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13 January 2017

मांझा पर लागू रहेगा प्रतिबंध

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न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता, गुजरात के कारोबारियों का समूह, राहत के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण जा सकता है। याचिकाकर्ताओं ने पिछले साल 14 दिसंबर को शीशा मिश्रित डोर के इस्तेमाल पर लगायी गई अंतरिम रोक के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।

इन कारोबारियों के वकील का कहना था कि कानूनी प्रावधानों पर विचार किए बगैर ही अधिकरण ने इस तरह का प्रतिबंध लगाने का आदेश दे दिया है। उनका कहना था कि डोर के साथ मांझा दशकों से इस्तेमाल हो रहा है और इससे मनुष्य, मवेशियों और पक्षियों को खतरा होने का मसला कभी भी नहीं उठा।

पीठ ने कहा कि चूंकि यह डोर शीशा मिश्रित है, इसलिए यह मवेशियों और पक्षियों के लिए नुकसानदेह हो सकती है। अधिकरण ने पिछले साल मांझा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि शीशा और धातु पाउडर मिश्रित डोर पर्यावरण के लिए खतरा पेश करती है। अधिकरण ने कहा था कि प्रतिबंध का यह आदेश शीशा मिश्रित नायलान, चीनी और देसी मांझा पर लागू होगा आौर उसने मांझा एसोसिएशन को निर्देश दिया था कि पंतग की डोर के हानिकारक प्रभावों के बारे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को रिपोर्ट पेश करे।

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अधिकरण ने इससे पहले पशु अधिकारों की संस्था पीपुल फार एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स (पेटा) की याचिका पर सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस संगठन ने दलील दी थी कि इस तरह के मांझा से मनुष्य और पशुओं को गंभीर खतरा हो रहा है और हर साल इसकी वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हो रही है। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह मांझा जब करेंट चालित बिजली के तारों के संपर्क में आता है तो इससे इलेक्ट्रिक ग्रिड भी फेल हो जाती है। (एजेंसी)

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TAGS: मांझा, पतंग, प्रतिबंध, सुप्रीम कोर्ट
OUTLOOK 13 January, 2017
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