बीते दो दशक से चिट्टा यानी नशा पंजाब का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है। नशे के कारोबार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि कोई भी सरकार अब तक इस पर ठोस कार्रवाई करके इसे खत्म नहीं कर सकी है। राज्य में सिर्फ सरकारें बदलीं लेकिन समस्या वहीं रही। दो दशक तक सत्ता में रही शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन की सरकार रही हो या कांग्रेस की, तीन साल से आम आदमी पार्टी सरकार हो या आने वाला विधानसभा चुनाव, नशे के कारोबार का खात्मा यक्ष प्रश्न की तरह अनुत्तरित ही रहा है। सभी विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक पंजाब के भीतर पनपा ड्रग्स माफिया और पाकिस्तान से ड्रग्स की सप्लाई की चेन नहीं टूटेगी तब तक नशे और हथियार का कारोबार यूं ही चलता रहेगा।
पंजाब के सीमावर्ती गांवों में यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है। पंजाब में नशे की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसे खत्म करने के लिए बहुत ज्यादा राजनैतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होगी। हालांकि इस बार ड्रग्स और पाकिस्तानी आतंक को लेकर 2027 के विधानसभा चुनाव की बिसात बिछने लगी है। सत्ता में आने से पहले ही आम आदमी पार्टी नशा खत्म करने का दावा करती रही थी। लेकिन अपने चुनावी वादे को पूरा न कर पाने के कारण वह 2027 के विधानसभा चुनाव से दो साल पहले ही “नशा मुक्ति यात्रा” से मतदाताओं को भरोसा दिलाना शुरू कर रही है कि वह इसे खत्म करके ही रहेगी।
बरनाला में गिरफ्तारी
लेकिन विपक्ष का कहना है कि तीन साल में सरकार जब इस बारे में कुछ नहीं कर सकी, तो अगले चुनाव में यह फिर इसे पूरा करने की गारंटी कैसे दे रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव में पंजाब से नशे का कारोबार एक महीने में खत्म करने का सरकार का दावा हवा हवाई ही रहा है। 16 मई को नवांशहर के गांव लंगड़ोआ से ‘नशा मुक्ति यात्रा’ शुरू करने वाले आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, “पिछली सरकारों ने नशा तस्करों के साथ मिलकर पंजाब को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी पर अब ‘आपकी सरकार’ ने नशे के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया है। हम पंजाब के सभी 13,000 गांवों को नशा मुक्त करके ही दम लेंगे।”
पंजाब, कश्मीर और राजस्थान के युवाओं पर दो साल तक ड्रग्स को लेकर शोध करने वाले अमृतसर में गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर ऑफ एमिनेंस डॉ. आर.एस. धुम्मण ने आउटलुक से कहा, “लंबे अरसे से कई सरकारों के ड्रग्स के खात्मे के तमाम दावों के बीच यह भ्रम अब टूट जाना चाहिए कि पंजाब की जेलों के भीतर से चलते ड्रग्स गिरोह और सीमा पार से आने वाले ड्रोन महज ड्रग्स की खेपें हैं। पाकिस्तान ने पंजाब में ड्रग्स और हथियार तस्करी के लिए ड्रोन को सस्ता और सटीक हथियार बना लिया है। अब ऑपरेशन सिंदूर की तर्ज पर ‘ऑपरेशन चिट्टा’ की दरकार है। सीमा लांघने से पहले ही हर ड्रोन को नष्ट कर देना होगा,।’’
लेकिन आम आदमी पार्टी के अमृतसर से विधायक तथा पूर्व आइपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप अपनी पार्टी को कठघरे में खड़ा करते हैं। उनके मुताबिक, केजरीवाल और भगवंत मान की नशा मुक्ति यात्रा दरअसल नशा माफिया का प्रायोजित सरकारी समारोह है। उन्होंने कहा, “पहले की सरकारों की तरह यह सरकार भी पंजाब में कोई बदलाव लाने में नाकाम रही है। ड्रग्स माफिया अभी भी सरकार और पुलिस की मिलीभगत से अपना धंधा चला रहा है।”
हाल में संगरूर जेल से दर्जनभर मोबाइल फोन, अफीम, हेरोईन की बरामदगी के साथ जेल डीएसपी गुरप्रीत सिंह समेत 19 लोग गिरफ्तार किए गए। इस पर कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष प्रताप बाजवा कहते हैं, “पंजाब के पुलिस महानिदेशक गौरव यादव का 31 मई तक पंजाब को पूरी तरह नशामुक्त करने का दावा आम आदमी पार्टी की सरकार की गारंटियों और दावों की तरह ही झूठा है। कानून के रखवाले ही भक्षक बने हुए हैं। जिस प्रदेश में पुलिस थानों पर ही आए दिन हमले हो रहे हैं, वहां के लोगों को सुरक्षित माहौल कौन मुहैया कराएगा?’’
