बिहार उपचुनाव: नाक की लड़ाई बनी 2 सीट, RJD जीती तो NDA सरकार में होगा बड़ा 'खेला'; क्या है नीतीश के पास रास्ता
बिहार के दो सीट- कुशेश्वर स्थान और तारापुर विधानसभा सीट पर आज 30 अक्टूबर को उपचुनाव हुए हैं। ये दोनों सीट राज्य में आने वाले दिनों में कई तरह की सियासी तस्वीर बदलेगा। दोनों सीट को लेकर विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की ओर से पूरा जोर लगाया गया है। तेजस्वी का दावा है कि दोनों सीटों पर जनादेश उनके पक्ष में जाएगा। नतीजे दीवाली से पहले 2 नवबंर को आएंगे।
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बुधवार को करीब छह साल बाद तारापुर में राजद सुप्रीमो लालू यादव ने रैली कर पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जेडीयू प्रत्याशी के लिए वोट मांगा। गौरतलब हो कि पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों सीटों पर जेडीयू उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। लेकिन, विधायकों के निधन के बाद से सीटें खाली है। अब राजद इस सीट को अपने कब्जे में लाने की कोशिश कर रही है।
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आउटलुक से बातचीत में राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहते हैं, "हमारा जनाधार मजबूत है। उम्मीद है कि हम जीत दर्द करेंगे। यदि ऐसा होता है फिर नीतीश सरकार में बड़ा खेला होगा।" दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में जेडीयू की अगुवाई वाली एनडीए ने कुल 125 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, तेजस्वी की पार्टी राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन ने कुल 110 सीटों पर कब्जा किया था। बहुमत के लिए कुल 122 सीट की जरूरत है। यदि आरजेडी के खाते में ये दोनों सीटें आ जाती है तो फिर गठबंधन का आंकड़ा 112 पहुंच सकता है।
वहीं, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पांच विधायक हैं। राजद प्रवक्ता का दावा है कि यदि तेजस्वी सरकार बनाने की परिस्थिति में आते हैं तो ओवैसी उनका साथ देंगे। यानी यदि नीतीश सरकार के घटक दलों में यदि थोड़ी भी हलचल होती है तो एनडीए सरकार गिर सकती है।
मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी का रवैया कई मोर्चों पर तेजस्वी के पक्ष में और नरम दिखा है। अब दो नवंबर के बाद फिर से बिहार की राजनीति नए कयासों को जन्म दे सकता है। इधर कांग्रेस का रूख महागठबंधन में सख्त दिखाई दे रहा है। लालू प्रदेश प्रभारी पर वार कर चुके हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस को हारने के लिए वो दोनों सीट उसे दे देतें।