प्रियंका ने बिजनौर में हिंसा की न्यायिक जांच की मांग उठाई, सरकार का आरोप- बाहरी तत्वों ने माहौल बिगाड़ा
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने आज उत्तर प्रदेश के बिजनौर में नागरिकता कानून को लेकर भड़की हिंसा में मारे गए दो लोगों के परिजनों से मुलाकात की। परिवारी जनों से मिलने के बाद उन्होंने बिजनौर में हुई हिंसा की न्यायिक जांच कराने की मांग की। उन्होंने परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया है। उधर, संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा के लिए बाहरी लोगों को जिम्मेदार ठहराते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि इस्लामिक संगठन पीएफआइ और सिमी से संबंधित पश्चिम बंगाल के छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अधिकारियों ने तृणमूल कांग्रे के प्रतिनिधिमंडल को भी लखनऊ हवाई अड्डे पर रोका है जब वह हिंसा में मारे गए लोगों से मिलने के लिए आ रहे थे। हिंसक प्रदर्शनों के चलते उत्तर प्रदेश में 16 लोगों की मौत हो गई।
हिंसा में पश्चिम बंगाल के छह लोग गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने जल्दी में बुलाई प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगाया कि राज्य के विभिन्न जिलों में हिंसा के लिए बाहरी लोग जिम्मेदार हैं। पुलिस ने पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के छह लोगों को गिरफ्तार किया है जो पीएफआइ से जुड़े हैं। शर्मा का बयान तब आया है जब टीएमसी का प्रतिनिधिमंडल हिंसा में मारे गए लोगों से मिलने के लिए लखनऊ हवाई अड्डे पर पहुंचा। जहां उन्हें रोक दिया गया।
लखनऊ हवाई अड्डे पर सदस्यों को पुलिस ने रोकाः टीएमसी
दल में सदस्य के तौर पर शामिल टीएमसी के राज्यसभा सदस्य मोहम्मद नदीमुल हक ने कहा कि वे और अन्य सदस्य हवाई अड्डे पर हैंगर के निकट धरना दे रहे हैं। जैसे ही विमान लखनऊ पहुंचा, पुलिस ने हमें घेर लिया और एकांत स्थान पर ले गई। हम वहां धरना दे रहे हैं।
प्रियंका गांधी मरे लोगों के परिजनों से मिलीं
स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने बताया कि प्रियंका गांधी बिजनौर के नहतौर क्षेत्र में पहुंची और दो लोगों के परिजनों से मिलीं। प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़कने से इन दोनों की मौत हो गई थी। उन्होंने क्षेत्र के लोगों से भी बातचीत की। उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा से प्रभावित प्रमुख शहरों में बिजनौर भी शामलि है। वहां पथराव होने के बाद वाहनों को भी आग लगा दी गई।
पूरे देश में विरोध प्रदर्शन
जबकि बिहार में राजद द्वारा बुलाए गए भारत बंद के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा से रेल और सड़क यातायात बाधित हुआ। इस बीच उत्तर प्रदेश में आज फिर इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के 21 जिलों में इंटरनेट सेवा को सोमवार तक बंद कर दिया गया है। कांग्रेस, वामपंथी दल और अन्य विपक्षी पार्टिया केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रही हैं, जिसमें मांग की जा रही है कि विवादास्पद कानून को खत्म कर दिया जाए। देश भर में नए कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज है। लेकिन उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून के विरोध में हिंसा की ज्यादा घटनाएं सामने आ रही हैं। इसे देखते हुए पुलिस-प्रशासन मुस्तैद है और हर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। एहतियात के तौर पर उत्तर प्रदेश में रविवार को फिर इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। उत्तर प्रदेश के 21 जिलों में इंटरनेट सेवा सोमवार तक बंद रखने का ऐलान किया गया है। इसके अलावा यूपी डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि लखनऊ में धारा 144 लागू है, ऐसे में टीएमसी नेताओं को हम यहां आने की अनुमति नहीं देंगे। उनके यहां आने से तनाव बढ़ सकता है।
705 लोग गिरफ्तार, 4,500 लोग हिरासत में
यूपी पुलिस ने कहा कि पिछले दो दिनों के दौरान हिंसा के लिए 705 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 4,500 लोगों को हिरासत में लिया गया। उन्होंने कहा कि 260 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें से 57 बंदूक की गोली से जख्मी हुए हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में भी प्रदर्शन जारी
राष्ट्रीय राजधानी में बड़े पैमाने पर विरोध और संघर्ष के बीच भीम आर्मी के प्रमुख चंद्र शेखर आजाद को गिरफ्तार किया गया था बाद में उन्हें कोर्ट ने 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। शनिवार को इंडिया गेट, जामिया मिलिया इस्लामिया, राजघाट, उत्तर प्रदेश भवन सहित कई स्थानों पर पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। पुलिस ने कहा कि किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। वहीं दरियागंज में शुक्रवार की हिंसा के लिए गिरफ्तार किए गए पंद्रह लोगों को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, जबकि 11 अन्य को सीमापुरी की घटना के सिलसिले में एक पखवाड़े के लिए जेल भेज दिया गया।