Advertisement
06 December 2021

नगालैंड फायरिंग की घटना पर संसद में रोष, विपक्षी सांसदों ने कहा- निरस्त हो अफ्सपा; उठी निष्पक्ष जांच की मांग

लोकसभा सदस्यों ने सोमवार को नगालैंड में सुरक्षा बलों द्वारा उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान नागरिकों की हत्या की निंदा की और घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की।

सदस्यों ने नगालैंड में लागू सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफ्सपा) को निरस्त करने का भी आह्वान किया। यह कानून सुरक्षा कर्मियों को कानून और व्यवस्था के उल्लंघन के मामले में उचित चेतावनी के बाद बल का उपयोग करने और यहां तक कि गोलियां चलाने की अनुमति देता है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने देश की एकता और अखंडता के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का भावनात्मक एकीकरण अत्यंत महत्वपूर्ण होने पर जोर देते हुए मांग की कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा निष्पक्ष न्यायिक जांच होनी चाहिए।उन्होंने सरकार से यह भी आग्रह किया कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ अफ्सपा के तहत छूट नहीं दी जाए।

Advertisement

लोकसभा में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के सदस्य तोखेहो येप्थोमी ने कहा, “घटना की जांच होनी चाहिए। राज्य सरकार ने मृतकों के लिए पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है। लेकिन नागरिक केंद्रीय सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए थे, इसलिए मुआवजे का भुगतान केंद्र द्वारा किया जाना चाहिए।"
येप्थोमी ने 4 दिसंबर को नागालैंड में उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान 14 नागरिकों के मारे जाने का जिक्र करते हुए कहा, "अफ्सपा ने सुरक्षा बलों को अंधाधुंध लोगों को मारने का अधिकार नहीं दिया है।"

कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई ने कहा कि सुरक्षा बलों के हाथों भारतीयों की मौत बेहद निंदनीय है। गोगोई ने कहा, "निहत्थे नागरिकों के एक समूह को आतंकवादी के रूप में कैसे गलत पहचान किया जा सकता है।" गोगोई ने उत्तर-पूर्व की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की।

सुदीप बंद्योपाध्याय (तृणमूल) ने कहा कि नागालैंड में स्थिति को और खराब नहीं होने दिया जाना चाहिए और घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को अधिकतम मुआवजा देने की मांग की। सदस्यों ने कहा कि ऐसे समय में जब केंद्र राज्य में विभिन्न समूहों के साथ शांति वार्ता कर रहा है, नागालैंड को "अनिश्चितता में नहीं डाला जाना चाहिए"।

शिवसेना के विनायक राउत ने आश्चर्य जताया कि खुफिया एजेंसियां सुरक्षा बलों को इस तरह के भ्रामक इनपुट कैसे दे सकती हैं। उन्होंने खुफिया एजेंसियों के कामकाज की जांच की भी मांग की।

पी वी मिधुन रेड्डी (वाईएससीआरपी) ने अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, लेकिन कहा कि सशस्त्र बलों का मनोबल कम न हो, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

टी आर बालू (डीएमके), राजीव सिंह रंजन (जेडीयू) और सुप्रिया सुले (एनसीपी) ने हत्याओं पर गहरा दुख व्यक्त किया और संसद में गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग की।

रितेश पांडे (बसपा) ने कहा कि सशस्त्र बलों द्वारा "गलतियों" या प्रोटोकॉल का पालन करने में विफलता ने सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं और घटना की निष्पक्ष जांच का आह्वान किया है।

असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम) चाहते थे कि सरकार लोकसभा को बताए कि वह राज्य में अफ्सपा को कब रद्द करेगी। ओवैसी यह भी चाहते थे कि सरकार सदन को बताए कि क्या क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में सूचना चीन से जुड़े एक मुखबिर से मिली थी।

प्रद्युत बोरदोलोई (कांग्रेस) ने नागालैंड में अफ्सपा के कार्यान्वयन पर एक निगरानी तंत्र की मांग की और मांग की कि अपराध के अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए।

बता दें कि रविवार को सेना ने नागालैंड के मोन जिले में हुई घटना पर गहरा खेद जताया और कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए। नागालैंड की राजधानी कोहिमा में पुलिस ने कहा था कि वह इस बात की जांच कर रही है कि क्या यह घटना गलत पहचान का मामला है।

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Lok Sabha, killing of civilians, anti-insurgency operation, Nagaland, Armed Forces Special Powers Act (AFSPA), नगालैंड, अफ्सपा, सुरक्षा बल, Nagaland firing incident
OUTLOOK 06 December, 2021
Advertisement