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7 जुलाई 2025 · JUL 07 , 2025

पत्र संपादक के नाम

पाठको की चिट्ठियां
पिछले अंक पर आई प्रतिक्रियाएं

टूटा रिश्ता

23 जून की आवरण कथा, ‘ट्रम्प बाजीगरी का जाला’ अच्छी लगी। लेख पढ़कर लगा कि डोनाल्ड ट्रम्प और एलॉन मस्क दोनों ने मिल कर अमेरिका को डुबाने की पूरी योजना बना ली है। उनके देश में ही हो रहे विरोध से लग रहा है कि ट्रम्प के हाथ से स्थितियां फिसल रही हैं। लेकिन ट्रम्प इतने जिद्दी स्वभाव के हैं कि पद छोड़ने के बजाय लगातार संघर्ष करते रहेंगे। भारत की स्थिति इन सबके बीच बड़ी विकट हो गई है। पश्चिमी दुनिया के दूसरे देशों की बेरुखी, सब मिल कर यहां मोदी को मुश्किल में डाल रहे हैं। हर जगह अनिश्चितता का आलम है। पूरी दुनिया की कूटनीतिक तस्वीर बदल रही है। ऐसे में भारत-अमेरिका रिश्तों में फिर गरमाहट आ पाएगी या नहीं यह कहना मुश्किल है।

अनुराग जोशी | पुणे, महाराष्ट्र

 

जल्दबाज ट्रम्प

23 जून की आवरण कथा, ‘ट्रम्प बाजीगरी का जाला’ अच्छी लगी। यह अच्छी बात है कि भारत ट्रम्प से भिड़ने के बजाए व्यापारिक रिश्तों पर जोर दे रहा है। हालांकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद बहुत कुछ बदल गया है लेकिन अमेरिका से भारत के रिश्ते सहज रहे तो परेशानी कम होगी। हालांकि भारत-पाक के बीच हुए युद्ध जैसे हालात में सीजफायर कराने को लेकर ट्रम्प जल्दबाजी में थे। उन्हें उसका श्रेय लेने की इतनी जल्दी दिखाई कि भारत के लोगों को अखर गया। होना यह चाहिए था कि दोनों देश इसका ऐलान करते। लेकिन ट्रम्प की जल्दबाजी ने सब गुड़गोबर कर दिया। उस पर तुर्रा यह कि ट्रम्प ने पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए दोषी नहीं ठहराया।

एस.के. पंत | देहरादून, उत्तराखंड

 

अपरिपक्व कदम

23 जून के अंक में, ‘मारे गए गुलफाम’ लालू परिवार की अंदरूनी कलह को बहुत अच्छे से दर्शाती है। तेज प्रताप यादव शुरू से ही अविश्वसनीय रहे हैं। जब वे वृंदावन जाकर रासलीला करते थे या शिव का रूप धर कर घूमते थे, तभी लगता था कि उनकी राजनैतिक तो दूर, सामाजिक समझ भी बहुत कम है। ऐसा काम कर वे अपनी अपरिपक्वता ही जाहिर करते रहे। लालू परिवार में शुरू से ही तेज प्रताप की जगह तेजस्वी को तरजीह दी गई। फेसबुक पोस्ट के जरिये अपने प्रेम को जाहिर करना, तो घोर मूर्खता ही कही जा सकती है। यह उनका परिवार के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया भी दर्शाता है, क्योंकि इतना तो वे भी जानते हैं कि उनके इस कदम से आगामी चुनाव पर क्या असर होगा। पहले तो सिर्फ कयास थे कि राजद सुप्रीमो लालू यादव विरासत छोटे बेटे तेजस्वी को सौंपना चाहते हैं, लेकिन तेज प्रताप ने यह हरकत करके इस पर मुहर लगा दी है। तेज प्रताप चाहते तो इस मुद्दे को घर में ही सुलझा सकते थे। पता नहीं ऐसा करके उन्होंने परिवार से किस जन्म का बदला लिया है।

सुंदर भंडारी | जयपुर, राजस्थान

 

