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17 June 2016

मानवाधिकार विशेषज्ञों की मांग, एफसीआरए को निरस्त करे भारत

गूगल

इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि सरकारी नीतियों की आलोचना करने वाले संगठनों का मुंह बंद कराने के लिए इसके प्रावधानों के इस्तेमाल का चलन बढ़ा है। मानवाधिकार रक्षकों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टियर मिशेल फोर्स्ट, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर विशेष रैपर्टियर डेविड काए और फ्रीडम ऑफ एसोसिएशन के विशेष रैपर्टियर मयना कियाई ने कहा, हम लोग इस बात से चिंतित हैं कि विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के प्रावधानों का इस्तेमाल वैसे संगठनों को चुप कराने के लिए किए जाने के मामले बढ़े हैं जो नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय या सांस्कृतिक प्राथमिकताओं की हिमायत में शामिल रहे हैं, जो सरकार समर्थित संगठनों से भिन्न हो सकते हैं। तीनों विशेषज्ञों ने भारत से एफसीआरए को निरस्त करने का आह्वान किया है। इसके बारे में उनका कहना है कि सिविल सोसायटी को विदेशी अनुदान मिलने से रोकने के लिए इसके इस्तेमाल का चलन बढ़ा है और यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों और मानकों के अनुरूप नहीं है।

 

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TAGS: संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार विशेषज्ञ, भारत, कानून, एफसीआरए, विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम, निरस्त, गैर-सरकारी संगठन, विदेशी अनुदान, मानवाधिकार रक्षक, विशेष रैपर्टियर, मिशेल फोर्स्ट, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, डेविड काए, फ्रीडम ऑफ एसोसिएशन, मयना कियाई, UN, Human rights e
OUTLOOK 17 June, 2016
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