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17 December 2015

अच्छी टीम के बगैर, मोदी क्या कर पाएंगे: शरद पवार

आउटलुक

आप प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का आकलन किस तरह करते हैं ?

अभी उनके प्रदर्शन का आकलन करना बहुत जल्दबाजी होगी। ऐसा प्रतीत होता है कि वह अत्यधिक काम करने के आदी हैं; उनके ऊपर कोई दूसरी जिम्मेदारी नहीं है। लेकिन देश चलाना एक राज्य चलाने से बिल्कुल अलग है। अलग-अलग राज्यों की अलग–अलग समस्याएं हैं। प्रधानमंत्री को एक अच्छी टीम की आवश्यकता है, लेकिन सुषमा, अरुण जेटली, नितिन गडकरी और राजनाथ सिंह जैसे उनके कुछ सहयोगियों को छोड़कर मैं उस लायक किसी को नहीं देखता हूं। ऐसा लगता हि कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के पास विकल्प की कमी है। जबतक पार्टी एक शानदार टीम नहीं उपलब्ध कराती है तब तक प्रधानमंत्री कैसे सफल प्रदर्शन कर पाएंगे।

क्या मोदी को और पहले विपक्ष से बात करनी चाहिए थी?

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संसदीय लोकतंत्र में सत्ताधारी राजनीतिज्ञ और जो विपक्ष में हैं वे सामूहिक रूप से निर्णय लेते हैं, जिसके लिए बातचीत बेहद जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि मोदी उस व्यवहार को / प्रक्रिया को जारी रखेंगे जिसकी शुरुआत उन्होंने सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को चर्चा के लिए बुलाकर की। 

क्या गैर भाजपा ताकतें संयुक्त मोर्चे के रूप में एकत्र हो रही हैं?

पहले कोई संवाद नहीं था, लेकिन यह अब शुरू हो चुका है। बिहार के चुनावों ने एक रास्ता दिखाया है। लेकिन साथ में बैठना काफी नहीं है क्योंकि वहां विचारधारा की बहुत सारी विभिन्नताएं हैं... इस पृष्ठभूमि के साथ यह सोचना अज्ञान या मूर्खता होगी कि सभी विपक्षी पार्टियां एक साथ हो जाएंगी।

क्या पुराने कांग्रेसी नेताओं जैसे आप, ममता बनर्जी, वाई एस जगनमोहन रेड्डी और के चंद्रशेखर राव के हाथ मिलाने या एक साथ होने की कोई संभावना है?

मूलभूत रूप से इस तरह की किसी पहल की शुरुआत कांग्रेस की तरफ से होनी चाहिए और मैं ऐसी कोई पहल नहीं देखता हूं।

यूपीए-3 की क्या संभावनाएं हैं?

यूपीए- 1 और 2 कुछ खास समान विचारधारा वाली पार्टियों का गठबंधन था। वे कुछ न्यूनतम साझा कार्यक्रमों पर एकजुट थीं। कांग्रेस के नेतृत्व में, और सौभाग्य से यह मनमोहन सिंह के नेतृत्व में था जिनका प्रयास हर किसी को विश्वास में लेना था और सामूहिक रूप से सरकार चलाना था, इसी वजह से यह गठबंधन प्रदर्शन कर सका और दस सालों तक स्थिर सरकार दे सका। मुझे  तत्काल कोई यूपीए-3 नहीं नजर आता है क्योंकि (आवश्यक) संख्या नहीं है और भाजपा के पास स्पष्ट बहुमत है।

आपका राहुल गांधी के लिए मूल्यांकन?

अगर आपको किसी व्यक्ति का मूल्यांकन करना है तो आपको उसे बखूबी जानना होगा, उसका काम करने का तरीका, संगत, विचारधारा, इच्छाएं, प्राथमिकताएं, सब कुछ। लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं है। हम जितना जानते हैं वह सिर्फ मीडिया के जरिये है और कोई किसी को अखबारों से नहीं आंक सकता है।

क्या आपको सोनिया गांधी से संपर्क तोड़ने का कोई अफसोस है, जो शायद आपको प्रधानमंत्री बना देतीं ?

मुझे इस बात का कोई अफसोस नहीं है। मैं वही आदमी हूं, मैं बहुत ज्यादा खुश हूं। हमने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया, कम से कम अपनी पार्टी में हम बातचीत और चर्चा कर सकते हैं। यह एक सोच-समझ कर लिया गया फैसला था और अब हम काफी खुश हैं। मैं 1958 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुआ था और सिर्फ पिछले कुछ सालों से मैं इससे बाहर हूं। सिर्फ कुछ ही कांग्रेसी आज कांग्रेस में हैं। मैं खुश हूं कि मैं वहां नहीं हूं। अगर मैंने वहां रह गया होता, तो मुझे नहीं लगता कि जिनलोगों का कांग्रेस पर नियंत्रण है, उन्होंने मेरा समर्थन किया होता।    

वंशवाद की राजनीति पर आपके विचार क्या हैं?

अगर एक परिवार से आने वाले किसी व्यक्ति की जनता के बीच में स्वीकार्यता है तो वह राजनीति में रह सकता है। बिना स्वीकार्यता और क्षेत्र मे बगैर कड़ी मेहनत किए आज नहीं तो कल लोगों को इसका पछतावा होगा।

आपका उत्तराधीकारी कौन होगा?

