एलॉन मस्क ने मुख्यधारा की द्विदलीय प्रणाली वाले देश में अमेरिका पार्टी के गठन की घोषणा की है। दुनिया के सबसे धनी अरबपति मस्क ने यह घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ पर हस्ताक्षर करने के एक दिन बाद की, जिनके वे हाल तक बेहद करीबी और साथ रहे हैं। दरअसल मस्क ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक जनमत सर्वेक्षण कराया। उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हमें अमेरिका पार्टी बनानी चाहिए?’’ उन्होंने उसकी प्रस्तावना में लिखा था कि अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लोगों को जड़ जमाई हुई द्विदलीय प्रणाली से मुक्ति का ऐलान करना चाहिए, जो उनके मुताबिक असलियत में एकदलीय तानाशाही है।
सर्वेक्षण में 12,48,856 लोगों की राय में 65.4 फीसदी ने हां कहा, तो टेस्ला के सीईओ ने ऐलान कर दिया कि अगर लोग नई राजनैतिक पार्टी चाहते हैं, तो वह उन्हें जरूर मिलेगी। उन्होंने आगे कहा, ‘‘बर्बादी और भ्रष्टाचार से हमारे देश को दिवालिया बनाया जा रहा है, तो यह लोकतंत्र नहीं, एकदलीय तानाशाही है।’’ उन्होंने एक अलग पोस्ट में दावा किया कि अमेरिका पार्टी अगले साल होने वाले मध्यावधि चुनावों में भाग लेगी। यह अलग बात है कि अभी, कथित तौर पर, उनकी नई पार्टी के लिए कागजी कार्रवाई नहीं हुई है या उसका पंजीकरण नहीं हुआ है।
अलबत्ता उन्होंने अपनी चुनावी रणनीति का ऐलान कर दिया है, जो ‘‘युद्ध के मोर्चे में एकदम सटीक ठिकाने पर पूरा जोर’’ झोंकने की है। और, बकौल उनके, इसी तरीके से जैसे ‘‘ल्यूक्ट्रा के मैदान में एपामिनोंडास ने स्पार्टन लोगों की अजेयता के मिथक को तोड़ा था’’ (लैटिन पौराणिक-ऐतिहासिक कथा) वैसे ही हम एकदलीय तानाशाही को उखाड़ फेकेंगे।
हालांकि मस्क के सामने एक और चुनौती है। दक्षिण अफ्रीका में जन्म होने के नाते वे राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते। अमेरिका के संविधान में अनुच्छेद 2, खंड 1 के मुताबिक राष्ट्रपति पद के लिए योग्य वही है, जो ‘‘जन्मजात नागरिक’’ हो। हालांकि, वे दूसरे का चुनाव प्रचार कर सकते हैं और धन मुहैया करा सकते हैं।
स्पेस एक्स के मालिक ने 2024 के राष्ट्रपति पद के अभियान में ट्रम्प का समर्थन किया और करीब 25 करोड़ डॉलर का चंदा दिया। उन्होंने कहा था कि वे राष्ट्रपति बनना नहीं चाहते। उन्होंने बोला था, ‘‘मैं तो रॉकेट और कार बनाना चाहता हूं।’’ आगे उन्होंने यह भी कहा था कि अगर ट्रम्प 2024 के चुनावों में जीत जाते हैं, तो वे सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई या डॉज) के लिए पूरा जोर लगा देंगे।
मस्क के इस ऐलान पर राष्ट्रपति ट्रम्प की प्रतिक्रिया भी तीखी होनी ही थी, सो हुई। ट्रम्प बोले, एलॉन पागल हो गया है। मतलब यह है कि अमेरिका पार्टी के ऐलान के बाद मतभेद उभरने से पहले साझा ब्लॉक बनाने के अभियान में बड़े छेद उभर आए हैं। रिपब्लिकन ट्रम्प ने नवंबर के चुनावों में अपनी जीत के लगभग एक सप्ताह बाद कहा था कि मस्क और दूसरे कारोबारी विवेक रामास्वामी की अगुआई में डॉज बनाया जाएगा, जो सरकारी खर्च कम करके उसे चुस्त बनाने की दिशा में काम करेगा। ट्रम्प ने कहा था, ‘‘ये दोनों लाजवाब अमेरिकी मिलकर मेरे प्रशासन के लिए सरकारी नौकरशाही को खत्म करने, अनावश्यक नियमों को कम करने, फिजूलखर्ची कम करने और संघीय एजेंसियों के पुनर्गठन का खर्च उठाएंगे।’’
लेकिन अप्रैल 2025 में अचानक मस्क ने ऐलान किया कि वे डॉज से हट रहे हैं और भविष्य में अपने राजनैतिक खर्च में कटौती करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगले महीने से, मैं अपना ज्यादातर समय टेस्ला में लगाऊंगा।’’ आखिरकार वे 28 मई को ह्वाइट हाउस से विदा हो गए।
बिग बिल की खटास
उसके बाद बड़ी तेजी से, जून के पहले हफ्ते में ही ट्रम्प और मस्क के बीच सामान्य शिष्टाचार भी नहीं बचा। मस्क ने खुलेआम और साफ शब्दों में कर और खर्च योजना से संबंधित ‘द बिग ब्यूटीफुल बिल’ की भर्त्सना की। उसे ‘‘बेहद अपमानजनक व्यय विधेयक’’ और ‘‘घृणित’’ कहा।
इस विधेयक में भारी व्यय और कर कटौती के वादे शामिल हैं और कथित तौर पर आने वाले दशक में अमेरिकी घाटे में 30 खरब डॉलर से ज्यादा की बढ़ोतरी का अनुमान है। इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली दिग्गज कंपनी टेस्ला के मालिक मस्क के लिए यह विधेयक मारक साबित हुआ, क्योंकि उसमें कथित पर्यावरण अनुकूल कोशिशों का टेस्ला जैसी कंपनियों के प्रोत्साहन पर खास जोर नहीं है।
ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, ‘‘एलॉन को इतिहास में अब तक किसी भी इंसान से ज्यादा सब्सिडी मिल सकती है। सब्सिडी के बिना एलॉन को शायद अपनी दुकान बंद करके दक्षिण अफ्रीका वापस लौटना पड़ेगा।’’
एक्स पर जब मस्क से पूछा गया कि आखिर किस बात ने उन्हें ट्रम्प से राहें अलग करने और खुलकर आलोचना करने पर मजबूर कर दिया, तो उन्होंने लिखा, ‘‘बाइडन के कार्यकाल में पहले से ही 20 खरब डॉलर के घाटे को बढ़ाकर 25 खरब डॉलर कर दिया गया है। इससे देश तो पूरी तरह दिवालिया ही हो जाएगा।’’
मस्क का माद्दा
इसी पृष्ठभूमि में इस अरबपति ने पहले अमेरिका पार्टी के गठन का इरादा जाहिर किया और फिर उसकी घोषणा कर दी। मस्क दुनिया के सबसे अमीर आदमी हैं और एक साल से भी ज्यादा समय से अपनी जगह पर बनाए हुए हैं। उनकी कुल संपत्ति 406.5 अरब डॉलर है। उनके पास स्पेसएक्स भी है, जो अमेरिकी सरकार की ओर से रॉकेट लॉन्च करता है और अमेरिकी तथा यूरोपीय रक्षा बलों को कनेक्टिविटी प्रदान करने वाला उपग्रह नेटवर्क स्टारलिंक भी है।
हालांकि अमेरिका की द्विदलीय प्रणाली से अलग पार्टी बनाने की कोशिश में कई शख्सियतें नाकाम हो चुकी हैं। वैसे तो अमेरिका में बहुदलीय प्रणाली है, लेकिन डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियों का दबदबा है। रिफॉर्म, लिबर्टेरियन, सोशलिस्ट, नेचुरल लॉ, कॉन्स्टिट्यूशन और ग्रीन पार्टियों सहित अन्य पार्टियां भी राष्ट्रपति चुनावों में भाग लेती हैं, लेकिन सरकार के तीनों स्तरों पर राजनैतिक क्षेत्र में उन दोनों पार्टियों का हमेशा दबदबा रहता है।
अमेरिका में चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवारों को बहुमत यानी 50 फीसदी से ज्यादा मत हासिल करने की जरूरत नहीं होती है। इसके बजाय, उन्हें केवल कुल पड़े वोटों के आधार पर बहुमत की आवश्यकता होती है, यानी किसी भी दूसरे उम्मीदवार के मुकाबले अधिक प्रतिशत मत मिल जाए तो जीत तय हो जाती है। डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन देश में दो सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टियां हैं, इसलिए उनके उम्मीदवार आम तौर पर यह बहुमत हासिल कर लेते हैं। नतीजतन, छोटी पार्टियां अक्सर चुनावों में नाकाम रह जाती हैं।
अमेरिकी इतिहास
आखिरी बार रिपब्लिकन या डेमोक्रेट के अलावा किसी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को इलेक्टोरल वोट 1968 में मिले थे, जब पांच दक्षिणी राज्यों ने अमेरिकन इंडिपेंडेंट पार्टी के उम्मीदवार जॉर्ज वालेस का समर्थन किया था, जिससे उन्हें डेमोक्रेटिक नीतियों से निराश दक्षिण के गोरे लोगों और ब्लू कॉलर कामगारों का समर्थन मिला था।
अरबपति व्यवसायी रॉस पेरोट को 1992 में लगभग 19 प्रतिशत लोकप्रिय वोट मिले थे लेकिन उन्हें कोई इलेक्टोरल कॉलेज वोट नहीं मिला था।
वैसे, 2000 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान फ्लोरिडा में रिपब्लिकन जॉर्ज डब्ल्यू. बुश और ग्रीन पार्टी के उम्मीदवार राॅल्फ नाडर के बीच मतों का अंतर इतना कम था कि अंततः सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद ही बुश जीत पाए। फिर भी, नाडर को इलेक्टोरल वोट नहीं मिला। तो, मस्क क्या कोई नया रिकॉर्ड बना सकते हैं, कहना मुश्किल है।
मूल रूप से दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया के रहने वाले मस्क 18 साल के भी नहीं हुए थे कि कनाडा पहुंच गए। वहां उन्होंने कई नौकरियां कीं, ओंटारियो के क्वीन्स विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और बाद में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में आ गए, जहां से उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन में दाखिला मिलने के दो दिन बाद ही मस्क ने उसे छोड़ दिया क्योंकि उन्हें लगा कि भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में काम करने के बदले इंटरनेट में समाज को बदलने की कहीं अधिक क्षमता है। उन्होंने 1990 के दशक में ‘डॉटकॉम बूम’ के दौरान दो तकनीकी स्टार्टअप शुरू किए।
इन उपक्रमों में एक वेब सॉफ्टवेयर कंपनी और एक ऑनलाइन बैंकिंग फर्म शामिल थी, जो अंततः पेपॉल के रूप में विकसित हुई। उन्होंने अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा नए रॉकेट उद्यम, स्पेसएक्स, जिसे उन्होंने नासा के किफायती विकल्प के रूप में पेश किया और एक इलेक्ट्रिक कार कंपनी, टेस्ला में निवेश किया, जिसमें 2008 में सीईओ बनने से पहले बोर्ड अध्यक्ष थे।