01 May 2017
आज से लागू हुआ एक नया एक्ट, जानिए इसके बारे में
इस एक्ट के तहत सुनिश्चित किया गया है कि बिल्डरों को तय समय के भीतर ग्राहक को मकान देना ही होगा, साथ ही घटिया निर्माण करने या किसी तरह की धोखाधड़ी करने पर बिल्डर को जेल भी जाना पड़ सकता है। खरीददार को शोषण से बचाने के लिए यह कानून मार्च, 2016 में संसद में पास हुआ था और एक मई, 2017 से यह कानून फिलहाल 12 राज्यों में लागू हो गया है।
जानिए, क्या है प्रावधान?
- इस एक्ट में प्रावधान है कि सभी बिल्डरों को जुलाई के अंत तक पहले से चल रहे और नये आवासीय प्रोजेक्ट को रीयल इस्टेट अथॉरिटी में पंजीकरण कराना होगा।
- इसके मुताबिक प्रत्येक प्रोजेक्ट का अथॉरिटी से सेक्शन प्लान और ले-आउट प्लान अपनी वेबसाइट के साथ सभी कार्यालयों की साइट्स पर छह वर्ग फीट के बोर्ड पर लगाना होगा। इसके बाद ही बिल्डर फ्लैट की बुकिंग शुरू की जा सकेगी।
- एक्ट के अनुसार बिल्डर खरीददार से समझौता करते वक्त ही बता देगा कि फ्लैट कब तक उसे सौंप दिया जायेगा। इससे बिल्डर व खरीदार के बीच किसी तरह की गलतफहमी की गुंजाइश नहीं बचेगी।
- प्रावधान है कि पजेशन देने या लेने में देरी होने पर बिल्डर या खरीदार को स्टेट बैंक की दर से दो फीसदी अधिक ब्याज देना होगा। शर्तों का उल्लंघन हुआ, तो बिल्डर को तीन साल तक की सजा भी हो सकती है।
- अब रेग्युलेटर की नियुक्ति की जायेगी, जो केंद्र के मॉडल कानून के मुताबिक नियम बनायेगा। ग्राहक रेग्युलेटर के पास ही शिकायत दर्ज करायेंगे।
- इस एक्ट में अपार्टमेंट या घर की बिक्री के पांच साल तक बिल्डिंग में खामी सामने आती है, तो डेवलपर उसे 30 दिन के अंदर दुरुस्त करायेगा, नहीं तो खरीदार को मुआवजा का भुगतान करेगा।
- प्रोजेक्ट के लिए खरीदारों से ली गई रकम का 70% अलग अकाउंट में रखना पड़ेगा। इसका इस्तेमाल उसी प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन में होगा।
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