तय समय में फ्लैट नहीं देने पर बिल्डर 10 फीसदी की दर से खरीददार को ब्याज देगा
केंद्र सरकार ने रियल एस्टेट रेगुलेटर बिल के कानून बनने के बाद नियमों का जो ड्राफ्ट तैयार किया है उसमें ये प्रावधान शामिल है।
फिक्की के एक समारोह में मध्य प्रदेश रेरा के चेयरमैन एंथोनी डी सा ने बताया कि नए प्रावधान के लागू होने के बाद बिल्डरों को प्रोजेक्ट देरी में सावधान होना होगा। मध्य प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली संघ के अधिकारी भी समारोह में उपस्थित थे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव शहरी विकास विभाग पंजाब विनी महाजन ने कहा कि बिल्डरों को अपने पूर्व के प्रोजेक्ट के विज्ञापन और मार्केटिंग के लिए पंजीयन की आवश्यकता नहीं है। अधिकारियों के अनुसार निर्माणाधीन प्रोजेक्ट के लिए पंजीयन की तारीख 31 जुलाई निर्धारित की गई है।
उल्लेखनीय है कि पिछली एक मई से रियल एस्टेट रेगुलेटर कानून लागू हो चुका है। अब केंद्र सरकार इसके लिए नियम तैयार कर रही है, जिसके आधार पर राज्य अपने यहां रियल एस्टेट रेगुलेटर का खाका तैयार करेंगे। इस रेगुलेटर का उद्देश्य है कि बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगाई जाए, और घर खरीदार के अधिकारों में बढ़ोतरी की जाए।
केंद्र सरकार ने इसके लिए नियमों का ड्राफ्ट तैयार कर उस पर सुझाव मांगे हैं। नए नियमों के तहत हर प्रोजेक्ट को राज्य के रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के पास रजिस्टर कराना जरूरी होगा। इसके अलावा बिल्डर को अपने प्रोजक्ट की पूरी जानकारी अथॉरिटी को देना होगा। बिल्डर घर देने पर देरी करते हैं तो उन्हें 10 फीसदी की दर से ब्याज बतौर मुआवजा घर खरीदारों को देना पड़ेगा है। ड्राफ्ट नियमों पर मंत्रालय ने 8 जुलाई तक राय मांगी है।