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मैगज़ीन डिटेल

आवरण कथा/बाढ़ः ढहते पहाड़, जलमग्न धरती

बादल फटने और तेज बारिश ने पहाडों से लेकर मैदानी इलाकों तक ऐसी तबाही मचाई, जिससे प्रलय के नजारे साकार हो उठे, उससे भी बड़ी आशंका अंधाधुंध विकास को लेकर खड़े हुए

बिहारः राहुल वोट गोलबंदी

वोटर अधिकार यात्रा राष्ट्रीय सुर्खियां बनी और इंडिया ब्लॉक की एकजुटता की गवाह भी लेकिन असली सवाल यही कि इसका महागठबंधन और खासकर कांग्रेस के लिए चुनावी हासिल क्या होने जा रहा है, इसी पर देश की केंद्रीय राजनीति भी निर्भर

बिहार/नजरियाः वोट कटा तो लोकतंत्र मिटा

एसआइआर के जरिए लोकतंत्र में हिस्सेदारी सीमित करने की चुनाव आयोग की प्रक्रिया सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के मूल सिद्धांत के साथ विश्वासघात

कर्नाटकः उद्घाटन पर रस्साकशी

विश्व प्रसिद्ध मैसूरू दशहरा समारोह बुकर पुरस्कार विजेता कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने पर गरमाया

आवरण कथा/बाढ़ः हर साल का संकट

हर मानसून में यमुना में बाढ़ से विस्थापित लोगों के लिए, अस्थायी आश्रय स्थल रीत न बन जाए, उपाय सोचने होंगे

आवरण कथा/नजरिया: आपदा की जबावदेही तय करना जरूरी

बाढ़ ‘अप्रत्याशित प्राकृतिक त्रासदी’ नहीं, यह गलत फैसलों, लापरवाह नीतियों और ढीली जवाबदेही का नतीजा

आवरण कथा/इंटरव्यू: ‘नदी अपनी जगह लौट आती है’

उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर के पहाड़ों, और राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार के मैदानी इलाकों में भूस्खलन और बाढ़ की विभीषिका जारी है

आवरण कथा/नजरियाः विकास के नाम तबाही न बुलाइए

। हिमालयी क्षेत्रों में तापमान बढ़ रहा है। इससे उन जगहों पर भी बारिश हो रही है, जहां पहले नहीं होती थी

आवरण कथा/बाढ़ः वनों की कटाई विनाश को बुलावा

सरकार की नीयत अपने हरित क्षेत्र की रक्षा करने की नहीं दिखती, उसका ध्यान व्यावसायिक दोहन पर ज्यादा दिखता है, सो प्रकृति का कोप बढ़ रहा

खेलः खिलाड़ियों का अनाड़ीपन

कई कारणों से भारतीय खिलाड़ी विवादों में रहे, खिलाड़ियों के इस स्याह पक्ष ने कभी खेल की गरिमा को ठेस पहुंचाई तो कभी समूचे तंत्र की

गुरु दत्त शताब्दी वर्षः गीत जो बन गए मोती

गुरु दत्त ने गानों के फिल्मांकन को कला की तरह पेश किया, जिसमें गानों ने मधुरता के साथ कहानी को आगे ले जाने का काम किया

सप्तरंग

ग्लैमर जगत की खबरें

महिला सुरक्षाः सिकुड़ते महफूज ठिकाने

राष्ट्रीय वार्षिक रिपोर्ट तथा सूचकांक (एनएआरआइ) में महिलाओं की असुरक्षा तेजी से बढ़ी

वित्त-विधानः कर्ज सुरक्षित उठाएं या असुरक्षित?

कर्ज लेने से पहले वित्तीय उद्देश्यों, जोखिम उठाने की क्षमता और क्रेडिट प्रोफाइल का आकलन जरूरी

प्रथम दृष्टिः आफत की बूंदें

पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली सहित देश के कई महानगरों में जल-जमाव की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। हर मानसून से पहले अधिकारी जलनिकासी के इंतजाम के दावे करते हैं, जो मिनटों की बारिश में खोखले साबित होते हैं

पत्र संपादक के नाम

पाठको की चिट्ठियां

शहरनामाः चंपावत

चंपावत की सांस्कृतिक पहचान की चर्चा देवीधूरा के बुग्वाल मेले के बिना अधूरी है

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