प्रशासनिक और कूटनीतिक पदों पर अनुभव के धनी हैं गोपाल कृष्ण गांधी
22 अप्रैल 1946 को जन्मे गोपालकृष्ण ने कई प्रशासनिक व कूटनीतिक पदों के बीच भारत के राष्ट्रपति के सचिव के अलावा दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका के उच्चायुक्त के तौर पर काम कर चुके हैं। उपराष्ट्रपति पद से पहले विपक्ष की ओर से उन्हें राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने की भी चर्चा थी। वह देवदास गांधी व लक्ष्मी गांधी के पुत्र हैं। राजमोहन गांधी के छोटे भाई हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कालेज से अंग्रेजी में मास्टर डिग्री ली है।
तमिलनाडु में शुरू की थी आईएएस की सेवा
गोपाल कृष्ण गांधी ने 1968 में बतौर आईएएस अफसर तमिलनाडु में अपनी सेवाएं शुरु की और 1985 तक रहे। उसके बाद वह दो सालों तक उपराष्ट्रपति के सचिव और दो सालों तक राष्ट्रपति के यहां संयुक्त सचिव के रूप में काम किया। 1992 में वह भारतीय उच्चायोग में, यूके में मंत्री ( संस्कृति) और नेहरू सेंटर लंदन यूके के निदेशक बन गए। इसके बाद उन्होंने कई प्रशासनिक व कूटनीतिक पदों पर काम किया। कई राज्यों के गर्वनर रह चुके हैं। 2011 से 2014 तक कलाक्षेत्र फाउंडेशन चेन्नई के चेयरमेन रहे। इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्निंग बाडी में भी रह चुके हैं। अशोका विश्वविद्यालय में शिक्षण का काम किया और यहां इतिहास व राजनीति के प्रवक्ता रहे।
गुजरात से जुड़े होना रहा है अहम
असल में गोपाल कृष्ण को चुनने के पीछे गोपाल गांधी की पारिवारिक जड़ें गुजरात की होना है। विपक्ष का मानना है कि पीएम मोदी के लिए भी राजनैतिक तौर से यह चयन सहज नहीं होगा। इसी कारण से नीतीश, लालू से लेकर सपा व बसपा भी उनके पक्ष में दिखाई देते हैं। कांग्रेस के रिश्ते तो अच्छे हैं ही। कांग्रेस शासन में ही 2004 में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया था। पश्चिम बंगाल में वामपंथी सरकार के समय गांधी की राज्यपाल के तौर पर सक्रियता के कारण ममता भी उनकी प्रशंसक रही हैं।