पाकिस्तान बीते एक दशक से ड्रोन के जरिए ड्रग्स और हथियार बरसा रहा है। यह कोई सामान्य तस्करी नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान की नई युद्ध शैली है। इसमें दुश्मन ड्रोन से सीमाओं के पार नशीले पदार्थों और हथियारों की बरसात कर रहा है। बाजवा के मुताबिक, पाकिस्तान के नॉर्को-आतंक को केवल एनडीपीएस कानून या पुलिस रेड से नहीं रोका जा सकता। उनकी मांग है कि सेना, एनआइए, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, बीएसएफ और राज्य पुलिस के समन्वय से ऑपरेशन सिंदूर की तर्ज पर ‘ऑपरेशन चिट्टा’ शुरू किया जाना चाहिए।
पंजाब में सीमा पार से ड्रोन आंतक पर छिड़ी बहस में पंजाब के जेल तथा खनन मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा, ‘‘पाकिस्तान की सीमाओं से 532 किलोमीटर तक सटा पंजाब केवल सीमांत राज्य नहीं बल्कि देश की सुरक्षा ढाल भी है। यहां पाकिस्तान की ‘नार्को टेरर’ रणनीति को तोड़ना पूरे भारत की सुरक्षा के लिए जरूरी है। लगातार ड्रोन घुसपैठ के जरिए नशा और हथियार गिराए जाने वाली घटनाओं के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय राज्य सरकार के साथ संयुक्त रणनीति बनाकर इसे राष्ट्रीय प्राथमिकता में लाए। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह जम्मू-कश्मीर की तरह पंजाब में भी 1980 के दशक वाले आतंकवाद विरोधी मिशन की तर्ज पर काम करे। सीमा पार से ड्रोन को आतंकी हमले के बराबर माना जाए।”
ड्रग्स ड्रोन आतंक
26 अप्रैल: अमृतसर में पाकिस्तानी ड्रोन मार गिराया। 558 ग्राम हेरोइन जब्त।
26 अप्रैल: तरनतारन के डल गांव में 3 ड्रोन मार गिराए।
26 अप्रैल: फिरोजपुर के गांव जाखरांवा और अमृतसर के भैणी राजपूताना से 3 ड्रोन बरामद।
28 अप्रैल: गुरदासपुर के रत्तर-चत्तर गांव के खेत से 8.6 किलोग्राम हेरोइन जब्त।
28 अप्रैल: तरनतारन के गांव बड़गोला से 2 ड्रोन से काफी मात्रा में ड्रग्स गिराए गए।
29 अप्रैल: फिरोजपुर के गांव अराइयां वाला के खेतों से 6.6 किलो हेरोइन।
29 अप्रैल: तरनतारन के वान गांव से हथियार।
29 अप्रैल: अमृतसर के भैणी राजपूताना में ड्रोन का मलबा।
29 अप्रैल: फिरोजपुर, फाजिल्का में हथियारों की बड़ी खेप।
30 अप्रैल: फाजिल्का में पाकिस्तानी ड्रोन मार गिराया।
1 मई: गुरुदासपुर के गांव शाहुरकलां से ड्रोन बरामद किया।
3 मई: तरनतारन के मेंहदीपुर से ड्रोन बरामद किया।
7 मई: 5.465 कि.ग्रा. हेरोइन, ग्रेनेड, टिफिन बम गिराए गए।
16 मई: अमृतसर के भिटेवाड़ में आईएसआई समर्थित नारको तस्करी मॉडयूल में ड्रोन से लाई गई 85 किलो हेरोईन।
(स्रोत: बीएसएफ और पंजाब पुलिस)