पहलगाम में नृशंस आतंकी हमले में 26 मासूमों की जान जाने के बाद जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान से सिंधु जल संधि स्थगित करने के ऐलान पर अमल में तो वक्त लगेगा, लेकिन देश के अंदर दो पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा के बीच पानी को लेकर घमासान शुरू हो चुका है। पंजाब ने हरियाणा को पानी देने वाले भाखड़ा बांध के पानी पर पहले ही पुलिस का पहरा बैठा दिया है। केंद्र के हस्तक्षेप के बाद भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के लिए राजी तो हुआ पर पंजाब ने भाखड़ा से हरियाणा को अतिरिक्त पानी पर बंदिश लगाकर बाकायदा नंगल बांध की तालाबंदी कर दी है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देश पर हरियाणा का पानी रोकने के लिए नंगल बांध का कंट्रोलिंग स्टेशन भारी पुलिस के पहरे में है।
जल बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों में छिड़े विवाद को लेकर हालांकि केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने 2 मई को बीबीएमबी और पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के आला अधिकारियों से बैठक में पंजाब सरकार को नंगल बांध से पुलिस पहरा हटाए जाने और हरियाणा को अगले आठ दिन 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के आदेश दिए हैं। लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान कहते हैं, “केंद्र के दबाव में तानाशाही से भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड पंजाब के पानी को लूटना चाहता है। इसमें हरियाणा और राजस्थान की भाजपा सरकार भी शामिल है। भाखड़ा के पानी में 60 फीसदी हिस्सेदारी पंजाब की है। आबादी के मुताबिक हरियाणा का हिस्सा 1700 क्यूसेक बनता है और इस हिसाब से उसके कोटे का पानी मार्च में ही खत्म हो चुका है। इस साल हमारे बांधों में जलस्तर 50 फुट तक कम है, बावजूद इसके मानवता के आधार पर हरियाणा को 4000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है। मार्च और अप्रैल में ही हरियाणा अपने हिस्से के आवंटित पानी से 16,000 क्यूसेक अतिरिक्त पानी ले चुका है।”
उधर, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 3 मई को सर्वदलीय बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “सवैंधानिक पद पर आसीन पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा का पानी रोक कर असंवैधानिक काम किया है। यह पहली बार है जब भाखड़ा से हरियाणा की जलापूर्ति रोकी गई है। बीबीएमबी ने हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी देने का फैसला किया था, जिसे मान सरकार ने लागू नहीं किया। पंजाब पहले से ही आवंटित हिस्से से अधिक पानी का इस्तेमाल कर रहा है। हरियाणा को उसके हिस्से का पानी देने के बजाय पंजाब को यह मंजूर है कि पानी हमारे मासूमों का खून बहाने वाले दुश्मन देश पाकिस्तान को जाता रहे।”
नंगल डैम पर मुख्यमंत्री मान
पंजाब ने 18 अप्रैल से भाखड़ा नहर से हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी घटाकर 4 हजार क्यूसेक कर दिया था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बाकायदा एक वीडियो के जरिए दी। लेकिन एक मई को भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने हरियाणा को 8500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की आपूर्ति भाखड़ा मेन लाइन से नंगल बांध के जरिए शुरू की। यह जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री भगवंत मान नंगल बांध पहुंच गए। वहां भारी पुलिस बल के पहरे में कैबिनेट मंत्री हरजोत बैंस ने बांध के कंट्रोलिंग स्टेशन की चाबियां बीबीएमबी के अधिकारियों से लेकर पुलिस को सौंप दी। इस घटना पर आउटलुक से बातचीत में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने बताया कि, “बांध पर पुलिस की तैनाती बीबीएमबी के नियमों का उल्लंघन है। इसकी जानकारी केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय गृह सचिव को दी गई है।”
नंगल डैम की तालाबंदी पर दोनों राज्यों में छिड़े सियासी घमासान के बीच पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने इस कार्रवाई पर विपक्ष का समर्थन जुटाने के लिए 2 मई को चंडीगढ़ पंजाब भवन में सर्वदलीय बैठक बुलाई। फिर, 5 मई को विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में पानी के मसले पर विशेष प्रस्ताव लाया जाएगा। इस मसले पर हरियाणा विधानसभा का भी विशेष सत्र बुलाए जाने पर जोर देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आउटलुक से कहा, “पंजाब की मनमानी सभी हदें पार कर चुकी है। 1996 में सुप्रीम कोर्ट के एसवाइएल का निर्माण पूरा करने के आदेश को पंजाब ने अभी तक लागू नहीं किए। उल्टा खोदी गई नहर को भी पंजाब की अकाली-भाजपा सरकार ने 2016 में रातोरात पाट दिया था।”
