हमारी सभ्यता की पहचान है बहुलवाद और सहिष्णुता: राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने कहा कि एक बहुलवादी लोकतंत्र में यह महत्वपूर्ण है कि सहिष्णुता, विरोधी विचारों के प्रति आदर और संयम आदि गुण नागरिकों खासकर युवाओं में विकसित किए जाएं। उन्होंने कहा कि बहुलवाद और सहिष्णुता ऐसे मूल गुण हैं जिसे हर हाल में बनाए रखा जाना चाहिए। भारत एक अरब 30 करोड़ लोगों, 122 भाषाओं, 1600 बोलियों, और 7 धर्मों का देश है। इन सभी को चंद लोगों की सनक पलट नहीं सकती।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश में सहिष्णुता का यह विचार सदियों में विकसित हुआ है और हमारी संस्कृति, हमारे विश्वास और हमारी भाषा में विविधता ही भारत को खास बनाती है। हम अपनी सारी मजबूती सहिष्णुता से ही पाते हैं। हम बहस कर सकते हैं, हम सहमत नहीं हो सकते हैं। लेकिन हम विचारों की बहुलता से इनकार नहीं कर सकते अन्यथा हमारी सोच का आधारभूत चरित्र ही मुरझा जाएगा। इस संदर्भ में राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी को भी उद्धृत किया और कहा कि धर्म एकता का बल है, हम इसे विवाद का कारण नहीं बना सकते।
इस मौके पर अर्जुन सिंह को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अर्जुन सिंह ऐसे नेता जिनका दिल एवं दिमाग दोनों जमीन से जुड़े थे। उन्होंने सत्ता मिलने से भी अपने सादगी नहीं छोड़ी और न ही उन्होंने आम आदमी के लिए अपनी चिंता छोड़ी। अर्जुन सिंह ने खुद को एक धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर आधारित एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए समर्पित कर दिया।
शिक्षा के क्षेत्र में अर्जुन सिंह के योगदान की चर्चा करते हुए प्रणव मुखर्जी ने कहा कि अर्जुन सिंह मौलाना अबुल कलाम आजाद के बाद इस देश के सबसे लंबे समय तक मानव संसाधन विकास मंत्री रहे।
इस व्याखान माला में सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे।