पश्चिम बंगाल चुनाव: जिस पर था ममता को सबसे अधिक भरोसा, वही अब बड़ी चुनौती; पहले चरण में 30 सीटों पर वोटिंग जारी
पश्चिम बंगाल के पांच जिलों की कुल 30 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। जिसमें पुरुलिया की नौ सीटें, बांकुरा की चार, झाड़ग्राम की चार और पश्चिमी मेदिनीपुर की छह सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। इसके अलावा हाई-स्टेक पुरबा मेदिनीपुर की सात सीटें पर भी मतदाता नेताओं की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद कर रहे हैं।
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बंगाल की लड़ाई में मुख्य रूप से सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आमने-सामने है। लेकिन, ममता की राह इस बार इतनी आसान भी नहीं है। लगातार उनके वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए विरोधी और विपक्षी दल नए-नए गठजोड़ करने में लगे हुए हैं। बंगाल में मुस्लिम वोटरों का अच्छा-खासा समीकरण है। ऐसे में सीएम ममता के लिए बड़ी चुनौती दिखाई दे रही है।
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बंगाल में करीब 31 फीसदी मुस्लिम वोट बैंक है। लेकिन, इस चुनाव में दो मुस्लिम चेहरे कुद पड़े हैं जो वोट के नजरिए से भाजपा की मदद और ममता को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बंगाल चुनाव में इस बार मुस्लिम धर्मगुरू अब्बास सिद्दीकी भी ताल ठोक रहे हैं वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी चुनाव लड़ने को लेकर ऐलान करने वाले हैं। सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) विधानसभा चुनावों में वाम-कांग्रेस गठबंधन का समर्थन कर रहा है।
शनिवार 27 मार्च को पहले चरण का मतदान जारी है। तीन बजे पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में दोपहर 3 बजे तक 55.27% मतदान हुआ है। राज्य में आठ चरणों में मतदान होने हैं। वहीं, यदि ये दोनों मुस्लिम चेहरे बंगाल चुनाव में उतरते हैं तो सीधे तौर पर इसका नुकसान ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को उठाना पड़ेगा। और इससे भाजपा को फायदा होगा।