सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल एनकाउंटर की जांच को लेकर केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। गत वर्ष अक्टूबर में मध्य प्रदेश पुलिस ने जेल से फरार प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के आठ सदस्यों को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था।
मध्यप्रदेश सरकार ने जेल से फरार सिमी के आठ व्यक्तियों की तलाश और मुठभेड़ में मार गिराने की घटना में अहम भूमिका निभाने वाले पुलिसकर्मियों को दो-दो लाख रुपये का इनाम देने के फैसले पर रोक लगा दी है।
भोपाल के सेंट्रल जेल से सिमी के 8 आतंकवादियों के भागने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। 30 अक्टूबर के दिन जेल की सुरक्षा में तैनात 160 जेल प्रहरियों में से 80 जेल प्रहरी जेल के बाहर थे। ये लोग मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, महानिदेशक के बंगलों पर तैनात थे। भाजपा शासित मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चाैैहान मुख्यमंत्री हैं।
भाजपा ने सिमी के आठ सदस्यों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने की न्यायिक जांच की मांग करने को लेकर कांग्रेस तथा अन्य दलों पर निशाना साधते हुए इसे वोट बैंक की राजनीति करार देते हुए कहा कि पुलिस एवं सुरक्षा बलों ने तत्परता से काम किया है और एेसे विषयों का मानवाधिकार के नाम पर राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए।
भाजपा ने सिमी के आठ सदस्यों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने की न्यायिक जांच की कुछ विपक्षी दलों की मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वोटबैंक की राजनीति के तहत आतंकवादियों के मारे जाने की घटना की जांच की मांग का चलन खत्म होना चाहिए।
भोपाल की केंद्रीय जेल से 8 सिमी आतंकी ड्यूटी पर तैनात हेड कॉन्स्टेबल को मारकर फरार हो गए। मारे गए हेड कॉन्स्टेबल की पहचान रमाशंकर के रूप में हुई है। फरार होने वाले सभी 8 आतंकी शेख मुजीब, खालिद, मजीद, अकील खिलजी, जाकिर, महबूब, अमजद और सलिख हैं। राज्य के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि पूरे राज्य की पुलिस को अलर्ट कर दिया गया है। जेल प्रबंधन की नाकामियों की वजह से आतंकियों ने इस घटना को अंजाम दिया। कार्रवाई करते हुए जेल के 5 अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है।