देश में कोरोना महामारी के बीच म्यूकोर्मिकोसिस यानी ब्लैक फंगस तेजी से पांव फैला रहा है। जिसके बाद ब्लैक फंगस के इलाज के लिए प्रयोग की जाने वाली एंटी-फंगल दवा एम्फोटेरिसिन-बी की मांग बढ़ती जा रही है। इस बीच इस दवा की कालाबाजारी की भी खबरे सामने आ रही है।
पटना में अपने 40 वर्षीय बेटे का इलाज करा रहे राजेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि बाजार में एम्फोटेरिसिन-बी की भारी किल्लत है और मुझे 30 हजार रुपये तक एक वायल खरीदनी पड़ी। बेहद मुश्किल से 10 वायल ही मिल पाया। जबकि इंडस्ट्री का कहना है कि इस दवा की असली कीमत लगभग 10 हजार के करीब है।
डॉ अभिषेक बताते हैं कि एम्फोटेरेसिन-बी ब्लैक फंगस पर तेजी से असर करता है मगर इसका साइड इफेक्ट भी है। एम्फोटेरेसिन हो या पोसाकोनाजोल बाजार से पूरी तरह गायब है। जिससे कालाबाजारी बढ़ गई है और मरीजों को परेशानी हो रही है।
एक महीने में मरीजों के दोगुने होने की आशंका
वहीं झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) के क्रिटिकल केयर के प्रभारी डॉ प्रदीप भट्टाचार्य का अनुमान है कि इस माह के अंत तक ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या दोगुनी हो जायेगी। बता दें कि रिम्स में ब्लैक फंगस के एक दर्जन मरीज एडमिट हैं। रांची के तीन-चार निजी अस्पतालों में भी दस मरीजों का इलाज चल रहा है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में ब्लैक फंगस के अब तक 8,848 मामले सामने आ चुके हैं, वहीं 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसी दौरान कई राज्यों में इस संक्रमण को महामारी भी घोषित कर दिया है। रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौडा की जानकारी के अनुसार शनिवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एम्फोटेरिसिन-बी की कुल 23,680 अतिरिक्त वायल अलॉट किए गए हैं।