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17 August 2016

जान की दुश्मन लापरवाही

गूगल

इस मांझे के घातक असर को ध्यान में रखकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने हफ्तों पहले चीनी मांझे पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दे दिया था। लेकिन ‘आम आदमी’ की टोपी लगाने वाली केजरीवाल सरकार को झगड़ों-हंगामों में अदालती आदेश के तत्काल पालन का ध्यान ही नहीं रहा। यूं केजरीवाल सरकार के नेता और अधिकारी यह सफाई देकर हाथ झाड़ सकते हैं कि मांझे से होने वाली मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कोई कानूनी धारा नहीं है। लेकिन यह तर्क बेमानी है। अदालती आदेश के पालन की अवहेलना और प्रशासन की लापरवाही के कारण होने वाली मौत छोटा अपराध नहीं है। जहां हत्या के षड्यंत्र के लिए व्यक्ति को कानूनी आधार पर दंडित किया जा सकता है अथवा जहरीली सामग्री से किसी की मृत्यु पर कार्रवाई हो सकती है, तो जानलेवा मांझे का धंधा चलने देने के लिए सजा क्यों नहीं हो सकती है? दिल्ली सरकार छोटी-छोटी बातों के लिए विज्ञापनों पर अपना समय और जनता के खून पसीने से कमाए धन के खजाने से करोड़ों रुपया खर्च कर देती है, लेकिन शहर में मांझे, मच्छर, दूषित पेयजल, गंदगी के अड्डों से लोगों को राहत दिलाने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठा पा रही है। अवैध गंदी बस्तियों के विस्तार में दिल्ली सरकार की बड़ी भूमिका है। नगर-निगम और दिल्ली विकास प्राधिकरण के नाम सारा ठीकरा फोड़ने से उसकी चालाक गड़बड़ियां नहीं छिप सकती हैं। रिपोर्ट की प्रतीक्षा से पहले कोर्ट को ही दोषी अधिकारियों को तलब कर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।

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TAGS: दिल्ली, चीनी मांझा, दिल्ली हाई कोर्ट, आदेश, सरकार, आम आदमी, बच्चे, मौत, पतंगबाज
OUTLOOK 17 August, 2016
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