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02 April 2016

शनि शिंगणापुर मंदिर में नहीं मिला महिला अभियानकर्ताओं को प्रवेश

गूगल

बम्बई हाईकोर्ट द्वारा मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश को मौलिक अधिकार बताए जाने और राज्य सरकार के इस अधिकार की रक्षा करने का वादा करने के बावजूद शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश के लिए आज अहमदाबाद पहुंची भूमाता ब्रिगेड की महिलाओं को वहां प्रवेश नहीं करने दिया गया। मंदिर में प्रवेश कर पूजा करने की अपनी कोशिश विफल कर दिए जाने से परेशान भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की अगुवा तृप्ति देसाई ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस उपासना स्थलों पर महिलाओं के प्रवेश संबंधी बंबई उच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करने में विफल रहते हैं तो वह उनके विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करेंगी। तनावपूर्ण टकराव के बाद लैंगिक न्याय के लिए अभियान तेज करने का इरादा प्रकट करते हुए देसाई ने कहा कि उन लोगों के विरूद्ध भी पुलिस शिकायत दर्ज कराई जाएगी, जिन्होंने महिला कार्यकर्ताओं को अहमदनगर के इस धर्मस्थल के गर्भगृह में जाने से रोका।

 

इससे पहले मंदिर पहुंचने पर देसाई और उनकी साथियों ने पावन स्थल पर चढ़ने की कोशिश की लेकिन स्थानीय विरोध समूह के सदस्यों और मंदिर अधिकारियों ने उन्हें वहां से भगा दिया। ग्रामीणों ने उन्हें वहां पहुंचने से रोकने के लिए उसका घेराव कर रखा था। पुलिस ने हस्तक्षेप किया और वह महिला कार्यकर्ताओं को करीब 100 मीटर दूर ले गई और उन्हें सुरक्षा घेरे में ले लिया। मंदिर के गर्भ गृह में नहीं जाने दिए जाने पर देसाई और उनकी साथी अदालत के आदेश का पालन कराने में प्रशासन के विफल रहने के विरोध में धरने पर बैठ गईं। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पंकज देशमुख ने कहा कि मंदिर परिसर और उसके आसपास के क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखी जाएगी। महिला कार्यकर्ताओं और स्थानीय प्रतिरोधकर्ताओं के बीच टकराव की आशंका से जिला प्रशासन ने बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि पूजा स्थलों पर जाना महिलाओं का मौलिक अधिकार है। देसाई ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह स्थानीय प्रशासन और पुलिस को निर्देश दें कि वे मंदिर में शांतिपूर्ण ढंग से उनके प्रवेश और भगवान शनि की पूजा करने की अनुमति देने में उनका सहयोग करें।

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शनि शिंगणापुर मंदिर शनिदेव को समर्पित है। मंदिर में 400 साल पुरानी परंपरा को कायम रखने के लिए गठित कार्य समिति के सदस्य उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं। कार्य समिति के सदस्य शंभाजी दाहतोंदे ने कहा, हम उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जल्द ही उच्चतम न्यायालय जाएंगे क्योंकि यह श्रद्धालुओं के विश्वास की रक्षा करने का मामला है। आंदोलन शुरू होने के बाद मंदिर प्रबंधन ने पिछले दो महीनों में पुरूषों के लिए विशेष पूजा की पद्धति पर रोक लगा दी। अब पुरूष और महिलाएं दोनों ही मूर्ति से समान दूरी पर प्रार्थना करते हैं। अब केवल पुरोहितों को ही गर्भगृह में जाने की इजाजत है। महिलाओं के प्रवेश पर रोक संबंधी सदियों पुरानी परंपरा का उल्लंघन करते हुए पिछले साल एक महिला ने शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश करने और पूजा करने की कोशिश की थी। इस घटना के बाद मंदिर समिति ने सात सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर दिया था और ग्रामीणों ने वहां शुद्धिकरण किया था। उसके बाद देसाई की अगुवाई में भूमाता ब्रिगेड ने शनि मंदिर में इस पाबंदी का उल्लंघन करने के लिए बड़ी नाटकीय घटनाक्रम में अभियान शुरू किया और लैंगिक न्याय के लिए आंदोलन का निश्चय प्रकट किया।

 

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TAGS: बम्बई उच्च न्यायालय, मंदिर, महिला, मौलिक अधिकार, शनि शिंगणापुर मंदिर, भीतरी गर्भगृह, भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड, तृप्ति देसाई, महाराष्ट्र, मुख्यमंत्री, प्राथमिकी, देवेंद्र फड़णवीस, उपासना स्थल, लैंगिक न्याय
OUTLOOK 02 April, 2016
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