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29 December 2017

कोर्ट ने माना NIA का तर्क- मालेगांव विस्फोट ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की दिशा में एक कदम था

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और छह अन्य आरोपियों पर साल 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में आतंकवाद निरोधी कानून के तहत मुकदमा चलेगा। अदालत ने एनआइए की इस दलील को भी माना है कि आरोपी एक ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाना चाहते थे और धमाका दरअसल इसी लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में उठाया गया कदम था।

पीटीआई के मुताबिक, विशेष जज एस. डी. टेकाले ने 130 पन्नों के अपने आदेश में कहा है कि आरोपियों पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) के तहत मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। आरोपियों पर मकोका के तहत तो मुकदमा नहीं चलेगा, लेकिन उन्हें गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए), आईपीसी और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।

बता दें कि अभियोजन की ओर से नामजद 13 आरोपियों में से दो अब भी फरार हैं। वहीं, बुधवार को अदालत ने तीन आरोपियों श्याम साहू, शिवनारायण कलसांगरा और प्रवीण टक्कलकी को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था। कहा था कि वो उनके खिलाफ अपर्याप्त साक्ष्य होने के कारण उन्हें मामले से ‘मुक्त’ करने के एनआईए के फैसले को स्वीकार कर रही है।

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अदालत ने कहा कि दो आरोपियों राकेश धावड़े और जगदीश म्हात्रे पर पुणे और ठाणे की अदालतों में सिर्फ शस्त्र अधिनियम के तहत मुकदमा चलेगा। अपने आदेश में अदालत ने कहा, ‘इस शुरुआती चरण में गवाह संख्या 184 के बयान से ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भोपाल वाली बैठक (जिसमें कथित साजिश रची गई) में प्रसाद पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी एवं सुधाकर चतुर्वेदी मौजूद थे।’

अदालत ने कहा, ‘बैठक में औरंगाबाद एवं मालेगांव में बढ़ती जिहादी गतिविधियों के बारे में चर्चा हुई और पुरोहित ने इस इलाके में अभिनव भारत संगठन का विस्तार कर इस पर रोक लगाने के लिए कुछ करने की राय जाहिर की थी।’

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TAGS: Court accepts, NIA contention, Malegaon blast, a step towards, establishing, 'Hindu Rashtra'
OUTLOOK 29 December, 2017
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