आखिर क्यों बार-बार JDU नेता सीएम नीतीश को बता रहे 'पीएम मैटेरियल', फिर से BJP के साथ 2024 में होगा 2014 जैसा खेला?
पिछले दिनों जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बड़ा बयान देते हुए बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर दी थी। कुशवाहा ने कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी 'पीएम मैटेरियल' हैं। सीएम नीतीश भी पीएम रेस में हैं। वहीं, उसके बाद जेडीयू के बड़े कद्दावर नेता केसी त्यागी ने भी कुशवाहा के सुर में सुर मिला दिये। बीते दिनों त्यागी ने कहा कि सीएम नीतीश में पीएम बनने की योग्यता है। हालांकि, त्यागी ने अपने बयान को दूसरी दिशा में मोड़ते हुए कहा है कि लेकिन वो इस रेस में नहीं है। उसके लिए अभी नरेंद्र मोदी ही हैं।
नीतीश कुमार लगातार अपने सहयोगियों के इस बयान को नकारते हुए मुस्कुराकर जवाब दे रहे हैं। कुशवाहा के बयान के बाद उन्होंने कहा था ऐसी कोई योजना नहीं है और मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। वहीं, जेडीयू नेता केसी त्यागी के बाद इस सवाल के जवाब में सीएम नीतीश ने कहा कि ये पार्टी के नेताओं का बयान है। सीएम नीतीश ने कहा था, "पार्टी की बैठक दूसरे मुद्दे को लेकर बुलाई गई थी, इसमें किसी ने पीएम मैटेरियल पर कुछ कह दिया। उन्होंने आगे कहा, पार्टी की बैठक पिछले दिनों अध्यक्ष के निर्वाचन, संविधान में संशोधन सहित दूसरे कई मामलों को लेकर हुई थी, लेकिन अब कोई कुछ बयान दे दे तो, इसको पार्टी का फैसला नहीं माना जाना चाहिए।"
लेकिन, जिस तरह से जेडीयू नेता नीतीश को पीएम मैटेरियल बताकर एनडीए की राजनीति को गर्म कर रहे हैं, उससे ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले वक्त में ऐसा तो नहीं कि जेडीयू बीजेपी के साथ बड़ा खेल करने की तैयारी में है। क्योंकि, जातीय जनगणना के बहाने फिर से तेजस्वी-नीतीश में नजदीकियां देखने को मिल रही है। भाजपा के साथ सत्ता में गठबंधन के रूप में रहने के बावजूद भी खटपट जारी है। भाजपा जेडीयू कई मोर्चों पर सरकार में रहते हुए भी आमने-सामने है। पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी लगातार नीतीश और एनडीए गठबंधन की लाइन से आगे बढ़कर बयान दे रहे हैं। सम्राट के दो ऐसे बयान हाल के दिनों में आए हैं जिसने बिहार सरकार के भीतर सब कुछ ठीक ना होने की बातें कह दी हैं। विधानसभा में जेडीयू नेता और सदन के अध्यक्ष विजय सिन्हा को "ज्यादा व्याकुल ना होइए" वाली नसीहत देने के बाद चौधरी ने अब ये कहा है कि राज्य में चार दलों की मिलकर सरकार है और सभी की विचारधारा अलग-अलग है इसलिए काम करने में मुश्किलें आती हैं। वहीं, इससे पहले हाजीपुर में अपने कार्यकर्ताओं से मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा था कि संगठन को प्रखंड स्तर पर इतना मजबूत किया जाए कि अगली बार केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार बनें।
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अब जिस तरह से बयानों और मिलने का दौर जेडीयू की तरफ से चल रहा है उससे संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी अब नए की तलाश में जुट गई है। बिहार में जेडीयू और भाजपा का करीब 15 साल से अधिक का साथ है। लेकिन, इससे पहले 2014 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार एनडीए और नीतीश-मोदी के बीच 'खेला' हो चुका है।
दरअसल, ठीक एक साल बाद साल 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में होने वाले लोकसभा चुनाव में एनडीए के उतरने के फैसले के बाद साल 2013 में जेडीयू ने भाजपा से अपना रिश्ता खत्म कर लिया था। उस वक्त शरद यादव पार्टी के अध्यक्ष थे। यादव ने आरोप लगाया था कि एनडीए अपने राष्ट्रीय मुद्दों से भटक चुका है। भाजपा के साथ सरकार चलाना मुश्किल है। उस वक्त नीतीश कुमार ने पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर गठबंधन टूटने का ठीकरा फोड़ा था। नीतीश ने कहा था, हमारी उपलब्धियों से लोगों को परेशानी हो रही थी। एक बाहरी आदमी के इशारों पर हमारे कामों में परेशानियां पैदा की जा रही थी।“
जिसके बाद नीतीश ने बिहार विधानसभा 2015 में राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था जो 2017 तक चला। इस दौरान नीतीश और पीएम मोदी के बीच कई बार जुबानी जंग देखने को मिली। पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने बिहार के मुजफ्फरपुर में एक सभा की थी, जिसमें उन्होंने नीतीश पर सीधा हमला बोलते हुए उनके डीएनए पर सवाल उठाए थे। जिस पर नीतीश ने गहरी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि इससे बिहार की जनता का अपमान हुआ है।