दो हजार के डिजिटल लेन देन पर सरकार देगी एमडीआर
दो हजार रुपये के डिजिटल ट्रांजेक्शन पर दो साल तक सरकार मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) देगी। यह सुविधा नए साल में पहली जनवरी से अमल में आएगी। शुक्रवार को यह फैसला केंद्रीय केबिनेट ने लिया।
डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए सरकार बैंकों और व्यापारियों को एमडीआर का भुगतान करेगी। डेबिट कार्ड, आधार के जरिए पेमेंट, यूपीआई (भीम यूपीआई) से पेमेंट करने पर सरकार यह राशि वापस करेगी। असल में एमडीआर वह कमीशन होता है जोप्रत्येक कार्ड ट्रांजेक्शन सेवा के लिए दुकानदार बैंक को देता है। कार्ड ट्रांजेक्शन के लिए पॉइंट ऑफ सेल मशीन बैंक के द्वारा लगाई जाती है। बैंक द्वारा एमडीआर के तौर पर कमाई गई राशि में से कार्ड जारी करने वाले बैंक और कुछ हिस्सा पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स जैसे वीजा, मास्टरकार्ड या एनपीसीआई को दिया जाता है। इस चार्ज के कारण ही दुकानदार कार्ड से पेमेंट पर हिचकते हैं। एमडीआर को रिजर्व बैंक तय करता है।
यह सिस्टम ठीक से काम करे, इसके लिए एक कमिटी बनाई गई है। अप्रैल से सितंबर 2017 में केवल डेबिट कार्ड से 2 लाख 18 हजार, 700 करोड़ का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ है। इस हिसाब से इस वित्त वर्ष के अंत तक यह 4 लाख 37 हजार करोड़ का हो जाएगा।
2012 से भारतीय रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर 0.75 फीसदी एमडीआर तय कर रखा है, जबकि 2,000 से ऊपर के ट्रांजेक्शन पर एक फीसदी लिया जाता है। पिछले दिनों ही रिजर्व बैंक ने एमजीआर रेट में बदलाव किया है, जो पहली जनवरी 2018 से लागू होगा। तब 20 लाख रुपये तक के सालाना कारोबार वाले छोटे मर्चेंट के लिए एमडीआर शुल्क 0.40 फीसदी होगा और जिसमें प्रति सौदा शुल्क की सीमा दो सौ रुपये है। बीस लाख से ज्यादा अधिक का कारोबार है तो एमडीआर 0.90 फीसदी देना होता है। इसमें प्रति लेनदेन एक हजार रुपये शुल्क की सीमा है।