"तालिबान ने 15 साल से अधिक उम्र की लड़कियों, 45 साल से कम उम्र की विधवाओं की सूची मांगी", हुकूमत कायम होने के बाद अब क्या होगा
अफगानिस्तान में अब तालिबान राज कायम हो चुका है। देश की राजधानी काबूल के साथ-साथ राष्ट्रपति भवन पर भी तालिबान ने कब्जा कर लिया है। अब इस देश की महिलाओं की सुरक्षा और स्वतंत्रता को लेकर काफी खतरा बताया जा रहा है। डर है कि क्या अफगानिस्तान की महिलाओं लड़कियों को सेक्स के लिए गुलाम बना लिया जाएगा। जुलाई महीने में तालिबान ने स्थानीय धार्मिक नेताओं से तालिबान लड़ाकों के साथ 'शादी' करने के लिए 15 साल से अधिक उम्र की लड़कियों और 45 साल से कम उम्र की विधवाओं की सूची उपलब्ध कराने को कहा था।
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ऐसा माना जा रहा है कि अफगान महिलाओं के लिए तालिबानियों का आतंक अभी शुरू हुआ है। जुलाई की शुरुआत में, बदख्शां और तखर के प्रांतों पर नियंत्रण करने वाले तालिबान नेताओं ने स्थानीय धार्मिक नेताओं को तालिबान के साथ 'विवाह' करने के लिए 15 वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियों और 45 वर्ष से कम उम्र की विधवाओं की सूची प्रदान करने का आदेश जारी किया था।
हालांकि,अभी तक ये जानकारी नहीं मिल पाई है कि अभी तक ऐसा किया गया है या नहीं। लेकिन यदि ये जबरन शादियां होती हैं तो महिलाओं और लड़कियों को पाकिस्तान के वज़ीरिस्तान ले जाया जाएगा और फिर से शिक्षित किया जाएगा और 'प्रामाणिक इस्लाम' में परिवर्तित किया जाएगा।
अफगानिस्तान से पिछले तीन महीनों में नौ लाख लोग विस्थापित हुए हैं। वहीं, जो लोग हैं उनमें भय की स्थिति है।
तालिबान अब अफगानिस्तान में जुल्म करता है ये देखना होगा। क्योंकि, इसका इतिहास आज से बीस साल पहले क्रुरता के साथ देखा जा सकता है। 1996-2001 शासन के दौरान तालिबान ने काफी क्रुरता बरती थी। इस दौरान महिलाओं को लगातार मानवाधिकारों के उल्लंघन, रोजगार और शिक्षा से वंचित किया गया था, बुर्का पहनने के लिए मजबूर किया गया था और 'महरम' यानि पुरूष अभिभावक के बिना घर छोड़ने से मना किया गया।
यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका वर्तमान समय में अफगानिस्तान का सबसे बड़ा दानदाता हैं। इसे महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा-रोजगार तक उनकी पहुंच, सहायता को सशर्त बनाया जाना चाहिए।
अफगानिस्तान और पूरे क्षेत्र में महिलाएं संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का स्वागत करेंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यौन हिंसा से बचे लोगों को कानून के तहत समान सुरक्षा और न्याय की पहुंच प्राप्त हो।