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24 नवंबर 2025 · NOV 24 , 2025

पुस्तक समीक्षाः सामंतवादी व्यवस्था पर चोट

उपन्यास में सामंतवाद और खानाबदोश जीवन का अंतरद्वंद्व सलीके से सामने आता है
पुस्तक समीक्षा

कथाकार रत्न कुमार सांभरिया का नया उपन्यास नटनी देश और समाज के कई सवालों को उठाता है। उपन्यास के केंद्र में खानाबदोश नट समाज की रज्जो, उसके पति शमशेर सिंह, सास शीतलदेवी और ससुर जिगर सिंह हैं। जिगर सिंह सामंतवाद का प्रतीक है, वहीं उनकी पत्नी शीतलदेवी इंसानियत की जीती-जागती तस्वीर। उपन्यास में सामंतवाद और खानाबदोश जीवन का अंतरद्वंद्व  सलीके से सामने आता है। जिगर सिंह के बेटे शमशेर सिंह का नटनी रज्जो पर दिल आ जाना, एक नए युग को जन्म देता है, जो धीरे-धीरे कहानी को आगे बढ़ाता चलता है। नटनी समाज की व्यवस्था पर करारी चोट करता है।

रत्नदकुमार सांभरिया ऐसे लेखक हैं, जो हमेशा ही समाज के वंचित, शोषित, प्रताड़ित लोगों और उनके संघर्ष को कलम से उकेरने में आगे रहे हैं। वे नटनी उपन्यास में भी उस दर्द और संघर्ष को अपनी लेखनी से सामने लाते हैं। उन्होंने ऐसा अछूता कथानक चुना, जो पंचायती राज व्यवस्था की प्रासंगिकता सामने लाता है। नायिका रज्जो का जुझारू चरित्र उन्होंने इतनी खूबसूरती से रचा है कि लगता है हर स्त्री को ऐसा ही दृढ़ निश्चयी होना चाहिए। रज्जो लंबे समय तक साहित्य जगत में याद की जाएगी।

नटनी

रत्नकुमार सांभरिया

प्रकाशक | सेतु

कीमतः 375 रुपये

पृष्ठः 251