भारत-चीन के बीच 15 घंटे की सैन्य वार्ता खत्म, सेना- पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया "जटिल"
भारतीय सेना ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया "जटिल" है और लगातार इसके वेरिफिकेशन की आवश्यकता है। ये बातें भारत और चीन के कमांडरों के बीच 14 जून को 15 घंटे की लंबी बातचीत के बाद कही गईं गई है।
मंगलवार की सुबह 11 बजे ये बातचीत शुरू हुई जो बुधवार की तड़के सुबह 2 बजे खत्म हुई। सेना अधिकारी के मुताबिक इस बैठक के पहले चरण में तनाव कम करने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों के पीछे हटने पर चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने मंगलवार को हुई बैठक में कम्पलीट डिसइंगेजमेंट को लेकर अपनी बात दोहराई।
सेना की तरफ से दिए बयान में कहा गया है कि वरिष्ठ कमांडरों ने पहले चरण के विघटन के कार्यान्वयन पर प्रगति की समीक्षा की और कम्पलीट डिसइंगेजमेंट को सुनिश्चित करने के लिए और कदमों पर चर्चा की।
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आगे बयान में कहा गया है कि दोनों देश एलएसी पर कम्पलीट डिसइंगेजमेंट के उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह प्रक्रिया जटिल है और इसके लिए निरंतर वेरिफिकेशन की आवश्यकता है। इसे राजनयिक और सैन्य स्तर पर नियमित बैठकों के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा हैं।
भारत की तरफ लेह बेस्ड 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जबकि चीनी की तरफ से दक्षिण शिनजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने किया।
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बीते 5 जुलाई को सेना को पीछे हटाने की प्रक्रिया को लेकर टेलीफोनिक वार्ता की थी। डोभाल और वांग दोनों देशों के बीच सीमा मामले को लेकर विशेष प्रतिनिधि हैं।
बीते 15-16 जून को पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों देश की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें भारत के बीस जवान शहीद हो गए थे। जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है।