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14 June 2016

सरकार ने रक्षा सौदों में एजेंटों को मंजूरी दी

कंपनी पर एजेंट को सफलता बोनस देने या उस पर जुर्माना शुल्क लगाने की अनमुति भी नहीं होगी। इसके साथ ही सरकार को किसी कंपनी द्वारा प्रस्तावित एजेंट को किसी भी समय स्वीकार या अस्वीकार करने का विशेष अधिकार (वीटो पावर) भी होगा। ये नये दिशा-निर्देश उस रक्षा खरीद प्रकिया (डीपीपी) 2016 का हिस्सा है जिसे पिछले सप्ताह सार्वजनिक किया गया था। सरकार ने रक्षा सौदों की अंधेरी दुनिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया है। हालांकि पूर्व डीपीपी में भी विदेशी कंपनियों के लिए एजेंट नियुक्त करने की सुविधा थी लेकिन पहली बार ब्यौरेवार दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। पिछली प्रणाली पारदर्शिता सुनिश्चित करने में विफल रही। हालांकि रक्षा एजेंटों ने रक्षा सौदों में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी जारी रखी। इससे पहले रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पीटीआई भाषा को एक साक्षात्कार में एजेंटों व बिचौलियों के बीच स्पष्ट रेखा खींचते हुए कहा था कि सरकार किसी छल-कपट के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेगी। पर्रिकर ने कहा था, एजेंटों का मतलब बिचौलिए नहीं है। किसी कंपनी के लिए कोई एजेंट नियुक्त करने का अवसर होगा जो कि उसका प्रतिनिधित्व कर सके।

नये दिशा निर्देश के अनुसार वेंडर (कंपनी) को किसी भी ऐसे व्यक्ति, पक्ष, फर्म या संस्थान के बारे में समुचित ब्यौरे का खुलासा करना होगा जिन्हें उसने भारत में अपने उपकरणों को बेचने के लिए रखा है।

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TAGS: विदेशी रक्षा कंपनियां, सशस्त्र सेनाओं, सरकार, उत्पाद, विपणन, एजेंट, नियुक्त, Foreign defence firms, appoint agents, products, armed forces, government, strict oversight, scrutiny, penalty fees
OUTLOOK 14 June, 2016
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