चारधाम यात्रा स्थगित, सिर्फ पुजारी-पुरोहित ही करेंगे पूजा; हाईकोर्ट ने कहा था- तीरथ सरकार का रवैया गैर-जिम्मेदाराना
हरिद्वार महाकुंभ के बाद उत्तराखंड सरकार देश और विदेश में सभी के निशाने पर है। अब मई महीने में चारधाम यात्रा शुरू होने वाली थी, लेकिन देश और राज्य में कोरोना के हर रोज बढ़ते विकराल रूप को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने इसे रद्द कर दिया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ये जानकारी गुरूवार को मीडिया को दी है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि चारों धाम के कपाट अपने तय समय पर खुलेंगे। लेकिन केवल पुजारी और पुरोहित ही धामों में पूजा अर्चना करेंगे। यात्रियों को वहां जाने की अनुमति नहीं होगी। गौरतलब है कि बुधवार को हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को फटकार लगाई थी और अपने फैसले पर विचार करने को कहा था।
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हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आर एस चौहान की अगुवाई वाली पीठ ने कोरोना महामारी को लेकर सुनवाई की थी।ऑनलाइन सुनवाई में स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी और उद्योग सचिव सचिन कुर्वे पेश हुए थे। अदालत ने सुनवाई के दौरान कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर देश और राज्य के हालात पर गंभीर चिंता व्यक्त की। ऐसे में महाकुंभ के आयोजन पर भी सवाल उठना लाजिमी था।
अदालत ने चिंता और आशंका व्यक्त की कि महाकुंभ में आये श्रद्धालुओं के चलते भी देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना महामारी का फैलाव हुआ है। अदालत ने प्रदेश में स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से इस बारे में विभिन्न प्रकार के सवाल जवाब किये। अदालत ने कहा कि विभिन्न मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रदेश में हालात बेहद खराब हैं। स्वास्थ्य ढांचा चरमरा रहा है।
ऑक्सीजन और जीवनरक्षक दवाइयों खासकर रेमडेसिविर की कमी है। कालाबाजारी हो रही है। न केवल देहरादून और हल्द्वानी बल्कि चमोली, हिटरी गढ़वाल तथा चंपावत जनपदों के हालात भी असामान्य हैं। कोरोना मरीजों के लिये आसीयू बेड, वेंटिलेटर व आक्सीजन की कमी है। अदालत ने कहा कि देश में कई राज्यों के हालात बहुत खराब हैं। लॉकडाऊन जैसी स्थिति आ गयी है।
ऐसे में सरकार में जिम्मेदारी का अभाव दिखायी दे रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से साफ साफ पूछा कि सरकार ऐसे में चार धाम यात्रा को क्यों अनुमति दे रही है। चार धाम यात्रा को शुरू करने पर सरकार को विचार करना चाहिए।