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25 October 2020

आपराधिक घटना को अंजाम देने वाले लोग तुरंत पकड़े जाएं, सरकार करे सुनिश्चित: मोहन भागवत

विजयादशमी के मौके पर आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में शस्त्र पूजन में हिस्सा लिया उसके बाद कई मोर्चों पर उन्होंने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर पूर्ण नियंत्रण रहे और फिर भी घटनाएं होती हैं तो उसमें दोषी व्यक्ति तुरंत पकड़े जाएँ और उनको कड़ी से कड़ी सजा हो।

उन्होंने कहा कि समाज में किसी प्रकार से अपराध की अथवा अत्याचार की कोई घटना हो ही नहीं,अत्याचारी व आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर पूर्ण नियंत्रण रहे और फिर भी घटनाएं होतीहैं तो उसमें दोषी व्यक्ति तुरंत पकड़े जाएँ और उनको कड़ी से कड़ी सजाहो,यह शासन प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए।

वहीं संघ प्रमुख ने चीन को भी कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि इस महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही यह तो कहा ही जा सकता है, परंतु भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार से अतिक्रमण का प्रयास अपने आर्थिक सामरिक बल के कारण मदांध होकर उसने किया वह तो सम्पूर्ण विश्व के सामने स्पष्ट है।

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भागवत ने कहा, भारत का शासन, प्रशासन, सेना तथा जनता सभी ने इस आक्रमण के सामने अड़ कर खड़े होकर अपने स्वाभिमान, दृढ़ निश्चय व वीरता का उज्ज्वल परिचय दिया, इससे चीन को अनपेक्षित धक्का मिला लगता है। इस परिस्थिति में हमें सजग होकर दृढ़ रहना पड़ेगा।


वहीं उन्होंने कहा कि श्रीलंका, बांग्लादेश, ब्रह्मदेश, नेपाल ऐसे हमारे पड़ोसी देश, जो हमारे मित्र भी हैं और बहुत मात्रा में समान प्रकृति के देश हैं, उनके साथ हमें अपने सम्बन्धों को अधिक मित्रतापूर्ण बनाने में अपनी गति तीव्र करनी चाहिए।

 

मोहन भागवत ने कहा कि “हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अदम्य वीरता, हमारे शासनकर्ताओं का स्वाभिमानी रवैया तथा हम सब भारत के लोगों के दुर्दम्य नीति-धैर्य का परिचय चीन को पहली बार मिला है। हम सभी से मित्रता चाहते हैं।वह हमारा स्वभाव है।परन्तु हमारी सद्भावना को दुर्बलता मानकर अपने बल के प्रदर्शन से कोई भारत को चाहे जैसा नचा ले,झुका ले,यह हो नहीं सकता,इतना तो अब तक ऐसा दुःसाहस करने वालों को समझ में आ जाना चाहिए।”

हिंदुत्व को लेकर उन्होंने कहा, ‘हिन्दुत्व’ऐसा शब्द है,जिसके अर्थ को पूजा से जोड़कर संकुचित किया गया है।संघ की भाषा में उस संकुचित अर्थ में उसका प्रयोग नहीं होता।वह शब्द अपने देश की पहचान को,अध्यात्म आधारित उसकी परंपरा के सनातन सातत्य तथा समस्त मूल्य सम्पदा के साथ अभिव्यक्ति देने वाला शब्द है। संघ मानता है कि ‘हिंदुत्व’शब्द भारतवर्ष को अपना मानने वाले,उसकी संस्कृति के वैश्विक व सर्वकालिक मूल्यों को आचरण में उतारना चाहने वाले तथा यशस्वी रूप में ऐसा करके दिखाने वाली उसकी पूर्वज परम्परा का गौरव मनमें रखने वाले सभी 130करोड़ समाज बन्धुओं पर लागू होता है।”

संघ प्रमुख ने कहा, “भारत की विविधता के मूल में स्थित शाश्वत एकता को तोड़ने का घृणित प्रयास, हमारे तथाकथित अल्पसंख्यक तथा अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को झूठे सपने तथा कपोलकल्पित द्वेष की बातें बता कर चल रहा है।’भारत तेरे टुकड़े होंगे’ ऐसी घोषणाएँ देने वाले लोग इस षड्यंत्रकारी मंडली में शामिल हैं। राजनीतिक स्वार्थ, कट्टरपन व अलगाव की भावना, भारत के प्रति शत्रुता तथा जागतिक वर्चस्व की महत्वाकांक्षा, इनका एक अजीब सम्मिश्रण भारत की राष्ट्रीय एकात्मता के विरुद्ध काम कर रहा है।”

 

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TAGS: मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख, विजयादशमी, दशहरा, RSS, Mohan Bhagwat, Vijayadashami
OUTLOOK 25 October, 2020
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