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04 April 2021

पश्चिम बंगाल चुनाव- भाजपा को उभरने में RSS का हाथ, ऐसे कर रही मजबूत

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का दो चरण संपन्न हो चुका है। इसमें मुख्यरूप से सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आमने-सामने है। भाजपा इस बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कड़ी टक्कर दे रही है। स्पष्ट है कि ममता बनर्जी की राह इस बार इतनी आसान नहीं है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) ने निभाई है। भाजपा को आरएसएस ने ग्रामीण स्तर पर मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने उस तपके को साधने की कोशिश की है जिसे नजर अंदाज किया जाता रहा है। इन समुदायों के स्थानीय नेताओं से आरएसएस ने तालमेल बिठाकर अच्छी राजनीतिक पिच भाजपा के लिए तैयार कर दी है।

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राज्य में भाजपा ने जिस ध्रुवीकरण की राजनीति शुरू की है, उससे भद्र लोक बनाम अन्य को हवा दी है। दरअसल, टीएमसी अब तक भद्र समुदायों पर ज्यादा फोकस कर रही थी जबकि अन्य लोगों को ये दल नजरअंदाज करते रहे हैं। अब भाजाप ने इसके ठीक उलट अन्य लोगों के बीच दलगत राजनीति कर अपनी पैठ को मजबूत करने में लग गई है। हमेशा से ये देखने को मिला है कि जिस दल के साथ भद्र का बोलबाला रहा है, सत्ता का सिक्का उसी का खनका है। लेकिन, बीजेपी ने यहां इसके ठीक उलट चाल चली है। मतुआ समुदाय जैसे दबे शोषित वर्गों के भीतर बीजेपी ने अपने वोट बैंक को देख लिया है और अब पार्टी यही निशाना साधने में लगी हुई है। इसमें भाजपा का साथ आरएसएस दे रही है। आरएसएस ने इनके नेताओं और मानने वालों को अपने पाले में करना शुरू कर दिया।

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स्थानीय पत्रकार अनवर हुसैन के अनुसार, सच है कि भाजपा ने काफी माहौल बनाया है, लेकिन सवाल है कि यह वोट में कितना तब्दील होगा। अभी तक पार्टी की रणनीति मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को टार्गेट करने की रही है। तृणमूल नेताओं पर कट मनी/ कमीशन लेने के तो आरोप हैं, ममता की व्यक्तिगत छवि साफ-सुथरी है। आउटलुक से वे कहते हैं, “उनके नाम पर जिन लोगों ने भ्रष्टाचार किया, जिन पर गंभीर आरोप थे उनमें अनेक तो भाजपा में चले गए। पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार भी बनाया है।” अनवर के अनुसार जो नेता तृणमूल से भाजपा में गए हैं, उनमें अनेक महारथी हैं। उन पर किसी का वश नहीं चलता। वे जहां भी रहेंगे वही करेंगे।" 

 

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TAGS: West Bengal elections, RSS, BJP
OUTLOOK 04 April, 2021
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