नब्बे के दशक के मध्य तक तकरीबन 13 साल आतंक का संताप झेलने वाला पंजाब क्या फिर उसी खौफनाक दौर की ओर बढ़ने लगा है? यह सवाल राज्य में इस वजह से मौजू हो उठा है क्योंकि पिछले छह महीने में पुलिस थानों और चौकियों पर हमले की वारदातें हुई हैं। चरम आतंकवाद के दौर में थाने निशाने हुआ करते थे। हालात पर काबू पाने की कारगर रणनीति बनाने के बजाय सरकार और विपक्ष दोनों इस पर सियासी बयानबाजी और समीकरण साधने में उलझे दिखते हैं जबकि विधानसभा चुनाव अभी दो साल दूर हैं। बीते छह महीने में अमृतसर जिले के उसी अजनाला पुलिस थाने पर दो बार हथगोले से हमले किए गए जहां दो साल पहले चरमपंथियों को रिहा करवाने के वास्ते ‘वारिस पंजाब’ के प्रमुख तथा अब खडूरसाहिब से सांसद अमृतपाल ने हमला करके उस पर कब्जा किया था। असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल पर लगे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत बंदी की अवधि 22 अप्रैल को खत्म हो रही थी, लेकिन पंजाब सरकार ने 18 अप्रैल को उसे अगले एक साल तक बढ़ाने का फैसला किया। उसी दिन अजनाला पुलिस थाने पर ग्रेनेड से हमला हुआ। इससे पहले 24 नवंबर 2024 को उसी थाने पर हुए हमले के बाद भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद हुई थी।
इसी तरह 8 अप्रैल को भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोरंजन कालिया के जालंधर स्थित निवास पर हथगोले फेंके गए। पिछले छह महीने में हथगोले से हमले की दो दर्जन से अधिक वारदातें हुईं, जिनमें ज्यादातर बम थानों पर फेंके गए। इन घटनाओं के बीच बीते 17 अप्रैल को अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआइ ने कैलिफोर्निया में बब्बर खालसा तथा पाकिस्तान की आइएसआइ के गुर्गे गैंगस्टर हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पासिया की गिरफ्तारी की। पंजाब के कई हालिया आतंकी हमलों के पीछे पासिया का हाथ होने का खुलासा हुआ है।
अमृतसर के अजनाला के गांव पासिया के मूल निवासी दसवीं पास हरप्रीत पासिया के खिलाफ पंजाब में 33 एफआइआर हैं जिनमें 15 पिछले छह महीने में पुलिस थानों और चौकियों पर हैंड ग्रेनेड के हमलों से जुड़ी हैं। वह पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के हत्याकांड में भी वांछित है। पासिया के तार खालिस्तान समर्थक अमृतपाल से भी जुड़े हैं। पंजाब के पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने कहा, “2023 से 2025 के बीच कई सुपारी हत्याओं और पुलिस थानों पर हमले के मास्टरमाइंड पासिया की अमेरिकी पुलिस द्वारा गिरफ्तारी से पंजाब की कई आतंकी घटनाओं की तह तक जाने में मदद मिलेगी। सीबीआइ के इंटरपोल डिविजन के जरिये पंजाब पुलिस अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे पासिया को जल्द ही पंजाब लाएगी।”
भाजपा नेता मनोरंजन कालिया के घर हमला
आतंकी हमले की वारदातों से विपक्ष के निशाने पर आई आम आदमी पार्टी की सरकार विपक्ष पर ही पुलिसिया कार्रवाई करने पर उतर आई है। कालिया पर हमले के अगले दिन पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, “पाकिस्तान से पंजाब में 50 हैंड ग्रेनेड आ चुके हैं जिनमें 18 फट चुके हैं और बाकी 32 फटने बाकी हैं।” इस बयान को लेकर बाजवा पर 13 अप्रैल को पंजाब पुलिस की एफआइआर दर्ज कर दी। पुलिस ने बाजवा से 16 अप्रैल को छह घंटे तक पूछताछ की। बाजवा के बयान को भगवंत मान सरकार ने राज्य में दहशत फैलाने की कोशिश करार दिया है। कांग्रेस इसे ‘‘राजनैतिक प्रतिशोध’’ बता रही है और राज्य भर में इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। पार्टी का कहना है कि विपक्ष के नेता के बयान को राजनैतिक दृष्टिकोण से देखने के बजाय सरकार ने उसे अपराध की तरह पेश किया।
आउटलुक से बातचीत में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर राजा वड़िंग ने कहा, ‘‘विपक्ष सवाल पूछेगा तो उसे ही कठघरे में खड़ा कर देंगे? प्रताप बाजवा ने राज्य की सुरक्षा पर चिंता जताई थी, न कि कोई झूठा प्रचार किया है।” राहुल गांधी ने भी एक्स पर पोस्ट में लिखा, ‘‘पंजाब की असल समस्या पर ध्यान देने के बजाय विपक्ष को डराने और दबाने की कोशिश की जा रही है।’’
प्रताप बाजवा ने आउटलुक से कहा, “आए दिन थानों पर हैंड ग्रेनेड के हमले जारी हैं। जिस प्रदेश में पुलिस थाने ही सुरक्षित नहीं हैं, वहां लोग कैसे सुरक्षित महसूस कर सकते हैं? प्रदेश के प्रबुद्ध लोग आए दिन गैंगस्टरों की फिरौती और अपहरण की धमकियों से खौफजदा हैं। कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अपनी नाकामी को छुपाने के लिए भगवंत सरकार ओछी हरकतों पर उतर आई है।”
बाजवा पर एफआइआर को कांग्रेस जहां राजनैतिक प्रताड़ना बता रही है, वहीं भाजपा बाजवा के बयान को गंभीर सुरक्षा उल्लंघन मान रही है। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, “जब देश के सामने आतंकी खतरा हो, तब कोई जिम्मेदार नेता कैसे यह कह सकता है कि ‘‘अभी कई ग्रेनेड फटने बाकी हैं?’’ क्या यह आतंकियों को परोक्ष संकेत देने जैसा नहीं है?”
