देश भर में मैगी की जांच की सिफारिश
गौरतलब है कि कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से मैगी के सैंपल लिए गए थे और उन्हें जांच के लिए भेजा गया था। उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के विभागीय सूत्रों के अनुसार जांच नतीजों के बाद उक्त विभाग ने दिल्ली स्थित भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को लिखित में मैगी का लाइसेंस रद्द करने के लिए कहा है। राज्य के नियंत्रक विभाग ने एफएसएसएआई को यह भी लिखा है कि पूरे देश भर में मैगी की क्वालिटी जांची जानी चाहिए।
एफएसडीए के अतिरिक्त आयुक्त विजय बहादुर यादव ने मीडिया को बताया कि ‘हमने मैगी के सैंपल की कोलकाता की रैफरल लैब्रोट्री से जांच करवाई है। जांच में आया है कि सभी मैगी नमूनों में मोनोसोडियम ग्लूटामेट केमिकल की मात्रा अत्यधिक है।
मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले का कहना है कि वह मैगी में मोनोसोडियम ग्लूटामेट केमिकल नहीं मिलाते हैं। यह आरोप हैरानी की बात है।‘ यादव के अनुसार मैगी में प्रति दस लाख 17वां भाग सीसा पाया गया है। इसकी अनुमति प्राप्त सीमा 0.01 है। इसपर नेस्ले का कहना है कि मैगी में सीसा की मात्रा नगण्य है और निर्धारित 1 फीसदी से भी कम है।
इस रसायन की मौजूदगी में मैगी सेहत के लिए अत्यधिक खतरनाक है। खासकर बच्चों के लिए। एमीनो एसिड श्रेणी का मोनोसोडियम ग्लूटामेट केमिकल वाली खाद्य सामग्री बच्चों की सेहत दांव पर लगा सकती है।