 के जाति सर्वेक्षण ने पार्टी का गणित बदल दिया है। इससे क्या यह पता चलता है कि महिलाएं सिर्फ जाति के आधार पर वोट देती हैं या लाभकारी योजनाओं और लिंग आधारित विशेष मुद्दों पर जाति से ऊपर उठकर भी वोट दे देती हैं?
मेरा मानना है कि लोग इस गणित से परे बिहार के मुद्दों पर वोट देंगे, चाहे वे किसी भी दायरे के हों। मुझे खुशी है कि हमारी पार्टी ने लोगों के दिलों को छुआ है और मेरा मानना है कि इस चुनाव के बाद अगली सरकार जनता की सरकार होगी।
स्वयं सहायता समूह और आंगनवाड़ी/आशा नेटवर्क, कई महिलाओं को संगठित करते हैं। आपकी टीम में कौन आंगनवाड़ी/स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) नेताओं के साथ संपर्क में है?
मैं खुद सहायता समूहों के साथ काम कर रही हूं। हाल ही में इन समूहों से मिली हूं। ये वास्तव में सामुदायिक संपत्तियां हैं, जिन्हें और मजबूत किया जा सकता है। अगर जन-सुराज योजना लागू हो जाए, तो ये स्वयं सहायता समूह आर्थिक रूप से और मजबूत होंगे और सही मायनों में इनमें विविधता आएगी।
पार्टियां कभी-कभी केवल प्रतीक के तौर पर महिला उम्मीदवारों को टिकट देती हैं। अपनी उम्मीदवारी के बारे में आपका क्या खयाल है। चुनाव प्रचार के धन, कर्मचारियों और संदेशों पर आपका नियंत्रण है?
मेरे मामले में सब उलट है। मैं योजना बनाने से लेकर क्रियान्वयन तक, सभी काम अकेले संभाल रही हूं। चुनाव प्रचार का बजट चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार है और धन परिवार के सदस्यों, दोस्तों, जनता और जन-सुराज पार्टी द्वारा उम्मीदवारों को दान किया जा रहा है।
चुनाव अभियान में व्यक्तिगत रूप से लिया गया ऐसा कोई निर्णय, जो यह साबित कर सके कि आपके पास वास्तव में अधिकार हैं? जैसे, आपके प्रचार का बजट किसने तय किया? भाषण कौन लिखता है? क्या पार्टी के किसी पुरुष नेता ने उम्मीदवार चुनने या संदेश भेजने के मामले में आपकी बात न मानी हो?
चुनाव प्रचार का बजट चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार है। मैं लिखित भाषण नहीं देती, पिताजी कभी-कभी मुझे मुद्दे देते हैं और मैं उनसे चर्चा करती हूं। पार्टी में कभी किसी ने मुझ पर धौंस नहीं जमाई। इस सफर में सभी मेरा साथ दे रहे हैं।
महिलाओं के लिए किन तीन नीतियों को आप अपने पहले 100 दिनों में प्राथमिकता देंगी?
पहला, उद्यमी महिलाओं के लिए कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना, दूसरा पात्र बुजुर्ग महिलाओं को 2000 रुपये प्रति माह पेंशन देना, तीसरा, महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना।
कई घरों में अब भी वोट का फैसला पुरुष करते हैं। आपको स्वावलंबी महिलाएं दिखीं, उन्होंने कभी वोट देने के बारे में आपसे बात की?
मैंने आपको पहले ही बताया, जन नायक को जानने वाले बुजुर्ग मेरे साथ हैं। वे लोग मुझे अपना आशीर्वाद देते रहेंगे। मैंने उन्हें यह भी विश्वास दिलाया है कि मैं हर परिस्थिति में आप लोगों की मदद के लिए हमेशा मौजूद रहूंगी।
टीम ने बूथ-दर-बूथ महिला मतदाता का आकलन किया है? मतदान के दिन ज्यादा से ज्यादा लोग आपको वोट करें, इसके लिए क्या किया जा रहा है?
मैं पहली बार चुनाव प्रचार कर रही हूं। ये रणनीतियां मेरे वश की बात नहीं है। मैं बस लोगों का आशीर्वाद मांग रही हूं। प्रचार के दौरान मैं मतदाताओं से बिहार को फिर से गौरवशाली बनाने के लिए भारी संख्या में मतदान का आग्रह कर रही हूं।
महिलाओं के वोट के लिए जाति-विशेष कोई कल्याणकारी वादा किया है, लाभ देकर वोट हासिल करने को कैसे देखती हैं?
बिहार में जन सुराज एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो सच बोलती है। इस पार्टी में झूठे वादे करने की संस्कृति नहीं है। जो हासिल किया जा सकता है, उसी का रोडमैप बताते हुए वादा किया जा रहा है।
‘नए चेहरों’ की पहचान बनाने में सोशल मीडिया महत्वपूर्ण होता है। लेकिन जो महिलाएं, सोशल मीडिया पर नहीं हैं, उन महिलाओं तक पहुंचने के लिए आप कुछ प्रयास करती हैं या इंफ्लुएंसर्स की तरह आप भी वृद्ध और ग्रामीण महिलाओं को छोड़ देती हैं?
ऑनलाइन पहुंच के लिए मैं सोशल मीडिया पर फेसबुक और व्हॉट्सएप का इस्तेमाल कर रही हूं। ऑफलाइन के लिए घर-घर जाकर बैठकें, नुक्कड़ सभाएं कर रही हूं।