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9 जून 2025 · JUN 09 , 2025

हरियाणा: तिरंगा यात्रा पर सियासी रंग

भाजपा पर सेना और सैनिकों के शौर्य का श्रेय हड़प कर चुनावी राजनीति करने का आरोप
बहती गंगाः अपने विधानसभा क्षेत्र लाडवा में तिरंगा यात्रा निकालते मुख्यमंत्री सैनी

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 मासूम लोगों की नृशंस हत्या कर दी गई। इसके जवाब में भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई करते हुए, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ किया। इसकी अभूतपूर्व सफलता का पूरा श्रेय सैन्य शक्ति को जाता है। लेकिन इस श्रेय पर सियासी रंग भी चढ़ा, जिसे तिरंगा यात्रा नाम दिया गया। सेना के शौर्य पर श्रेय लेने की होड़ में भाजपाई ही एकमत नहीं हैं, इसलिए विपक्ष ही नहीं बल्कि भाजपाई खेमे में भी तिरंगा यात्राओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हर तरफ एक ही सवाल था, ‘‘क्या यह सेना की वीरता को सियासी मंच पर भुनाने का प्रयास है?’’ हरियाणा की भाजपाई इकाई के लिए जहां तिरंगा यात्रा महज जश्न मनाने का एक कारण साबित हुआ, वहीं पड़ोसी पंजाब की भाजपा इकाई ने संयमित तरीके से इसे एक एनजीओ के साथ मिल कर आयोजित किया। इन सबको लेकर पार्टी के भीतर ही कुछ लोग असहज थे। कई सदस्यों ने ‘श्रेय की होड़’ को लेकर चिंता भी जताई।

हरियाणा में भाजपा नेतृत्व ने ऑपरेशन सिंदूर से राष्ट्रवाद की लहर बनाने की पूरी कोशिश की। हरियाणा में तो मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी इस कदम में पीछे नहीं रहे। उन्होंने पंचकूला से तिरंगा यात्रा की शुरुआत कर अपने निर्वाचन क्षेत्र लाडवा तक तिरंगा यात्रा निकाली। पार्टी ने राज्य के सभी 10 लोकसभा क्षेत्रों में यात्राओं का आयोजन किया। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, राव इंद्रजीत सिंह, कृष्णपाल गुर्जर समेत सात सांसदों को यह जिम्मेदारी सौंपी थी।

हरियाणा भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर आउटलुक से कहा, “पाकिस्तानी सेना के हमलों का मुंहतोड़ जवाब देने में सेना ने जो शौर्य दिखाया, हम सब उसके गवाह हैं। यह सच है कि हमारी सेना ने दुश्मन की कमर तोड़ दी है। यही वजह है कि हमारे बॉर्डर के इलाके सुरक्षित रहे। लेकिन पहलगाम की आंतकी घटना को एक महीना भी नहीं हुआ है। हमले में शहीद होने वालों की विधवाओं के आंसू भी अब तक नहीं सूखे हैं। ऐसे शोक की इस घड़ी में यात्राओं में जश्न जैसा मौहाल शोभा नहीं देता।’’

पंजाब में शिरोमणि अकाली दल भाजपा गठबंधन सरकार में भाजपा के कोटे से कैबिनेट मंत्री रहे अनिल जोशी ने आउटलुक से कहा, “पाकिस्तान से सटे पंजाब की सामाजिक संवेदनशीलता को देखते हुए भाजपा ने सीधे अपने बैनर से हटकर एक गैर-राजनैतिक संगठन के साथ झंडा यात्रा निकालने का फैसला किया है। जालंधर से शुरू हुई तिरंगा यात्रा पंजाब के तमाम जिलों में जाएगी।” पंजाब में भाजपा के एक पूर्व संगठन मंत्री ने कहा, “सेना के शौर्य को सम्मान देने में कोई दो राय नहीं, लेकिन जब बात श्रेय लेने के होड़ में बदल जाए, तो हम अपने मूल्यों से हट जाते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा का सियासीकरण खतरनाक चलन बनता जा रहा है।”

ऑपरेशन सिंदूर पर भाजपा की तिरंगा यात्रा को ‘राजनैतिक दोहन’ करार देते हुए कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “26 निर्दोष लोगों की हत्या के बाद भाजपा को संयम दिखाना चाहिए था। मगर भाजपा जश्न के माहौल में तिरंगा यात्रा निकाल रही है।” इनेलो नेता अभय चौटाला ने कहा, “मासूमों की शहादत और सेना के शौर्य पर भी भाजपा वोट की राजनीति करने से बाज नहीं आ रही। तिरंगा यात्रा भाजपा का बिहार के लिए चुनावी मार्च है, राष्ट्रीय सम्मान नहीं।”

पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से जुड़े राजनैतिक विश्लेषक ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, “भाजपा इन यात्राओं से बिहार विधानसभा चुनाव की जमीन भी तैयार कर रही है। सेना के शौर्य को चुनावी रैलियों में पार्टी की उपलब्धि बताना लोकतांत्रिक गरिमा के लिए चिंता का विषय है।” इसमें कोई दो मत नहीं कि ऑपरेशन सिंदूर निश्चित रूप से पाकिस्तान प्रायोजित आंतकी हमले के जवाब में निर्णायक कदम रहा, मगर कई लोगों सवाल यह है कि क्या हर सैन्य कार्रवाई को सियासी हथकंडे में बदला जाना चाहिए? क्या सैनिकों की शहादत को जश्न में तब्दील करना जिम्मेदार लोकतंत्र की पहचान है?

 

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