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23 August 2021

अब नीतीश के लिए कुशवाहा बड़ी चुनौती, करेंगे सीएम पद की दावेदारी?, जेडीयू के सत्ता 'संघर्ष' में बढ़ेंगी मुश्किलें!

PTI

उपेंद्र कुशवाहा जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं। वहीं, ललन सिंह अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के बाद बनाए जा चुके हैं। लेकिन, अब जिस तरह की परिस्थितियां सामने निकलकर आ रही है उससे ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले समय में अपनी पार्टी रालोसपा का जेडीयू में विलय करने वाले और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पीएम पद की रेस में बताने वाले उपेंद्र कुशवाहा सीएम नीतीश के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। हालांकि, कुशवाहा की तरफ से ऐसी कोई प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है। लेकिन, उनके कार्यकर्ताओं द्वारा इस बात की ओर ईशारा कर दिया गया है। वहीं, जेडीयू जिलाध्यक्ष का कहना है कि ये गलत है। इस पर कार्रवाई होगी। कुशवाहा ने ऐसा कभी कुछ नहीं कहा है।

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दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा इस वक्त बिहार यात्रा पर हैं। वो जिले-जिले पार्टी संगठन का दम भरते हुए भ्रमण कर रहे हैं और अपने कार्यर्ताओं से मुखातिब हो रहे हैं। इसी कड़ी में 26 अगस्त को कुशवाहा मुजफ्फरपुर आएंगे। यहां समाहरणालय के बाहर उनके स्वागत में पोस्टर लगाए गए हैं जिस पर उन्हें भावी मुख्यमंत्री बताया जा रहा है। इसमें उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार की तस्वीरें लगी हुई है। जिसके बाद से राजनीति में इस बात की चर्चा हो रही है कि क्या आने वाले वक्त में कुशवाहा नीतीश को चुनौती देंगे।

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जेडीयू इस बात को स्पष्ट कर चुकी है कि वो नीतीश के नेतृत्व में ही आगामी चुनाव लड़ेगी। इस बात का दावा पार्टी प्रवक्ता अजय आलोक ने आउटलुक के साथ बातचीत में किया था। उन्होंने कहा था कि पार्टी के नेतृत्व नीतीश हीं करेंगे, जब तक वो सक्षम हैं। वहीं, एनडीए में जेडीयू के साथ मुख्य घटक दल भाजपा भी अपनी अलग जमीन तलाशने की तैयारी में है। पिछले कुछ हफ्ते पहले हाजीपुर में पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने अपने कार्यकर्ताओं से स्पष्ट तौर पर कहा था कि संगठन को इतना मजबूत किया जाए कि अगली बार भाजपा की सरकार बनें।

हालांकि, देखा जाए तो उपेंद्र कुशवाहा मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के लिए राजनीतिक तौर पर राज्य में इतनी जमीन नहीं बना पाए हैं कि उन्हें जनता सत्ता अकेले दम पर सौंप दें। क्योंकि, बीते चुनाव में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। कुशवाहा को वोट प्रतिशत भी राज्य में करीब 8 फीसदी के आसपास है। कुशवाहा के जेडीयू में शामिल होने के बाद चुटकी लेते हुए आउटलुक से बातचीत में राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा था, "शून्य को किसी में जोड़ देने या घटा देने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। कुशवाहा इस वक्त यही है।"

आरजेडी भी महागठबंधन की अगुवाई करते हुए सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी हुई है। इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 110 सीटें हासिल की थी। जेडीयू को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है।

अब जिस उम्मीद और वोट बैंक के समीकरण को साधते हुए नीतीश ने भाजपा की बनाई लकीर से अलग हो कर रालोसपा को अपनी पार्टी में विलय किया है और "लव-कुश" फैक्टर को टारगेट करने की रणनीति तैयार की है। ऐसे में यदि कुशवाहा अपना चेहरा बदलते हैं फिर नीतीश को वापसी के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।

हालांकि, कई रास्ते अभी भी नीतीश के सामने खुले हुए हैं। यदि उन्हें बीजेपी और कुशवाहा दोनों धोखा देते हैं तो भी नीतीश आरजेडी के साथ आकर गेम बदल सकते हैं। क्योंकि, आरजेडी का सीधे तौर पर कहना है कि नीतीश तेजस्वी को राज्य में मौका दें और वो राष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर से अपनी किस्मत आजमाए। हालांकि, ये सभी कयास हैं और राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है।

नीतीश कुशवाह के पीएम मैटेरियल वाले बयान पर भी सफाई दे चुके हैं। उन्होंने कहा था उनकी ऐसी कोई दिलचस्पी नहीं है।

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TAGS: Upendra Kushwaha, Nitish Kumar, JDU, RLSP, Chief Minister Of Bihar, Lalu Prasad Yadav, नीतीश कुमार, उपेंद्र कुशवाहा, जेडीयू, मुख्यमंत्री
OUTLOOK 23 August, 2021
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