मैगी विवाद से उबरने के बाद नेस्ले इंडिया ने अपने उत्पादों को लेकर आक्रामक रख अपनाया है। उसकी योजना विभिन्न श्रेणियों में 25 उत्पाद पेश करने की ताकि पतंजलि जैसी नयी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से मिल रही चुनौती से निपटा जा सके। कंपनी का दावा है कि इंस्टेंट नूडल्स बाजार में उसकी हिस्सेदारी 55.5 प्रतिशत है।
मैगी के बाद अब दूसरे लोकप्रिय खाद़य उत्पाद ब्रेड को खतरनाक बताया जा रहा है। खोजकर्ताओं के अनुसार इसको बनाने में इस्तेमाल किये जाने वाले कैमिकल की वजह से कैंसर की बीमारी हो सकती है। दिल्ली के सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वॉयरमेंट ने यह खुलासा किया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को नेस्ले कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए इसके मैगी नूडल्स को निर्यात को मंजूरी दी है। यह मंजूरी किस आधार पर दी गई इसके बारे में कोर्ट के विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा है।
मैगी की गुणवत्ता को लेकर छिड़े विवाद के बीच नेस्ले इंडिया ने आज पूरे देश मैगी वापस लेने का फैसला किया है। नेपाल, ब्रिटेन और सिंगापुर ने भी भारत में बने मैगी नूडल्स को बैन कर दिया है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस पूरे मामले पर स्वास्थ्य सचिव को तलब किया है।
बाजार तरह-तरह के फास्ट फूड से अटे पड़े हैं। रेडीमेट रोटियों से लेकर रेडी-टू-ईट दाल-सब्जी। स्नैक्स का तो अंत नहीं। लेकिन सभी के बीच लोकप्रियता का जो सिंहासन मैगी को मयस्सर था वह किसी और को नहीं। मैगी में हानिकारक सीसा की मात्रा ज्यादा होने की खबर क्या आई, 1300 करोड़ का मैगी का बाजार धड़ाम से औंधे मुंह गिर गया। ऐसे में कुछ लोगों की भावनाएं आहत हुईं तो किसी ने मैगी से जुड़ी यादें ताजा कीं। किसी ने चुटकले बना डाले तो किसी को इसके पीछे राजनीति लगी। कई लोग इस विवाद के पीछे बाबा रामदेव की मैगी लांच होने की अटकलें लगा रहे हैं। अचानक से सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर स्वास्थ्यवर्धक जानकारियों का भी रेला आ गया-