मेरे उत्तराधीकारी के बारे में मेरी पार्टी तय करेगी। मीडिया में यह गलत धारणा है कि मेरी बेटी या मेरा भतीजा मेरी जगह लेगा। ओहदा और काम इस बात को तय करेगा।

क्यों एनसीपी अन्य दूसरी क्षेत्रीय पीर्टियों की तरह सफल नहीं हो पाई?

एनसीपी सिर्फ 15 साल पुरानी है। यह एक समावेशी पार्टी है। मुझे मालूम है कि बीएसपी के संस्थापक कांशी राम ने उसको खड़ा करने के लिए 50 साल तक काम किया था। जब वह गोलाबारूद के एक कारखाने में काम कर रहे थे तभी उन्होंने इसकी शुरुआत की और एकखास वर्ग के लिए काम करने की रणनीति बनाई।

पार्टी लाइन से बाहर आपके दोस्तों की बहुत बड़ी मंडली है। इसने आपके पक्ष में काम किया या आपके खिलाफ?

ये सभी व्यक्तिगत समीकरण हैं, राजनीतिक नहीं।

तो हाल ही में अरुण जेटली के बारामती में आपके घर आने को हमें कैसे देखना चाहिए?

वह विकास का मॉडल देखना चाहते थे। विभिन्न पार्टियों के कई दूसरे लोगों ने भी इसका मुआयना किया है। बिहार के मुख्यमंत्री ने इसका मुआयना किया, लालू प्रसाद इसे देखने के  लिए आए हैं। इसमें असमान्य सी कोई बात नहीं है।        

ऐसा लगता है कि आपने बाररामती के लिए बहुत कुछ किया है, लेकिन विदर्भ और मराठवाड़ा में गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे कई क्षेत्र हैं।

मराठवाड़ा ने औरंगाबाद आदि क्षेत्र विकसित किए हैं। लेकिन इस साल सूखे की वजह से मराठवाड़ा समस्याओं से जूझ रहा है। यही समस्याएं बारामती को भी डराती हैं। ये सब प्राकृतिक समस्याएं हैं।

क्या एनडीए की कृषि नीति सही रास्ते पर है?वित्त मंत्री कहते हैं कि अगर हम सिंचाई पर निवेश करेंगे तो तेजी से लाभ देगा, लेकिन सरकार बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कृषि योग्य भूमि को अधिग्रहित करने में व्यस्त है?

मैं बुनियादी ढांचा के विकास के विरुद्ध नहीं हूं और इसके लिए जमीन की जरूरत है। लेकिन उसके लिए उचित मुआवजे की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि किसान कहीं और जमीन खरीद सकें। मैं लाभकारी मूल्यों के मुद्दे को लेकर चिंतित हूं। मुझे नहीं लगता कि वर्तमान सरकार मुनासिब लाभकारी मूल्य दे रही है।

लेकिन आपके कार्यकाल में भी प्याज का एक संकट हुआ था.....

प्याज संकट क्या होता है? यह मध्यम वर्ग का प्रचार है जो सब कुछ सस्ती दरों पर चाहता है। क्यों किसानों को अच्छे दाम नहीं मिलने चाहिए? पहली बार किसानों को अच्छी कीमत मिल रही थीं। प्याज मुख्यत: एक गैर-कृषि फसल है और सिर्फ कुछ ही साल ऐसे होते हैं जब इन किसानों मे से कुछ को प्याज की अच्छी कीमत हासिल होती है। लेकिन हर बार जब कीमतें बढ़ती हैं तो यहां दिल्ली और मीडिया में हंगामा या शोरगुल खड़ा हो जाता है।

हरित क्रांति को हुए अब 50 साल हो गए हैं,और आप कहते हैं कि अभी तक हमारी कृषिमें गिरावट है....

पिछली सरकार में दूसरी हरित क्रांति के अंग के रूप में भारत के पूर्वी क्षेत्र पर ध्यान था। झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल ने भारी मात्रा में चावल का उत्पादन किया और देश की जरूरत को पूरा किया। सरकार की नीतियों ने उन राज्यों में किसानों को प्रोत्साहित किया और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई। उसमें राज्य सरकारों का व्यापक सहयोग मिला था। वे अच्छा काम कर रही हैं।    

क्या आप जीएम फसलों के समर्थन में हैं?

निश्चित तौर पर। कोई भी फसल जिसपर बेहतर शोध किया गया हो और जो मानव और पर्यावरण के लिए स्वस्थ साबित हुई हो, मैं उसके समर्थन में हूं।

क्या खेती के लिए पर्याप्त भूमि है? क्या कृषि भूमि सिकुड़ नहीं रही है?

भूमि उपलब्ध है और मेरा मानना है कि कृषक समुदाय में पूरे परिवार को कृषि पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए। केवल एक सदस्य को यह काम करना चाहिए, दूसरों को अन्य काम करना चाहिए। जब तक आप भूमि पर दबाव का हल नहीं निकालेंगे, तब तक कृषि व्यवहार्य या अर्थसक्षम नहीं होगी।

 

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TAGS: राजनीतिज्ञ, किसान, क्रिकेट प्रशासक, प्रधानमंत्री, दावेदार, शरद पवार, आत्मकथा, ऑन माई टर्म्स: फ्रॉम द ग्रासरूट्स टू द कॉरीडोर्स ऑफ पावर, स्पिकिंग टाइगर, कांग्रेसी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, दिल्ली, बुला देवी, यूपीए, अरुण जेटली, लालू यादव, सोनिया गांधी, राहुल गांधी
OUTLOOK 17 December, 2015
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