निर्णायक लड़ाई

आउटलुक के 23 जून के अंक में, ‘माओवाद की जड़ पर चोट’ लेख पढ़कर यह संदेश मिला कि आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन गए माओवाद पर निर्णायक प्रहार हुआ है। इस संदेश को इसी रूप में ग्रहण किया गया और इसके चलते उम्मीद बंधी कि गृह मंत्री अमित शाह के दावे के अनुसार माओवाद को अगले वर्ष तक समाप्त किया जा सकता है। लेकिन कुछ लोगों को प्रतिबंधित भाकपा माओवादी के सबसे हिंसक और निर्दयी सरगना बसव राजू का मारा जाना रास नहीं आया। कहना कठिन है कि वामपंथी विचार वाले और कितने संगठन तथा लोगों ने माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के अभियान को बंद करने की जरूरत पर जोर दिया है। वामपंथी एजेंडा चलाने वाले कुछ मीडिया माध्यमों को इसमें जोड़ा जा सकता है। माओवादियों के हमदर्द और मददगार देश में ही नहीं, विदेश में भी हैं और उन पर भी निगाह रहनी चाहिए।  

शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी | फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश

 

मुख्यधारा से जुड़े

आउटलुक के 23 जून के अंक में, ‘माओवाद की जड़ पर चोट’ लेख में बसव राजू को मारे जाने की सभी वजहें और माओवाद पर विस्तृत जानकारी मिली। बसव राजू को मार कर हमारे सुरक्षा बलों ने बड़ी जीत हासिल की है। इससे सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ेगा और नक्सलियों का मनोबल टूटेगा। किसी भी संगठन के शीर्ष नेता का मारा जाना संगठन को बहुत नुकसान पहुंचाता है। बसव राजू माओवादियों का सबसे पुराने नेता था। लेकिन इसमें असली जीत तभी मानी जाएगी जब छत्तीसगढ़ के युवाओं को रोजगार और कौशल शिक्षा के साथ वित्तीय सहायता मिले ताकि वे आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल सकें। ऐसा न हुआ तो वे फिर हथियार उठा लेंगे। बस्तर प्राकृतिक संसाधानों से भरा हुआ है लेकिन दुर्भाग्यवश वहां के लोगों तक उसका लाभ नहीं पहुंच पाता है। राज्य और केंद्र सरकार दोनों की कोशिश करनी चाहिए की राज्य के युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ा जाए ताकि नक्सलियों की नर्सरी पर ताला लग जाए और राज्य में शांति और खुशहाली आ पाए।

बाल गोविंद | नोएडा, उत्तर प्रदेश

 

सुरक्षाबलों को बढ़त

बसव राजू की मौत, माओवादियों के प्रति निर्णायक लड़ाई में बड़ी जीत है। माओवादियों ने छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, झारखंड और ओडिशा में आतंक मचा रखा था। लाल गलियारे को खत्म करना हर सरकार की चुनौती रही है। ऐसे वक्त में बसव राजू की मौत, छोटी घटना नहीं है। 70 साल की उम्र में ही सही लेकिन सरकार ने उन पर काबू पा ही लिया। इस लेख से ही पता चला कि सीपीआइ माओवादी का यह महासचिव इंजीनियर था। उस पर करीब डेढ़ करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। लेकिन आज तक सुरक्षाबलों की गिरफ्त से यह बाहर ही रहा। छापामार युद्ध और सुरक्षा बलों को चकमा देने में माहिर बसवराजू को मार कर सरकार ने 25 मई 2013 में हुए झीरम घाटी हत्याकांड में मारे गए परिजनों को भी राहत दी है। (‘माओवाद की जड़ पर चोट’, 23 जून)

प्रीति पाल | लखनऊ, उत्तर प्रदेश

 

भलमनसाहत

9 जून के अंक में, ‘तबाही के मंजर’ पढ़ कर बहुत दुख हुआ। पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए 22 निर्दोष लोगों की पूरी जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। लेकिन पाकिस्तान कभी स्वीकार नहीं करेगा कि यह उसकी हरकत है। इसके बावजूद भारत की भलमनसाहत देखने लायक है। भारत ने सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, किसी ऐसे स्थल पर बमबारी नहीं की, जिससे वहां के किसी निर्दोष नागरिक की जान जाती।

