बीसीसीआई के सामने सुधारों को अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं
एसजीएम न्यायमूर्ति लोढा समिति द्वारा की गयी सिफारिशों पर बीसीसीआई के नियमों और दिशानिर्देशों में संशोधनों पर विचार करने के लिये बुलायी गयी है। लेकिन उच्चतम न्यायालय की कल गयी कड़ी टिप्पणियों के बाद बोर्ड को इन सुधारों को अपनाने और अपने अधिकारियों को जबरदस्ती बाहर निकालने से बचने का तरीका ढूंढने की जरूरत है। लोढा पैनल ने बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों को निकालने की मांग की थी जिसके बाद कल शीर्ष अदालत ने क्रिकेट बोर्ड को लताड़ लगाते हुए उसे इन सुधारों का पालन करने को कहा था।
लोढ़ा पैनल द्वारा जारी विशिष्ट निर्देशों का उल्लघंन करते हुए बोर्ड ने अपनी आम वार्षिक बैठक में कार्यकारिणी समिति, स्थायी समितियों, चयन पैनल की नियुक्ति की और अजय शिर्के को सचिव बनाया। उच्चतम न्यायालय ने सुधार की प्रक्रिया को लागू करने की निगरानी के लिये लोढा पैनल को कहा था। पैनल ने 31 अगस्त को ईमेल द्वारा बीसीसीआई को उस पहली अनुपालन रिपोर्ट के संदर्भ में निर्देश जारी किया था जो उसने छह दिन पहले सौंपी थी। पैनल ने इस निर्देश में बीसीसीआई को अपनी आम वार्षिक बैठक में केवल दिनचर्या के काम करने के लिये कहा था। बीसीसीआई के उल्लघंनों का जिक्र करते हुए लोढा समिति ने शीर्ष अदालत से बीसीसीआई के मौजूदा अधिकारियों को तुरंत प्रभाव से हटाने का निर्देश देने और उनकी जगह प्रशासकों का पैनल नियुक्त करने की मांग की ताकि समिति द्वारा सुझायी गयी नयी प्रणाली के हिसाब से काम हो सके।
इसने उच्चतम न्यायालय की पीठ से यह भी निर्देश देने की बात की कि बीसीसीआई ने 18 जुलाई के बाद जो फैसले लिये और जो उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के फैसले के खिलाफ थे, उन्हें अप्रभावी कर दिया जाये। उच्चतम न्यायालय की नाराजगी के बाद अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाले बीसीसीआई के पास इससे बचने के लिये अपना अडि़यल रवैया छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। यह बैठक कल यहां बीसीसीआई मुख्यालय में सुबह 11 बजे होगी।
भाषा