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10 October 2016

विजय का मुकुट किसके नाम

गूगल

अमेरिका, चीन, यूरोप, अफ्रीका से अधिक भारत को विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी सफलता की तमन्ना होनी चाहिए। सुनहरे भविष्य के लिए यह विजय जरूरी है। आतंकवाद और सीमा पर पाकिस्तान के खतरों से निपटने में भारतीय सेना सक्षम है। लेकिन उसके साथ व्यापक राजनीतिक समर्थन की ताकत आवश्यक है। लंबे अर्से के बाद केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार है। सत्तारूढ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी के लिए यह निर्णायक घड़ी है। सरकार और पार्टी को अन्य राजनीतिक दलों की तरह मिले अवगुणों पर विजय पाने की चुनौती बहुत बड़ी है। केवल घोषणा-पत्रों और वायदों की बात नहीं है। जन साधारण की अपेक्षाएं, आकांक्षाएं, मजबूरियां हैं और वह यथाशीघ्र राहत चाहता है। दुनिया में अर्थव्यवस्‍था की गड़बड़ियों के तर्क से भारतीयों को शांत नहीं किया जा सकता है। रोजगार, न्यूनतम शिक्षा-स्वास्‍थ्य, आवास सुविधाओं के लिए भ्रष्टाचार की बीमारी को कड़ाई से दबाने एवं राहत देने से ही लोकतंत्र की विजय साबित होगी।

लोकतंत्र केवल सत्तारूढ़ पार्टी पर निर्भर नहीं रह सकता। प्रतिपक्ष में हो या प्रदेशों में प्रभावशाली विकल्प की मजबूरी बनकर उनकी ‘विजय’ स्‍थायी नहीं हो सकती। सत्ता में रहे बिना राजनीतिक दल जनता के बीच अधिक सक्रिय रह सकते हैं। आाखिरकार, राजनीतिक या सामाजिक संगठन निस्वार्थ भाव से जनता की सेवा और जन समस्याओं से निपटने में भागीदारी से ही लाखों करोड़ों दिल-दिमाग पर विजय पाते हैं। प्राचीन काल से व्यापारी समुदाय भी साख के बल पर सफल होते रहे हैं। क्रिकेट हो या ओलंपिक- खिलाड़ियों को अगले एक दशक में दुनिया के नामी देशों और खिलाड़ियों से मुकाबले में विजय के संकल्प के साथ तैयारी करनी होगी। हां, मीडिया को भी रेटिंग से ज्यादा बुराइयों पर विजय के ‌लिए अधिक निष्पक्ष एवं तटस्‍थ भाव से ‌सक्रिय रहना होगा। हम अपने संकल्प के साथ हिंदी आउटलुक के लाखों पाठकों को विजयादशमी की शुभकामनाओं के साथ नमन करते हैं।

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TAGS: प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी, विजया दशमी, सेना, राजनीतिक दल
OUTLOOK 10 October, 2016
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