बंबई हाईकोर्ट ने हटाया मैगी से प्रतिबंध, 3 लैब से जांच के आदेश
मुंबई। बंबई हाईकोर्ट ने मैगी नूडल्स पर प्रतिबंध लगाने का खाद्य नियामकों का आदेश निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने नेस्ले को उसके सभी प्रकार के नूडल्स के पांच-पांच नमूने ताजा जांच के लिए पंजाब, हैदराबाद और जयपुर की तीन स्वतंत्र प्रयोगशालाओं में भेजने की अनुमति दी है। ये प्रयोगशालाएं नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फार टेस्टिंग एंड कैलीब्रेशन लेबोरेटरीज से मान्यता प्राप्त हैं। जांच में मैगी नूडल्स में सीसे की मात्रा स्वीकार्य मानकों के भीतर पाए जाने पर ही नेस्ले को नूडल्स के उत्पादन और बिक्री की अनुमति दी जाएगी। प्रयोगशालाओं को छह हफ्ते के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। जांच के लिए मैगी के नमूने प्रतिबंध के बाद कंपनी द्वारा सुरक्षित रखे गए 750 सैंपलों में से लिए जाएंगे। गौरतलब है कि देश भर में मैगी नूडल्स पर प्रतिबंध के बाद बड़ी मात्रा में स्टॉक को नष्ट करना पड़ा था।
इस मामले टिप्पणी करते हुए बंबई हाईकोर्ट के जस्टिस वीएम कनाडे और जस्टिस बीपी कोलाबावाला ने कहा कि मैगी नूडल्स पर प्रतिबंध लगाते समय नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया। जिन प्रयोगशालाओं में नमूनों की जांच की गई, वह अधिकृत नहीं थीं। अदालत ने खाद्य नियामकों द्वारा स्थगनादेश दिये जाने के आग्रह को ठुकरा दिया है। न्यायाधीशों ने कहा कि कंपनी ने लिखित हलफनामा दिया है कि तीन प्रयोगशालाओं के नतीजे आने तक वह ना तो मैगी नूडल्स बनाएगी या ना ही इन्हें बेचेगी।
नेस्ले का तर्क
खाद्य नियामक एफएसएसएआई और महाराष्ट्र के एफडीए ने यह कहते हुए मैगी नूडल्स को प्रतिबंधित किया था कि उनके द्वारा जांचे गये नमूनों में अनुमन्य सीमा से अधिक सीसा पाया गया है। जबकि नेस्ले का तर्क था कि उसके उत्पाद में अनुमन्य सीमा से अधिक सीसा नहीं है। नेस्ले के वकील ने आरोप लगाया कि एफएसएसएआई और एफडीए ने मैगी नूडल्स की नौ किस्मों पर प्रतिबंध लगाने से पहले कंपनी को उसका पक्ष रखने का मौका नहीं दिया और इस प्रकार उसने न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत का उल्लंघन किया है। छागला का तर्क था कि केवल तीन ही किस्मों का परीक्षण किया गया था जबकि नियामकों ने प्रतिबंध मैगी नूडल्स की सभी नौ किस्मों पर लगा दिया।