झाबुआ की तरह बारूद के ढेर पर बैठा नीम का थाना
राजस्थान के अरावली क्षेत्र में वर्ष 2005 में सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश के तहत अवैध खनन पर रोक लगा दी थी लेकिन यहां न केवल धड़ल्ले से खनन जारी है बल्कि डिटोनेटर का अति प्रयोग, जीने के मौलिक अधिकार भी छीन रहा है। कोटपुतली तहसील के खेलना गांव में प्रयोग हो रहे गैर कानूनी विस्फोट के विरोध में महिलाएं महीनों से धरने पर बैठी हैं। कोई सुनने को तैयार नहीं। अवैध खनन विरोधी समिति के संयोजक कैलाश मीणा का कहना है, ‘ इस इलाके में कहीं भी डिटोनेटर की पेटी मिल जाएगी। हम लोगों ने दर्जनों ट्रक पकड़वाए, एफआईआर करवाईं लेकिन कुछ नहीं हो पा रहा।‘ मीणा के अनुसार विस्फोट के लिए डिटोनेटर प्रयोग होने की वजह से गांववासियों के मकानों में दरारें आ रही हैं। भू-जल जहर बन चुका है। वह बताते हैं कि यहां के पानी में 5300 टीडीएस है जो कि 100 के नीचे होना चाहिए।
अरावली के इस क्षेत्र में हरियाणा से लगते अरावली, जयपुर के कोटपुतली, सीकर का नीम का थाना, खंडोला, झुंझुनू का खेतड़ी, गोहाना, सिडावा आदि गांवों में अवैध खनन का काम हो रहा है। यही नहीं इसी समिति के हरि सिंह का कहना है कि अवैध खनन की वजह से भू-जल बहुत गहरा जा चुका है। केंद्रीय भूजल विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यहां के लोग 157 फीसदी ज्यादा भूजल सींच चुके हैं। यहां के पोखर,तालाब और नदियां बरबाद हो चुकी हैं। हरि सिंह के अनुसार इस इलाके से निर्माण कार्यों में काम आने वाले पत्थर का दोहन किया जाता है। निर्माण कार्यों में यह पत्थर रोड़ी के तौर पर काम आता है। अंदाजन यहां से इन पत्थरों से भरे 5,000 ट्रक रोजाना निकलते हैं। आवाज उठाने वालों पर खनन माफिया द्वारा हमले किए जाते हैं। वर्ष 2013 में अवैध खनन का तस्वीरें खींचने पर प्रदीप शर्मा की हत्या कर दी गई थी। सावल राम की हिरासत में जमकर पिटाई की गई। इस अवैध खनन से इन गांवों की दस लाख जनसंख्या प्रभावित हो रही है जिसपर सरकार और प्रशासन मूक हैं।