विडंबना देखिए कि पानी के मसले पर पंजाब के भाजपाइयों के सुर हरियाणा की भाजपा सरकार के खिलाफ हैं। दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए यहां के भाजपाई अभी से पंजाब की सियासी जमीन जल बंटवारे के मुद्दे को सींचने में लगे हैं। हरियाणा को पानी के विरोध में पंजाब में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के अलावा भाजपाइयों के भी रोष प्रदर्शन जारी है।
सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए पंजाब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने आउटलुक से कहा, “भीषण गर्मी और धान के सीजन में पहले ही पंजाब पानी की किल्लत से जूझ रहा है, बावजूद इसके हरियाणा को पहले ही 4 हजार क्यूसेक पानी दिया जा रहा है। पंजाब पर दबाव बनाया जा रहा है मगर पंजाबी जोर-जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं करते। मैं और मेरी पार्टी पंजाब के साथ खड़े हैं, पर बांध पर ताले और पुलिस का पहरा उचित व्यवहार नहीं है। दोनों राज्यों के बीच सहमित से पानी का बंटवारा हो।”
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री परणीत कौर ने पटियाला में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “बीबीएमबी ने हरियाणा को उसके 1900 क्यूसेक हिस्से से अधिक 8500 क्यूसेक पानी दिया है। हम नहीं चाहते हैं कि पंजाब के पानी की एक भी अधिक बूंद दूसरे राज्य को दी जाए।”
सर्वदलीय बैठक में शामिल कांग्रेस नेता तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने कहा, “बांध सुरक्षा अधिनियम रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि बीबीएमबी अपना एकाधिकारी समझता है।” अकाली दल के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ ने कहा, “पानी का मुद्दा पंजाब की जिंदगी और मौत का सवाल है। केंद्र ने मामला उलझाया है। हम कानूनी तौर अपना पक्ष रखेंगे।”
भाखड़ा का पानी 8,500 क्यूसेक से घटाकर 4,000 क्यूसेक कर दिया गया, तो पूरे हरियाणा में पेयजल की भयंकर किल्लत है। 215 जलघर पूरी तरह सूख चुके हैं। कुरुक्षेत्र, जींद, फतेहाबाद, सिरसा, भिवानी, दादरी, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ में गंभीर जल संकट है। भीषण गर्मी में पूरे प्रदेश में टैंकर माफिया हावी है और 1,000 रुपये प्रति टैंकर के हिसाब से वसूली हो रही है। 15 मई से पहले कपास की फसल-नरमा की बिजाई होनी है। हरियाणा के ‘कॉटन बाउल’ सिरसा, हिसार और फतेहाबाद में गंभीर संकट है, जहां 5 लाख हेक्टेयर नरमा की बुआई होती है। लेकिन पंजाब ने स्पष्ट किया है कि 21 मई से पहले हरियाणा को किसी सूरत में अतिरिक्त पानी नहीं दिया जाएगा। पंजाब के इस फैसले के विरोध में हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी में है।
हरियाणा की जल संसाधन तथा सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने पंजाब के रवैये पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा, “दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की सरकार थी तब तक पंजाब सरकार की ओर से पानी नहीं रोका गया। अब दिल्ली में आप सरकार नहीं है, तो यह तमाशा किया जा रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने पद की गरिमा न रखते हुए पानी रोकने का काम किया है।”
समझौतों की सियासत
1966 पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत भाखड़ा, ब्यास और सतलुज का पानी पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर को आवंटित
1976 पानी का बंटवारा: पंजाब, हरियाणा और दिल्ली को 30.50 लाख एकड़ फुट
1981 पंजाब-40.22 लाख एकड़ फुट, हरियाणा-30.83 लाख एकड़ फुट, राजस्थान-80.60 लाख एकड़ फुट
1981 पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच सतलुज-यमुना लिंक (एसवाइएल) 214 कि.मी नहर निर्माण पर त्रिपक्षीय समझौता। नहर अधूरी
1985 राजीव-लोंगोवाल समझौता। एसवाइएल नहर का निर्माण और जल बंटवारा। समझौता लागू नहीं हुआ
1987 रावी-ब्यास जल विवाद न्यायाधिकरण ने पंजाब को 50 लाख एकड़ फुट, 30.83 लाख एकड़ फुट
1996 एसवाइएल नहर पूरी करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के पक्ष में, पंजाब को नहर निर्माण पूरा करने का आदेश
2004 पंजाब विधानसभा में जल समझौता निरस्त करने का कानून पारित
2016 सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने पंजाब के समझौता रद्द करने के कानून को असंवैधानिक है।
2025 एसवाइएल पर गतिरोध बरकरार