एड्स पीड़ितों से भेदभाव अपराध, विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी
जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले दिनों एचआइवी और एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 को मंजूरी दे दी। लोकसभा ने 11 अप्रैल को यह विधेयक पारित किया था। जिसे राज्यसभा ने 21 मार्च को इसे मंजूरी दी थी। नए कानून में एचआइवी ग्रस्त लोगों की संपत्ति और उनके अधिकारों को संरक्षण प्रदान करने के प्रावधान हैं। किसी व्यक्ति के एचआइवी ग्रस्त होने की जानकारी सार्वजनिक करते पाए गए लोगों को अधिकतम एक लाख रुपए तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
कानून के प्रावधानों के अनुसार इस तरह की बीमारियों से पीड़ित लोगों के खिलाफ नफरत फैलाते पाए गए लोगों को कम से कम तीन महीने की कैद की सजा सुनाई जाएगी। इसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है। उन पर एक लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही एड्स पीड़ितों के साथ रोजगार, शिक्षण संस्थानों में और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं देने में भेदभाव करने पर रोक लगा दी गई है। जानकारी के मुताबिक कानून में एचआइवी या एड्स से पीड़ित किसी भी शख्स के साथ रोजगार, शिक्षण संस्थानों में और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं देने में भेदभाव करने को प्रतिबंधित किया गया है।
किया जाएगा मुफ्त इलाज
संसद सत्र के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने बताया था कि पहले सीडीएफ काउंट 500 पहुंचने पर ऐंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट एआरटी (ART) शुरू किया जाता था। उसके बाद सीडीएफ काउंट को 350 किया गया लेकिन सत्र के तुरंत बाद इसमें जांच और उपचार की नीति शुरू की जाएगी। इसमें सीडीएफ काउंट के बजाय जिस दिन कोई व्यक्ति HIV पॉजिटिव पाया जाएगा, उसी दिन से उसका इलाज शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कई बार इस बात को दोहराया कि सरकार HIV मरीजों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है और यह उपचार सौ फीसदी केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित होगा।
होगा लोकपाल
स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक इस विधेयक में HIV एड्स पीडितों और उनके बच्चों का संपत्ति में हक कानूनी अधिकार के जरिए सुरक्षित करने के प्रावधान किए गए हैं। पीडितों के अधिकारों का उल्लंघन होने की स्थिति में विधेयक में एक लोकपाल की व्यवस्था की गयी है जहां शिकायत करने पर 30 दिन के भीतर कार्रवाई करनी होगी और इसका अनुपालन नहीं करने पर 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान होगा।