कैलाश सिधवानी | आगरा, उत्तर प्रदेश

 

पंजाब हो नशा मुक्त

हिंदी आउटलुक में 9 जून को प्रकाशित लेख, ‘नशे से मुक्ति कौन दिलाएगा’ पंजाब की स्थिति को बखूबी बताती है। पंजाब में नशे के जाल से कोई सरकार छुटकारा नहीं दिला पाई। आम आदमी पार्टी नशा मुक्त पंजाब के चुनावी वादे के साथ सत्ता में आई थी लेकिन यह सिर्फ चुनावी वादा ही सिद्ध हुआ। अब आम आदमी पार्टी फिर से 2027 में इसी चुनावी वादे के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में है। लेकिन अबकी बार वहां की जनता इस झांसे में नहीं आएगी। पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में तो स्थिति और गंभीर है। पाकिस्तान ने कश्मीर के साथ पंजाब को भी अपने ‘छद्म युद्ध’ से प्रभावित करना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान से बीते एक दशक से भी अधिक समय से पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन के जरिए ड्रग्स और हथियारों की सप्लाई हो रही है। उसके बाद यह हथियार और ड्रग्स पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों में यहां तक कि बड़े पैमाने पर गांव में पहुंचाएं जा रहे हैं। अगर पंजाब को नशा मुक्त करना है, तो पाकिस्तान के साथ इस नशे की शृंखला को तोड़ना बहुत जरूरी है। इसलिए पंजाब में किसी भी पार्टी की सरकार हो, उसे अपनी राजनैतिक इच्छाशक्ति के माध्यम से पंजाब को नशा मुक्त करने के लिए गंभीरता से काम करना चाहिए। जरूरत पड़े तो केंद्र सरकार की मदद भी लेनी चाहिए। पंजाब में पनपता नशे का कारोबार सिर्फ पंजाब के युवाओं के लिए ही नहीं, बल्कि देश के युवाओं के लिए भी खतरनाक सिद्ध होगा।

विजय किशोर तिवारी | नई दिल्ली

 

भारत का हक

9 जून की आवरण कथा, ‘फतह और नए मोर्चे’ ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अच्छी तरह लिखी गई है। लेकिन एक बात है, यह तथाकथित युद्धविराम आम भारतीय जनमानस को बुरी तरह उद्वेलित कर गया। भारत-पाकिस्तान के बीच में ट्रम्प का आना सभी को अखर गया। ट्रम्प ने युद्धविराम का श्रेय लेने के लिए हमारी भावनाओं से खिलवाड़ किया। लेकिन दुखद तो यह है कि भारत सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक आपत्ति इस हरकत पर दर्ज नहीं की गई। पहलगाम के आतंकी हमले में हमारे लोग मारे गए थे, इसलिए किसी भी तरह की कार्रवाई करने का हक सिर्फ हमें ही था। युद्धविराम सभी के हित में होता है, इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन उन्हें यह हक भारत से नहीं छीनना चाहिए था। इस लेख ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में अच्छी जानकारी दी।

यशवन्त पाल सिंह | वाराणसी, उत्तर प्रदेश

 

पुरस्कृत पत्रः ट्रम्प नीति

पूरी दुनिया में बारी उथल-पुथल है। दुनिया का हर देश परेशानी से जूझ रहा है। कल क्या होगा, यह सोच पाना भी मुश्किल है। भारत ने पहलगाम में आतंकी हमला झेला, फिर ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। लेकिन ये सब फौरी उपाय हैं। इस बार की आवरण कथा, (ट्रम्प बाजीगरी का जाला, 23 जून) ट्रम्प की टैरिफ नीति को अच्छे से बयां करती है। ट्रम्प अस्थिर स्वभाव के हैं और इसका असर न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के सारे देशों पर पड़ेगा। उनकी टैरिफ नीति पर भले ही अदालती अंकुश लग गया हो लेकिन ट्रम्प के भीतर जो भी खलबली है, वह आज नहीं तो कल दूसरे रूप में सामने आएगी। ट्रम्प को अपने ही देश में कई तरह के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।

सुनंदा जायसवाल|रांची, झारखंड

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