सेंसर बोर्ड: गालियों पर निर्णय से पहले विचार
निहलानी के कार्यभार संभालने के बाद ऐसे आपत्तजिनक 28 शब्दों की सूची जारी की गई थी। इसके लिए सेंसर बोर्ड की कड़ी आलोचना भी हुई। निहलानी को भाजपा विचारधारा के करीब माना जाता है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने एक बयान में बताया कि निहलानी के पद संभालने के बाद बोर्ड की पहली बैठक हुई।
जिसमें अपशब्दों के मुद्दे पर चर्चा हुई और यह बात उभर कर सामने आई कि इस मसले पर अभी और विचार करने की जरूरत है। बयान में बोर्ड के सीईओ श्रवण कुमार ने कहा कि आपत्तिजनक शब्दों की सूची क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा वर्ष 2003 में बनाई गई थी। उनके पद संभालने के बाद बोर्ड की पहली बैठक में बोर्ड ने इस मुद्दे पर चर्चा की और पाया कि इसे लागू करने से पहले इस पर समाज के विभिन्न वर्गों से अभी और विचार विमर्श कर लयि जाना चाहिए।
बयान में कहा गया है इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा के लिए बोर्ड अलग से एक बैठक करेगा। हाल ही में बोर्ड ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए कई दौर की बैठक की थी। बोर्ड ने इससे पहले गाली गलौज वाले कई शब्दों की एक सूची जारी की थी जिसमें क्षेत्रीय अधिकारियों से इस तरह के शब्दों वाली फिल्मों को रिलीज प्रमाणत्रा देने से मना किया गया था। सूत्रों ने बताया कि सेंसर बोर्ड से पैदा होने वाले विवादों को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी खुश नहीं है।