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12 March 2016

गठजोड़ ही भाजपा की गांठ न बन जाए

पीटीआइ

कांग्रेस बोडोलैंड को छोड़ पूरे राज्य में अकेले चुनाव लड़ रही है। बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने कांग्रेस के साथ तालमेल का भरसक प्रयास किया लेकिन कांग्रेस ने उसे भाव नहीं दिया। इसलिए यह भी अकेले चुनाव लड़ेगी।

भाजपा अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है और केंद्र में अपनी सरकार होने का लाभ उठाने की कोशिश में जुटी है। लेकिन असम गण परिषद-भाजपा गठबंधन की घोषणा के बाद से इन दोनों दलों में आतंरिक संघर्ष तेज हो गया है। भाजपा ने दिसपुर पर कब्जा करने के मकसद से अगप के साथ हाथ तो मिला लिया लेकिन अब उसके लिए यह मुसीबत बन गया है। भाजपा पर इसका गलत असर पड़ रहा है। संघ अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में था।

अगप को चौबीस सीटें दी गई हैं, लेकिन इनमें से कई सीटों पर भाजपा की अच्छी स्थिति थी। स्थानीय नेताओं ने पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की थी लेकिन अंतिम समय में जीत की संभावना वाली सीटें अगप को देने से पार्टी कार्यकर्ताओं में भी रोष है। अब कई सीटों पर भाजपा को बागी उम्मीदवार खड़े होने का खतरा मंडरा रहा है। कई ऐसी भी सीटें अगप को दे दी गईं, जिन पर भाजपा के विधायक चुने गए थे। लिहाजा इस गठबंधन से भाजपा को लाभ से अधिक नुकसान ही होगा। अगप को दी गईं कई सीटों पर भाजपा की जीत तय मानी जा रही थी। उन सीटों पर भाजपा के समर्थक अब शायद ही चुनाव प्रचार करें। भाजपा का प्रदेश नेतृत्व अगप को सीमित सीटें देने के पक्ष में था, लेकिन सत्ता पर कब्जा करने की भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की चाह ने राज्य में पार्टी की परेशानी बढ़ा दी। इस गठबंधन से अगप को लाभ मिलेगा। सभी चौबीस सीटों को जीत पाना अगप के लिए मुश्किल है लेकिन अब उसके ज्यादा सीटें जीतने की संभावना बढ़ गई है। अगप के पास चुनाव प्रचार के लिए धन का घोर अभाव था। गठबंधन से उसे पर्याप्त धन मिल जाएगा। कहा जाता है कि भाजपा बीपीएफ गठबंधन बेहतर था। अगप के साथ चुनाव बाद गठबंधन सही होता, क्योंकि अगप कांग्रेस के साथ सरकार में कभी शामिल नहीं होगी।

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अगप-भाजपा गठबंधन से उपजे विद्रोह की स्थिति का लाभ कांग्रेस को मिलेगा। बागी उम्मीदवार अगप-भाजपा गठबंधन के लिए वोटकटुवा बन सकते हैं। टिकट बंटवारे पर भी असंतोष बढ़ेगा। असंतोष की स्थिति अगप के सामने भी है लेकिन अगप के पास खोने को कुछ नहीं है, जबकि भाजपा के पास राज्य में सरकार बनाने लायक बहुमत की संभावना थी। भाजपा को बीपीएफ से काफी उम्मीद है। यह अलग बात है कि बोडोलैंड की राजनीति में हाग्रामा मोहिलारी की स्थिति अब पहले जैसी नहीं है। ऑल बोडो छात्रसंघ के समर्थन वाली यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी से कांग्रेस ने हाथ मिला लिया है। ऐक्य मंच बोडोलैंड में गैर बोडो मतों को बांटने का प्रयास करेगा। इससे कांग्रेस को लाभ होगा।

पहले माना जा रहा था कि इस बार बदरुद्दीन अजमल किंगमेकर होंगे लेकिन उनकी पार्टी की हालत खराब है। उसके दो विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। भाजपा के बढ़ते प्रभाव की वजह से अल्पसंख्यकों का रुझान कांग्रेस की तरफ जा रहा है। अजमल की बेचैनी की यह बड़ी वजह है। उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद असल स्थिति सामने आने लगी। - रविशंकर रवि

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TAGS: असम, भाजपा, अगप, कांग्रेस, विधानसभा चुनाव, बदरुद्दीन अजमल, बोडोलैंड, गठजोड़
OUTLOOK 12 March, 2016
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