कांग्रेस में गठबंधन के नेताओं के जाने से पार्टी में घमासान
पंजाब में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ शिरोमणि अकाली दल के नेताओं और मौजूदा विधायकों ने पार्टी छोड़ कर जहां कांग्रेस का दामन थाम लिया है वहीं भाजपा के एक विधायक भी गठबंधन और पार्टी से खफा होकर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। विधानसभा चुनावों के लिए सत्तारूढ शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद से अबतक छह विधायकों ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है और इनमें से पांच कांग्रेस में शामिल हो गए हैं जबकि गठबंधन सरकार के कामकाज से खफा भाजपा के भी एक विधायक ने पार्टी छोड कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सतनाम सिंह कैंथ ने भाषा से कहा, यह सत्तारूढ गठबंधन के खिलाफ और कांगेस के पक्ष में जारी लहर का ही परिणाम है कि तमाम अकाली और भाजपा नेता अपने अपने दल को छोड कर हमारी पाटर्ी में शामिल हो रहे हैं। गठबंधन से न केवल नेताओं का बल्कि आम जनता का भी मोहभंग हो चुका है और अकाली भाजपा का सत्ता में आना उनके नेताओं के लिए एक सपना ही बन कर रह जाएगा। गठबंधन को लगने वाले इन भुाटकों के बारे में भाजपा और शिअद के नेताओं ने कांग्रेस पर सियासी कबाड समेटने तथा लंगडे घोडे पर दांव खेलने का आरोप लगाया है और कहा है कि इन नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने से गठबंधन की सेहत पर कोई असर नहीं पडेगा।
उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल दावा करते हैं, सत्तारूढ गठबंधन आगामी चुनावों में 70-75 सीट जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार का गठन करेगी। कांग्रेस को जहां इन चुनावों में सभी प्रयासों के बावजूद 35 सीटें मिलेंगी वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी को नौ सीट भी नसीब नहीं होगी। सत्तारूढ गठबंधन का मुकाबला प्रदेश में केवल कांग्रेस से है।
दूसरी ओर राजनीति के जानकारों की माने तो बगावत अकाली दल में हो रही है और घमासान कांग्रेस में मची है क्योंकि संबंधित सीटों के मौजूदा दावेदारों को यह डर सताने लगा है कि कहीं उनका टिकट न कट जाए और इसी का परिणाम है कि अकाली नेताआंे का कांग्रेस में प्रवेश का विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस नेताओं का जालंधर छावनी सीट पर खुल कर विरोध शुरू हो गया है और परगट से पिछले चुनाव में हार चुके जगबीर बराड़ ने कहा है कि वह छावनी से ही चुनाव लडेंगे। कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेताओं का कहना है कि परगट को टिकट दिया गया तो वह विरोध करेंगे क्योंकि उन्होंने पिछले चार साल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पर्चा दर्ज करवाने के अलावा कोई और काम नहीं किया है। अमृतसर पूवर्ी तथा दक्षिणी सीट पर भी कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का विरोध शुरू हो गया है।
दूसरी ओर कांग्रेस के नेताओं ने शिअद नेताओ को पार्टी में शामिल करवाये जाने के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी है। हाल ही में, कुछ सांसदों और अन्य नेताओं ने पार्टी आलाकमान से कहा था कि वह बाहर से आने वाले नेताओं के निर्बाध रूप से पार्टी में प्रवेश पर रोक लगाए। इस बीच कांग्रेस छोड कर आप में जाने को तैयार बैठे और बाद में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व सांसद जगमीत बराड का आरोप है कि कैप्टन चिट्टा बेचने वालों को पार्टी में शामिल करवा रहे हैं जिससे पार्टी की केवल बदनामी ही हो रही है। शिअद के जिन विधायकों ने पार्टी का दामन थामा है उनमें अमृतसर दक्षिण के इंदरबीर सिंह बुलारिया, बाघापुराना के महेशइंदर सिंह, जालांधर छावनी के परगट सिंह, निहालसिंहवाला के राजविंदर कौगर भगीके तथा करतारपुर से सरवन सिंह फिल्लौर शामिल हैं। इसके अलाला अमृतसर पूर्वी से भाजपा विधायक नवजोत कौर सिद्धू ने भी कांग्रेस का हाथ पकड लिया है और उनके पति तथा क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिद्धू के भी जल्दी ही कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है। शिअद सासंद शेर सिंह घुबाया के परिवार तथा फिल्लौर के शिअद विधायक अविनाश चंदर के पार्टी में शामिल होने पर फिलहाल कांग्रेस ने रोक लगा दी है।