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12 मई 2025 · MAY 12 , 2025

फिलस्तीन-इजरायलः द्विराष्ट्र सिद्धांत का अंत?

ट्रम्प और नेतन्याहू की मुलाकात से नहीं निकली कोई उम्मीद
नई पेशबंदीः इजरायली प्रधानमंत्री नेत्यान्हू और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प

जैसी अपेक्षा थी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच हुई बैठक से गाजा या कब्जे वाले वेस्ट बैंक में फिलस्तीनियों के लिए कोई उम्मीद नहीं निकली। जिन लोगों ने युद्ध को समाप्त करने के लिए ट्रम्प से उम्मीद पाली थी, वे अब महसूस कर रहे हैं कि ट्रम्प का एकसूत्री एजेंडा शेष इजरायली बंधकों को बाहर निकालना है और उन फिलस्तीनियों को गाजा से निकालना है जो ‘दुनिया की सबसे बड़ी खुली जेल’ में रहते हैं।

जिस युद्धविराम पर बातचीत जारी है, वह बंधकों को छुड़ाने और गाजा पर इजरायल के युद्ध को समाप्त करने के सीमित उद्देश्य के लिए है। यह सच है कि ट्रम्प युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं, लेकिन इजरायल का पहले से ही गाजा के 50 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण है। इसीलिए हमास और इजरायल के बीच तथाकथित शांति समझौते के चरण तीन और चार पर कभी गंभीरता से विचार नहीं किया गया। वहां रहने वाले लगभग बीस लाख लोगों के साथ क्या होगा, यह प्राथमिकता में नहीं है।

ट्रम्‍प ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम सभी बंधकों को बाहर निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन साथ ही गाजा में हमास के अत्याचार को खत्म करने और गाजा के लोगों को स्वतंत्र रूप से जहां चाहें वहां जाने का विकल्प चुनने में सक्षम बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।’’ गाजा के लोग अपनी मातृभूमि पर रहना चाहते हैं। राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि जो चाहें वे वहां बने रह सकते हैं, लेकिन उनका जोर किसी अरब देश में ठिकाना खोजने वाले अधिकांश लोगों पर था।

नेतन्याहू ने गाजा के लिए ट्रम्प के ‘साहसिक दृष्टिकोण’ की प्रशंसा की जिसमें अमेरिका का उस पर कब्जा भी शामिल था, जिसका ट्रम्प ने पहले आह्वान किया था। ट्रम्प ने इस विचार को अब तक नहीं छोड़ा है। उन्होंने एक बार फिर से कहा है कि ‘‘गाजा पट्टी को नियंत्रित करने और उस पर स्वामित्व के लिए अमेरिकी जैसी शांति सेना एक अच्छा उपाय होगी।’’

द्विराष्ट्र समाधान का अंत?

एक राजनीतिक समाधान के लिए लंबे समय से लंबित फिलस्तीन का मुद्दा नेतन्याहू के एजेंडे पर कभी नहीं था। उनका विचार फिलिस्तीनियों को उनकी मातृभूमि से बाहर निकालकर नदी से समुद्र तक इजरायल की सीमाओं का विस्तार करना है। आरंभ में इजरायल को फिलस्तीनी क्षेत्र से अलग किया गया था और आज स्थिति यह है कि दुनिया के नेता द्विराष्ट्र समाधान पर कायदे से मुंह तक नहीं खोलते हैं। ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ में यकीन रखने वाले ट्रम्प कभी भी फिलस्तीनी राज्य के लिए बोलने वाले नहीं हैं। ऐसे में नेतन्याहू को शह मिलती है। इजरायल ने पहले बाइडन और अब ट्रम्प के राज में अमेरिकी समर्थन से अपनी सैन्य श्रेष्ठता दिखा ही दी है।

इजरायल ने गाजा को भले नष्ट कर दिया हो, पर हमास अब भी कायम है। यह नेतन्याहू को सैन्य अभियानों और आतंक के खिलाफ इजरायल के युद्ध को जारी रखने का बहाना देता है। उन्हें इसके लिए ट्रम्प का पूरा समर्थन हासिल है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन भी द्विराष्ट्र समाधान में विश्वास करते थे, हालांकि उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं किया। यूरोप ने हमेशा इजरायल और एक फिलिस्तीनी राज्य के सद्भाव में कंधे से कंधा मिलाकर रहने की धारणा का समर्थन किया था। ओस्लो समझौता उसी का हिस्सा था, लेकिन आज वह सब दफन हो चुका है।

गाजा के लोगों के लिए विकल्प बहुत कम है। उनकी भूमि पहले ही तबाह हो चुकी थी, फिर भी साहस और दृढ़ता के साथ वे लौटने और अपनी जिंदगी दोबारा गढ़ने को तैयार हैं। इजरायल ऐसा कभी नहीं चाहेगा। नेतन्याहू के रूढ़िपंथी जनाधार यानी यहूदी बाशिंदों का मानना है कि बाइबिल में मूसा ने जिस भूमि का वादा किया था उसे फिर से बनाने और फिलिस्तीनियों को बाहर निकालने का अब समय आ गया है और वे इसके बहुत करीब हैं। ट्रम्प और नेतन्याहू खुलकर इस बारे में बात भी कर रहे हैं।

तुर्किए के पत्रकार इफ्तिखार गिलानी के मुताबिक, ट्रम्प और नेतन्याहू की मुलाकात गाजा को लेकर उतनी नहीं थी जितनी अमेरिका और ईरान के बीच मौजूदा बातचीत को लेकर थी। ट्रम्प यह तय करना चाहते हैं कि इजरायल ईरान पर एकतरफा कार्रवाई न करे। नेतन्याहू, हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायल के अभियान और यमन में हूथियों के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई से उत्साहित हैं, इसलिए वे ईरान से निपटने को उत्सुक हैं। गिलानी का मानना है कि ट्रम्प तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दुआं और नेतन्याहू के बीच की खाई को पाटने की भी कोशिश करेंगे।

 

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