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22 May 2021

अधूरी जानकारी और ओवरडोज इलाज ने बढ़ाया ब्लैक फंगस का खतरा, विशेषज्ञ से जानिए- किन मरीजों के लिए साबित हो रहा जानलेवा

File Photo

कोरोना संकट के बीच म्यूकोर्मिकोसिस यानी ब्लैक फंगस अब नया चिंता का कारण बन गया है। देश में 7,250 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और हर रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। इससे अब तक कम-से-कम 219 लोगों की जानें जा चुकी है। इसे कई राज्यों द्वारा महामारी घोषित किया जा चुका है। लेकिन, ऐसा क्यों हुआ कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच अचानक इस महामारी से लोग अपनी जान गंवाने लगे? विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में लोगों ने घबराहट में और सही इलाज के लिए ठोस प्रोटोकॉल ना होने की वजह से गलत दवाओं के साथ-साथ ओवर डोज लेना शुरू कर दिया जिसकी वजह से अब ये परिणाम हम भुगतने को मजबूर हो चले हैं।

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आउटलुक से बातचीत में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के सिनियर कंसलटेंट और ब्लैक फंगस के लिए बनाए गए वार्ड के डॉक्टर आलोक अग्रवाल कहते हैं कि इसके दो तीन प्रमुख कारण है जिसकी वजह से मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

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डॉ. आलोक बताते हैं कि किन वजहों से और किन्हें ये समस्या आ रही है ...

>> वैसे कोरोना संक्रमित मरीज जिन्हें ज्यादा डोज में स्टेरॉयड दवा दी गई है।

>> वैसे मरीज जिन्हें निर्धारित अवधि से अधिक समय तक स्टेरॉयड दवा दी गई है।

>> वैसे मरीज जिनका इलाज के दौरान ब्लड शुगर कंट्रोल में नहीं रहा।

>> जिन्हें पहले से डायबिटीज की शिकायत रही।

>> इसमें दो तरह के मरीज शामिल हैं। (1)- जिन्हें पता है कि वो डायबिटीज के मरीज हैं। (2)- वैसे मरीज जिन्हें पता ही नहीं है कि वो डायबिटीज के शिकार हैं।

>> वैसे संक्रमित मरीज भी ब्लैक फंगस के शिकार हो रहे हैं जिन्हें डायबिटीज होने की संभावना है या होने वाला है।

डॉ. अग्रवाल के मुताबिक दूसरी परिस्थितियां ये हो सकती हैं...

>> जिनका इम्यूनिटी कमजोर हो गई है।

>> एंटी कैंसर थेरेपी चल रही हो।

>> अस्थमा जैसी गंभीर बिमारी से संक्रमित मरीज ग्रसित हो।

सर गंगाराम के डॉ. अग्रवाल इन बातों को भी नकारते हैं जिसमें ये बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन में इस्तेमाल होने वाले पानी के संक्रमित होने की वजह से भी कोरोना से ठीक हुए मरीज ब्लैक फंगस के शिकार हो रहे हैं। डॉ. अग्रवाल कहते हैं, यदि ऐसा होता तो नॉन कोविड मरीज भी इसका शिकार होते हैं। जो आईसीयू या वेंटिलेटर पर हैं। उनमें भी ये मामले देखे जाते।

कोरोना महामारी में स्टेरॉयड दवा को लाइफ सेविंग ड्रग्स माना गया है। डॉ. अग्रवाल भी इससे सहमत होते हैं। लेकिन, उनका कहना है कि बिना डॉ. की अनुमति और सलाह के लोगों ने धड़ल्ले से इस दवा का इस्तेमाल किया है। कई-कई सप्ताह तक इसका इस्तेमाल कर रेह हैं। डॉ. ने यदि पांच दिनों के लिए खाने को कहा है तो मरीज उसे पूरा खत्म करने में लगे हुए हैं, जिसका ये परिणाम है। फंगस हमारे वातावरण में पाया जाता है और पहले महीने में न्यूनतम मामले ही आते थे।

इसमें लिपोसोमस एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन को कारगर माना गया है जो एंटी फंगल दवा है। दरअसल, जब इसका संक्रमण फैलता है तो वो जहां-जहां शरीर को संक्रमित करता है, वहां-वहां के टिश्यू मर जाते हैं। जिसकी वजह से उसमें किसी भी तरह की गतिविधियां खत्म हो जाती है। फंगस को अवसरवादी संक्रमण के तौर पर डॉ. अग्रवाल कहते हैं। उदाहरण के तौर पर वो कहते हैं, "जब शेर कमजोर हो जाता है तो कुत्ता भी उस पर हमलावर हो जाता है।

डॉ. अग्रवाल इस बात पर भी निराशा व्यक्त करते हैं कि देश में बिना डॉक्टर की सलाह वाली पर्ची लोगों के बीच साझा किए जाते हैं और मरीज केमिस्ट के यहां से भी दवा खरीद लेते हैं, बिना डॉक्टर की सलाह से खाते हैं। वो यहां तक कहते हैं, "एक मरीज के लिए लिखी गई दवाओं को लोग पूरे रिश्तेदारों और जानकारों में देने लगते हैं। उन्हें ये समझदारी नहीं है कि ये दवा उस व्यक्ति को डॉक्टर ने हाइट-वेट, शुगर, उम्र- हर तरह के पैमाने को ध्यान में रखते हुए दी है। ये दवा हर किसी को नहीं फायदा पहुंचा सकता है, भले ही बिमारी और उसके लक्षण बराबर क्यों ना हो।"

शुरूआती लक्षण दिखने पर क्या करें...

यदि ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देते हैं तो सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें। डॉ. आलोक के मुताबिक यदि लगता है कि ये ब्लैक फंगस है तो माइक्रो बायोलॉजिस्ट के द्वारा जांच किया जाता है। फिर उसमें स्थिति को देखते हुए एमआरआई कराई जाती है ताकि पता चले कि संक्रमण कहां तक फैला है। यदि संक्रमण आंख और ब्रेन तक पहुंच चुका है तो फिर मरीज के बचने की संभावना काफी कम है।

कमजोर इम्युनिटी होने पर नाक और मुंह के रास्ते से फंगस शरीर में प्रवेश कर जाता है। मुंह, नाक, आंख, ब्रेन और फेफड़े को प्रभावित करते हैं। यह मांसपेशियों और टिश्यू में संक्रमण फैलाकर कर उसे पूरी तरह खराब कर देता है। जिसके बाद जो टिश्यू मर जाते हैं वो ब्लैक हो जाते हैं। इसलिए इसे ब्लैक फंगस के नाम से जाना जाता है।

हमेशा याद रखें कि किसी भी दवा को लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें, नहीं तो ये जानलेवा हो सकता है...

 

 

 

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TAGS: Incomplete Information, Overdose Treatment, Black Fungus, Proving Life-Threatening, Sir GangaRam Hospital, Dr. Alok Agrawal, Neeraj Jha, नीरज झा
OUTLOOK 22 May, 2021
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