Advertisement
12 April 2016

'चित्त चेते' के लिए पद्मा सचदेव को मिला सरस्वती सम्मान

गूगल

जम्मू के पुरमंडल गांव में 17 अप्रैल 1940 को जन्मी पद्मा सचदेव डोगरी भाषा की बेहद प्रतिष्ठित और सम्मानित लेखिका हैं। सरस्वती सम्मान से सम्मानित उनकी कृति चित्त चेते डोगरी भाषा में लिखी उनकी आत्मकथात्मक रचना है। 662 पृष्ठों में समाई यह कृति कई प्रादेशिक, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय घटनाओं को भी समेटे हुए है, जिसके कारण इस पुस्तक का फलक अत्यंत विस्तृत हो गया है। पद्मा सचदेव की इस आत्मकथात्मक रचना की शुरूआत उनके गृह प्रदेश जम्मू कश्मीर में बिताए उनके बचपन से शुरू होकर दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों की आपाधापी में अपनी संस्कृति और अस्मिता को बचाने के संघर्ष की कहानी बन जाती है।

 

के. के. बिड़ला फाउंडेशन ने 1991 में सरस्वति सम्मान की की शुरूआत की थी। इस सम्मान के तहत 15 लाख रूपए की पुरस्कार राशि के साथ प्रशस्ति पत्र और एक प्रतीक चिन्ह भेंट किया जाता है। फाउंडेशन के अनुसार पुरस्कार की चयन प्रक्रिया के तहत पिछले 10 साल में 22 भारतीय भाषाओं में प्रकाशित पुस्तकों पर प्रत्येक भाषा समिति ने गंभीर विचार के बाद प्रत्येक भाषा से एक-एक पुस्तक की संस्तुति की। इन सभी 22 पुस्तकों पर पांच क्षेत्रीय समितियों ने विचार-विमर्श करने के बाद चयन परिषद् को सरस्वती सम्मान के लिए जिन पांच पुस्तकों के नाम की सिफारिश की उनमें चित्त चेते (पद्मा सचदेवा, डोगरी), मृनमय नदाम (ललित कुमारी पोपुरी, तेलगु), ईशानी मेघ ओ अनन्य गल्पो (अभिजीत सेन, बांग्ला), स्वप्न संहिता (यशवंत मनोहर, मराठी), कहानी दो बांग में खान (बादल हेमब्रम, संथाली) शामिल थीं।

Advertisement

 

इन सभी पुस्तकों पर गहन विचार-विमर्श के बाद भारत के पूर्व प्रधान न्यायधीश न्यायमूर्ति आदर्श सेन के नेतृत्व वाली 13 सदस्यीय चयन परिषद ने पद्मा सचदेव की डोगरी आत्मकथा चित्त चेते को वर्ष 2015 के 25वें सरस्वती सम्मान के लिए चुना है। यह कृति 2007 में प्रकाशित हुई थी। के. के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा सरस्वती सम्मान के अलावा व्यास सम्मान और बिहारी पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है। सरस्वती सम्मान हिंदी एवं संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं के लिए दिया जाता है। व्यास सम्मान हिंदी के लिए और बिहारी पुरस्कार राजस्थान के हिंदी और राजस्थानी लेखकों को दिया जाता है।

 

पद्मा सचदेव को साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्कार विरासत में मिले। इनका परिवार और पिता संस्कृत के अच्छे जानकारों में थे। बचपन के दिनों से ही पद्मा सचदेव ने अपनी मातृभाषा डोगरी में कविताएं रचनी शुरू कर दी थीं। 15 वर्ष की उम्र में उनकी पहली कविता प्रकाशित हुई और सन् 1961 में उन्होंने डोगरी भाषा की समाचार वाचिका के रूप में आकाशवाणी में काम करना शुरू किया। सचदेव को अब तक बहुत से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1987 में सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, 1988 में जम्मू एंड कश्मीर कल्चरल अकादमी पुरस्कार, 1993 में आंध्र प्रदेश का जोशुआ पुरस्कार, 2000 में साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित अनुवाद पुरस्कार और इसी वर्ष राष्ट्रपति ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। 2002 में वह डोगरा अवार्ड से भी सम्मानित की गईं।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: डोगरी, विख्यात साहित्यकार, पद्मा सचदेव, आत्मकथा, चित्त चेते, सरस्वती सम्मान, प्रकाशित पुस्तक, विचार, चयन परिषद्, के.के बिड़ला फाउंडेशन, गृह प्रदेश, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, मुंबई, महानगर, संस्कृति, अस्मिता
OUTLOOK 12 April, 2016
Advertisement