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी बाजवा की आलोचना करते हुए कहा, “राजनीति अपनी जगह है लेकिन ऐसे बयान पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य में गंभीर संकट पैदा कर सकते हैं।” सधी हुई प्रतिक्रिया में शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत चीमा ने कहा, “बाजवा का बयान विचारणीय है, लेकिन उस पर कानून के तहत जो कार्रवाई हो रही है उसे राजनैतिक बदले की भावना से नहीं देखा जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह पारदर्शिता से काम ले और विपक्षी नेताओं से भी लगातार संवाद कायम रखे।”
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, “पंजाब की शांति को भंग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे किसी भी पार्टी से क्यों न हों। बाजवा का बयान आतंक के एजेंडे को बढ़ावा देने जैसा है। आम आदमी पार्टी राजनैतिक बयानबाजी का स्वागत करती है लेकिन जब मामला राज्य की सुरक्षा से जुड़ा है तब हमने सख्त रवैया अपनाया है।” पंजाब से आप के सांसद राघव चड्ढा ने कहा, “कांग्रेस और भाजपा निजी स्वार्थों के लिए पंजाब को बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। बाजवा का बयान गैर-जिम्मेदाराना था और उससे युवाओं में भय का वातावरण बन सकता है।”
बाजवा को पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट से 22 अप्रैल तक फौरी राहत मिली है। कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार और पुलिस को निर्देश दिया कि किसी भी कार्रवाई से पहले पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत किए जाएं। बाजवा के वकील एपीएस देओल ने दलील दी, “जिम्मेदार विपक्ष के नेता का बयान लोकतंत्र का हिस्सा है। हम नेताओं की जुबान पर पुलिस का पहरा बैठा देंगे तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का क्या अर्थ रह जाएगा?”
पंजाब यूनिवर्सिटी के राजनैतिक विश्लेषक प्रो. जसविंदर सिंह सिद्धू का कहना है, ‘‘ऐसे बयान नई बात नहीं हैं, लेकिन जब सुरक्षा एजेंसियों की जांच के दौरान कोई नेता इस तरह के तथ्यपरक दावे करता है तो उसका कानूनी और राजनैतिक असर होता ही है। बाजवा के बयान से ऐसा प्रतीत हुआ मानो उनके पास खुफिया जानकारी हो, जो सिर्फ एजेंसियों को होनी चाहिए। हो सकता है वे सिर्फ सियासत चमकाने के लिए ऐसा कह गए हों?”
राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का खेल पुराना है, और विवादों से सुर्खियां हासिल करने के इस दौर में शायद यह सियासत का नया रंग है, लेकिन आतंकी हमले संगीन हालात की ओर इशारा कर रहे हैं जिन पर संजीदा कार्रवाई की दरकार है।
पासिया की अमेरिकी पुलिस द्वारा गिरफ्तारी से पंजाब की कई आतंकी घटनाओं की तह तक जाने में मदद मिलेगी।
गौरव यादव, डीजीपी, पंजाब
पंजाब की शांति को भंग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे किसी भी पार्टी से क्यों न हों। बाजवा का बयान आतंक के एजेंडे को बढ़ावा देने जैसा है।
भगवंत मान, मुख्यमंत्री, पंजाब
आए दिन थानों पर हैंड ग्रेनेड के हमले जारी हैं। जिस प्रदेश में पुलिस थाने ही सुरक्षित नहीं हैं, वहां लोग कैसे सुरक्षित महसूस कर सकते हैं?
प्रताप सिंह बाजवा, नेता प्रतिपक्ष, पंजाब विधानसभा