विजय पर्व में संयम
निश्चित रूप से लंबे अर्से के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हरी झंडी से भारतीय सेना को यह कदम आगे बढ़ाने एवं सफल होने का श्रेय मिला है। संपूर्ण भारत अपने बहादुर सैनिकों पर गर्व करता है। आतंकवाद से लड़ने के मुद्दे पर अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका ही नहीं चीन तथा खाड़ी के मुस्लिम बहुल देश भी भारत का समर्थन कर रहे हैं। लेकिन आतंकवाद की लड़ाई एक ऑपरेशन के साथ पूरी नहीं हो सकती है। यह तो उड़ी में पाक सीमा से घुसे आतंकवादियों द्वारा भारतीय सैन्य टुकड़ी पर किए गए हमले का प्रतीकात्मक जवाब मात्र था। प्रारंभिक रिपोर्ट ही साबित कर रही है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सेना व आई.एस.आई. से प्रशिक्षण ले रहे आतंकियों को कुछ अन्य सुरक्षित इलाकों में छिपा दिया गया है और उनकी आत्मघाती तैयारियां जारी हैं। यही नहीं आतंकी संगठनों के सरगना ने तो सार्वजनिक ऐलान कर दिया है कि वे भारत के विरुद्ध असली सर्जिकल आपरेशन करके दिखाएंगे। उनकी धमकियां और गतिविधियां भारत से अधिक पाकिस्तान को ही अधिक क्षति पहुंचा रही है।
विडंबना यह है कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का अपनी सेना पर पूरा नियंत्रण नहीं है। सेना का एक वर्ग और गुप्तचर एजेंसी आई.एस.आई. निरंतर आतंकवादियों को प्रश्रय देती रही है। भारत के अलावा बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान भी उनकी विध्वंसकारी गतिविधियों से प्रभावित हैं। इसलिए नवरात्रि और विजयादशमी के पर्व में उत्साह और खुशी के साथ भारतीय संस्कृति के अनुरूप संयम भी भाजपा समर्थकों को रखना होगा। सेना के आपरेशन को उन्माद में नहीं बदला जाना चाहिए। अभी आतंकियों के नापाक इरादों को नाकाम करने के लिए चौकसी बढ़ाने की जरूरत होगी। आतंकवादी सीमा पार से हों अथवा अंदर बैठे माओवादी हिंसक संगठन-सरकार, सेना और समाज को अधिक सतर्कता एवं दृढ़ता के साथ निपटना होगा। इस लड़ाई को राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए जश्न में बदलना खतरनाक होगा। भारत की नीति, संस्कृति विनाश की नहीं संपूर्ण विश्व में मानव जाति के लिए शांति और सद्भाव के साथ विकास की है और रहेगी।