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07 October 2015

किसी नई योजना के लिए अनिवार्य नहीं होगा आधार कार्ड

गूगल

कोर्ट ने आज फिर से स्पष्ट किया कि एलपीजी और पीडीएस स्कीम के अलावा अन्य किसी उद्देश्य के लिए आधार पहचान अनिवार्य नहीं होगा। न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट किया कि अंतरिम आदेश में किसी प्रकार के संशोधन, स्पष्टीकरण और ढील के लिए किसी भी अपील पर संविधान पीठ ही सुनवाई करेगी। न्यायमूर्ति चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ पहले ही आधार कार्ड योजना में निजता के अधिकार से जुड़े सवाल को संविधान पीठ को सौंप चुकी है। आधार को अन्य योजनाओं में अनिवार्य करने की सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया। अदालत ने कहा कि आधार के इस्तेमाल से खड़े होने वाले निजता के हनन के प्रश्नों पर गौर करना जरूरी है। केन्द्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, सेबी और कुछ राज्य सरकारों ने न्यायालय के 11 अगस्त के अंतरिम आदेश में संशोधन का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ  ने कहा, हमारी राय है कि बेहतर होगा कि आदेश में सुधार के आवेदनों पर भी वृहद पीठ ही सुनवाई करे।

शीर्ष अदालत ने 11 अगस्त को अपने आदेश में कहा था कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड वैकल्पिक रहेगा और संबंधित प्राधिकारी सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा रसोई गैस वितरण प्रणाली के अलावा किसी अन्य मकसद के लिए इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे। केन्द्र सरकार, रिजर्व बैंक, सेबी, इरडा, ट्राई, पेन्शन कोष नियामक प्राधिकरण और गुजरात तथा झारखंड सरीखे राज्यों ने हाल ही में न्यायालय में अर्जी दायर कर वृद्धों और कमजोर वर्ग के लोगों को उनके घर के दरवाजे पर ही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए आधार कार्ड के स्वैच्छिक उपयोग की वकालत की थी।

सरकार की ओर से आधार कार्ड को अनिवार्य करने के लिए दलील दी गई कि आधार कार्ड के अनिवार्य होने की वजह से गैस सब्सिडी और किरोसिन सब्सिडी देने में सुविधा हुई है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आधार की अनिवार्यता की वजह से सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचानें में काफी मदद मिली है। पिछले जिनों आधार कार्ड का इस्तेमाल कर ऑनलाइन ठगी के कई मामले सामने आए थे। जिसके बाद निजता के मसले को लेकर देश में बड़ी बहस छिड़ गई थी। इन्हीं चिंताओं को लेकर कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आधार को अनिवार्य करने की सरकार की कोशिश पर रोक लगाने की अपील की गई थी।

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अपना पक्ष रखते हुए सरकार की ओर से दलील दी कि आधार के इस्तेमाल से सिर्फ एक साल के दौरान 14,000 करोड़ रुपये की सरकार को बचत हुई है। आधार कार्ड अनिवार्य करने की अपनी योजना के समर्थन में सरकार की ओर से कहा गया कि देश के करीब 92 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड है। इसलिए इसके जरिये बड़े पैमाने पर सब्सिडी लीकेज रोकी जा सकती है। सरकार का तर्क था कि आधार का व्यापक इस्तेमाल नहीं होने से इसका उद्देश्य पूरा नहीं होगा। आधार कार्ड की योजना पर सरकार अब तक 6000 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है।

 

 

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TAGS: आधार कार्ड, सुप्रीम कोर्ट, एलपीजी, पीडीएस, निजता का अधिकार, Adhar Card, Supreme Court, LPG, PDS, Right to privacy
OUTLOOK 07 October, 2015
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