भगत सिंह को आतंकवादी बताने वाली डीयू की किताब पर लोकसभा में आपत्ति
प्रख्यात इतिहासकार बिपिन चंद्रा और मृदुला मुखर्जी द्वारा स्वतंत्रता के लिए भारत का संघर्ष( इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडीपेंडेंस) शीर्षक से लिखी इस पुस्तक के 20वें अध्याय में भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, सूर्य सेन और अन्य को क्रांतिकारी-आतंकवादी बताया गया है। इस पुस्तक में चटगांव आंदोलन को भी आतंकी कृत्य करार दिया गया है, जबकि सैंडर्स की हत्या को आतंकी कार्रवाई कहा गया है। भगत सिंह के परिजनों ने आपत्ति जताते हुए इस मुद्दे को डीयू और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों के समक्ष उठाया। भगत सिंह के परिवार ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को एक पत्र लिखकर इस संबंध में हस्तक्षेप करने और पुस्तक में उचित बदलाव करने की मांग की है। शहीद ए आजम के परिजनों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश त्यागी से भी मुलाकात की जिन्होंने उन्हें इस मामले को देखने का आश्वासन दिया।
वहीं लोकसभा में भी बुधवार को शून्यकाल के दौरान भाजपा सदस्य अनुराग ठाकुर ने इस मामले को उठाते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने अपने शासनकाल के दौरान देश की शिक्षा को खत्म करने और इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का प्रयास किया है जिसके लिए देश उसे कभी माफ नहीं करेगा। कांग्रेस सदस्यों के कड़े प्रतिवाद के बीच ठाकुर ने कहा कि इस पुस्तक के लेखकों में से एक मृदुला मुखर्जी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं की जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि मृदुला और विपिन चंद्रा की पुस्तक इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडीपेंडेंस में भगत सिंह को क्रांतिकारी आतंकवादी बताया जाना बेहद आपत्तिजनक है और उससे भी आपत्तिजनक यह बात है कि कथित दो विचारधाराओं के नाम पर ऐसी पुस्तक दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई जा रही है। भाजपा सदस्य ने कहा कि इसी पुस्तक में राहुल गांधी को करिश्माई नेता बताया गया है जो अपने आप में एक मजाक है क्योंकि उनके नेतृत्व में इस बार कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव लड़ा और इतिहास में अब तक की सबसे कम 44 सीटें ही उनकी पार्टी को मिली। ठाकुर की इन टिप्पणियों पर कांग्रेस सदस्यों ने कड़ा प्रतिवाद किया और हंगामे के बीच ही अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की बैठक भोजनावकाश के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले भगत सिंह के भतीजे अभय सिंह संधु ने कहा, यह बहुत ही दुखद उदाहरण है कि आजादी के 68 साल के बाद भी देश को आजाद कराने में अपने जीवन का बलिदान देने वाले क्रांतिकारियों के लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। भगत सिंह को फांसी पर लटकाने वाले अंग्रेजों ने अपने फैसले में उन्हें सच्चा क्रांतिकारी बताया और यहां तक कि उन्होंने भी आतंक या आतंकवादी जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। विवाद पैदा करने के उद्देश्य से क्रांतिकारियों के लिए इस तरह के शब्दों का उपयोग करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश त्यागी ने कहा कि इतिहास विभाग में इस पुस्तक को एक संदर्भ पुस्तक के तौर पर पढ़ाया जाता है न कि एक टेक्स्ट बुक के तौर पर। हालांकि उन्होंने इस संबंध में अनुरोध को संज्ञान में लेने की बात कही है।